Saturday, May 24, 2008

कार के साथ पिस्तौल मुफ़्त!

Marwar News!
अमेरिका में एक कार डीलर ने अपने ग्राहकों को हर कार के साथ मुफ़्त में पिस्तौल देने की पेशकश की है.
मसूरी के 'मैक्स मोटर' का कहना है कि जबसे ये ऑफ़र रखा गया तब से कार बिक्री में चौगुनी वृद्धि हो गई है.
इस ऑफ़र में ग्राहकों को पिस्तौल या 250 डॉलर के गैस कार्ड में से एक को चुनने की सहूलियत है लेकिन अभी तक अधिकतर ग्राहकों को कार के साथ पिस्तौल ही पसंद आ रही है.
कंपनी के मालिक मार्क मलर का कहना है “हमें इस बात की बेहद ख़ुशी है कि हम एक ऐसे स्वतंत्र देश में रहते हैं जहाँ आप ज़रूरत पड़ने पर अपने साथ पिस्तौल रख सकते हैं.”
ये डीलर नई और पुरानी वाहन बेचता है जिसमें जनरल मोटर्स और फ़ोर्ड की कारें और ट्रकें शामिल हैं.
इस डीलर ने अपनी दुकान का जो लोगो बनवाया है उसमें भी एक काउब्वाय को पिस्तौल लिए दिखाया गया है.
डीलर ने तीन दिनों में ही 30 ट्रकें और कारें बेची हैं और इसका श्रेय वह इस ऑफ़र को ही देते हैं.
मलर का कहना है, "कनाडा के एक ग्राहक और एक बूढ़े व्यक्ति को छोड़कर अब तक सभी ने पिस्तौल को ही चुना है. इन दोनों ग्राहकों ने गैस कार्ड लेना पसंद किया था."
वे अपने ग्राहकों को एक ऐसी पिस्तौल का मॉडल चुनने की सलाह देते हैं जो जेब में आसानी से रखी जा सकती है.
डीलर का कहना है कि इस ऑफ़र का आइडिया उन्हें डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से राष्ट्रपति पद के संभावित उम्मीदवार बराक ओबामा के एक भाषण से मिला.
वे बताते हैं कि इस भाषण में ओबामा ने सहानुभूति जताते हुए ज़िक्र किया था कि लोग बाइबल ओर पिस्तौल को बराबर अहमियत देने लगे हैं. उनका कहना था कि लोग रविवार को पिस्तौल लेकर चर्च जाने लगे हैं.
इस ऑफ़र का विज्ञापन वेबसाइट पर है और यह इस महीने के अंत तक जारी रहेगा.
इस विज्ञापन में ज़िक्र किया गया है कि पिस्तौल रखने के लिए किसी भी व्यक्ति की पृष्ठभूमि की जाँच-परख आवश्यक होती है.

Monday, May 19, 2008

बांग्लादेशियों की धरपकड़ शुरु


Marwar News!
राजस्थान की राजधानी जयपुर मे हुए बम धमाकों में कथित तौर पर बांग्लादेश के एक गुट का नाम सामने आने के बाद पुलिस ने राज्य भर में बांग्लादेशी नागरिकों की धरपकड़ शुरु कर दी है.
हालांकि राज्य मे कितने बांग्लादेशी है इसे लेकर ख़ुद भारतीय जनता पार्टी सरकार भ्रम में है.
कांग्रेस विधायक डॉक्टर चन्द्रशेखर बेद आंकड़ो का हवाला देकर कहते हैं, "बीजेपी सरकार जानकारी होने के बाद भी कार्रवाई नही कर पाई. क्योंकि इस सरकार के पास इच्छाशक्ति है ही नही."
वामपंथी संगठन कह रहे हैं कि अगर बांग्ला जुबान बोलने वाले भारतीयों को निशाना बनाया गया तो वो विरोध करेंगे.
पुलिस धरपकड़ मे अब तक क़रीब 12 बांग्लादेशियों को गिरफ़्तार किया गया है. इनमें से आठ को अजमेर मे गिरफ़्तार किया गया है.
''यहाँ पश्चिम बंगाल से ग़रीब मज़दूर सोने-चांदी और जवाहरात का काम करने आते रहे है. ऐसे लोगों को बांग्लादेशी बता कर अगर सताया गया तो हम इसे सहन नही करेंगे. क्योंकि पहले भी ऐसा हो चुका है.

वामपंथी नेता वकार उल अहद
पुलिस के अनुसार राज्य भर मे बांग्लादेशियों की जाँच का अभियान चलाया जा रहा है जो एक महीने तक चलेगा.
राज्य के संसदीय कार्य मंत्री राजेंद्र राठौर के मुताबिक जयपुर में पहले सर्वेक्षण मे बांग्लादेशियों की तादाद ढाई हज़ार पाई गई थी लेकिन अब इनकी संख्या दस हज़ार से कम नही है.
उधर, डेढ़ साल पहले गृह मंत्री गुलाबचंद कटारिया ने राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की मौजूदगी में अपने भाषण मे कहा था कि राजस्थान में पचास हज़ार बांग्लादेशी रह रहे है.
लेकिन दूसरी ओर, कांग्रेस विधायक बेद ने सरकार से सवाल पूछा तो जवाब आया कि जयपुर शहर में 916 और ग्रामीण जयपुर मे 345 बांग्लादेशी हैं. भरतपुर मे आठ बांग्लादेशी रह रहे हैं.
सरकार ने माना कि इनमें से कुछ बांग्लादेशियों को राशन कार्ड मिल चुके है, कुछ का नाम मतदाता सूची में शामिल हो चुका है और कुछ ऐसे भी हैं जो ड्राइविंग लाइसेंस ले चुके है.
ये तथ्य सामने आने बाद भी सरकार इन दस्तावेज़ों को ख़ारिज नहीं कर सकी है.
अदालत की टिप्पणी
पिछले वर्ष जयपुर की एक अदालत ने बांग्लादेशियों के बारे में सरकार पर तीखी टिप्पणी की थी.
अदालत ने कहा की सरकार ऐसे गंभीर मामले पर ध्यान नही दे रही है. अदालत ने मुख्य सचिव को भी इस बारे मे सूचित किया था.
विपक्ष के विधायक बेद कहते हैं, "इन प्रमाणों से साफ़ है की सरकार ऐसे ज्वलंत मुद्दों के लिए समय नही निकल पा रही है और बांग्लादेशियों पर उसकी चिल्ल-पो महज सियासी है."
वामपंथी नेता वक़ार उल अहद ने बीबीसी से कहा, "बांग्लादेशी क्या किसी भी विदेशी को हमारी सर जमीं पर रहने का हक़ नही है. आख़िर बांग्लादेशी यहाँ तक कैसे चले आते है."
बीजेपी सरकार जानकारी होने के बाद भी कार्रवाई नही कर पाई. क्योंकि इस सरकार के पास इच्छाशक्ति है ही नही

कांग्रेस के विधायक, चंद्रशेखर बेद
लेकिन वक़ार ये भी कहते हैं कि यदि बांग्ला भाषा बोलने वाले पश्चिम बंगाल के लोगों को निशाना बनाया तो वे विरोध करेंगे.
वे कहते हैं, ''यहाँ पश्चिम बंगाल से ग़रीब मज़दूर सोने-चांदी और जवाहरात का काम करने आते रहे है. ऐसे लोगों को बांग्लादेशी बता कर अगर सताया गया तो हम इसे सहन नही करेंगे. क्योंकि पहले भी ऐसा हो चुका है."
संसदीय कार्य मंत्री राठौर कहते हैं, "इनमें से ज्यादातर बांग्लादेशी अपना पता-ठिकाना पश्चिम बंगाल के कूच बिहार और चौबीस परगना जैसे ज़िलों का बताते है. लेकिन हम इनकी गहराई से जाँच करेंगे. पुलिस को जाँच का काम एक महीने मे पूरा करने को कहा गया है."
उधर विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल जैसे संगठनो ने बांग्लादेशियों के विरुद्ध जनजागरण अभियान चलाने का ऐलान किया है.
बहरहाल बांग्लादेशी नागरिकों का मुद्दा सरकार के गले की फांस बन गया है.

Monday, May 12, 2008

नैनो के बाद अब सबसे सस्ता लैपटाप

Marwar News!
नई दिल्ली। अभी दुनिया की सबसे सस्ती कार (टाटा की नैनो) की चर्चा खत्म भी नहीं हुई है कि एक अन्य भारतीय कंपनी ने दुनिया का सबसे सस्ता लैपटाप बाजार में उतारने का ऐलान कर दिया है।
आईटी क्षेत्र में दुनिया भर में अपनी धाक जमा चुकी एचसीएल इन्फोसिस्टम्स लिमिटेड 'माइलीप' के ब्रांड नाम से दो तरह के लैपटाप उतारने जा रही है। इनमें एक्स सीरीज के तहत लैपटाप की कीमत केवल 13 हजार 990 रुपये रखी गई है। ज्यादा सुविधाओं वाले वाई सीरीज के लैपटाप की कीमत 29 हजार 990 रुपये तय की गई है। 26 जनवरी 2008 से ये लैपटाप देश भर में मिलने शुरू हो जाएंगे।
एचसीएल के चेयरमैन एवं सीईओ अजय चौधरी ने एक संवाददाता सम्मेलन में इन उत्पादों को सार्वजनिक तौर पर पेश किया। टाटा की लखटकिया नैनौ कार के आने के महज पांच दिन बाद सबसे सस्ते लैपटाप की लांचिंग को उन्होंने महज एक इत्तेफाक बताया। चौधरी के मुताबिक जिस तरह नैनो के आने के बाद एक दूधवाला या छोटा-मोटा व्यवसाय करने वाला व्यक्ति भी कार खरीदने का सपना सच कर सकेगा, उसी तरह माइलीप भी आईटी को अब समाज के कमजोर तबके तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाएगा। उन्होंने बताया कि खास तौर पर विद्यार्थियों, बिक्री व बीमा एजेंटों और काम के सिलसिले में अक्सर यात्रा करने वाले प्रोफेशनल्स के लिए यह एक उपयोगी उत्पाद साबित हो सकता है।
दोनों कंप्यूटरों का वजन बेहद हल्का है। इसमें सात इंच की स्क्रीन है। बेहद छोटा होने की वजह से इसे पार्को, ट्रेन, बस, विमान या मेट्रो ट्रेन में ले जाने में किसी प्रकार की दिक्कत आने की संभावना नहीं है। इनमें इंटेल का प्रोसेसर लगा हुआ है। एक्स सीरीज लाइनेक्स और विंडोज दोनों से ही चलने वाले आपरेटिंग सिस्टम से लैस है। इनमें वाई-फाई की भी सुविधा है। इसके अलावा वायरलेस कनेक्टिविटी, 80 जीबी का हार्ड डिस्क एवं ब्लूटूथ जैसी सुविधाएं तो हैं ही। वाई सीरीज में माइक्रोसाफ्ट विस्टा होम प्रीमियम लगा हुआ है। इसकी डिस्पले स्क्रीन 360 डिग्री तक घूम सकती है। यही नहीं, इसका डिजाइन इस तरह से तैयार किया गया है कि धूल, धूप व पानी का इस पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा।
दूसरे शब्दों में कहें तो एक सामान्य पर्सनल कंप्यूटर से आप जितने भी काम करना चाहते हैं वे सभी इस छोटे से लैपटाप के जरिए संभव हैं। शायद इसे ही ध्यान में रखकर चौधरी ने उम्मीद जताई है कि इसे बेचने के लिए ग्राहकों की प्रतीक्षा सूची बनानी पड़ेगी।

Sunday, May 11, 2008

एक दशक बाद नहीं दिखेंगे गिद्ध!

MarwarNews!
वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि अगले दस सालों में एशियाई गिद्ध विलुप्त हो सकते हैं.
इसके लिए जानवरों को दी जाने वाली एक दवा को दोषी ठहराया गया है.
सर्वेक्षण करने वाली टीम का कहना है कि हालांकि सरकार ने जानवरों को दर्द के लिए दी जाने वाली दवा डाइक्लोफ़ेनाक पर प्रतिबंध लगा दिया है लेकिन इसे अभी भी किसानों को बेचा जा रहा है.
यह नया सर्वेक्षण बॉम्बे नेचरल हिस्ट्री सोसायटी के जर्नल में प्रकाशित किया गया है.
सर्वेक्षण रिपोर्ट में कहा गया है कि सफ़ेद पूँछ वाले एशियाई गिद्धों की संख्या 1992 की तुलना में 99.9 प्रतिशत तक कम हो गई है.
इसके अनुसार लंबे चोंच वाले और पतले चोंच वाले गिद्धों की संख्या में भी इसी अवधि में 97 प्रतिशत की कमी आई है.
ज़ूलॉजिकल सोसायटी ऑफ़ लंदन के एंड्र्यू कनिंघम इस रिपोर्ट के सहलेखक भी हैं. वे कहते हैं, "इन दो प्रजातियों के गिद्ध तो 16 प्रतिशत, प्रतिवर्ष की दर से कम होते जा रहे हैं."
उनका कहना है, "यह तथ्य अपने आपमें डरावना और विचलित करने वाला है कि सफ़ेद पूँछ वाले गिद्ध हर साल 40 से 45 प्रतिशत की दर से कम होते जा रहे हैं."
ख़तरनाक दवा
इससे पहले भी वैज्ञानिकों ने कहा था कि यदि भारत में लगातार विलुप्त हो रहे गिद्धों को बचाना है तो जानवरों को दी जाने वाली दवा को बदलना होगा.
इससे पहले प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया था कि इस दवा को खाने वाले जानवरों का मांस खाकर पिछले सालों में गिद्ध की प्रजाति लगातार ख़त्म हुई है.
शोधकर्ताओं ने सलाह दी थी कि जानवरों को डाइक्लोफ़ेनाक नाम की दर्दनाशक दवा को बंद कर देना चाहिए.
भारत सरकार ने इसे वर्ष 2006 में प्रतिबंधित भी कर दिया गया था लेकिन भारतीय और ब्रिटिश शोधकर्ताओं का कहना है कि इस प्रतिबंध का कोई ख़ास असर नहीं हुआ है.
उनका कहना है कि जानवरों के लिए डाइक्लोफ़ेनाक दवा के निर्माण पर प्रतिबंध लगा दिया गया है लेकिन अब लोग मनुष्यों के लिए बन रही दवा का उपयोग जानवरों के लिए कर रहे हैं.
उनका कहना है कि दवा का आयात किया जा रहा है और इसका उपयोग हो रहा है.
इससे पहले शोधकर्ताओं ने डाइक्लोफ़ेनाक की जगह मेलोक्सिकैम नाम की दवा के उपयोग की सलाह दी थी लेकिन चूँकि वह डाइक्लोफ़ेनाक की तुलना में दोगुनी महंगी है इसलिए इसका उपयोग नहीं हो रहा है.
उपयोगी गिद्ध
हर साल आधी होती जा रही है गिद्धों की जनसंख्या
वैसे तो गिद्ध भारतीय समाज में एक उपेक्षित सा पक्षी है लेकिन साफ़-सफ़ाई में इसका सामाजिक योगदान बहुत महत्वपूर्ण है.
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि गिद्धों के विलुप्त होने की रफ़्तार यही रही तो एक दिन ये सफ़ाई सहायक भी नहीं रहेंगे.
जैसा कि वे बताते हैं 90 के दशक के शुरुआत में भारतीय उपमहाद्वीप में करोड़ों की संख्या में गिद्ध थे लेकिन अब उनमें से कुछ लाख ही बचे हैं.
वैज्ञानिकों का कहना है कि गिद्धों को न केवल एक प्रजाति की तरह बचाया जाना ज़रुरी है बल्कि यह पर्यावरणीय संतुलन के लिए भी ज़रुरी है.
वे चेतावनी देते रहे हैं कि गिद्ध नहीं रहे तो आवारा कुत्तों से लेकर कई जानवरों तक मरने के बाद सड़ते पड़े रहेंगे और उनकी सफ़ाई करने वाला कोई नहीं होगा और इससे संक्रामक रोगों का ख़तरा बढ़ेगा.

भजन गाओ और तनाव दूर भगाओ

MarwarNews!
लंदन. यदि आप उच्च रक्तचाप और तनाव से पीड़ित हैं तो दवाओं पर पैसा बहाने की बजाए किसी मंदिर में जाकर भजन-कीर्तन में हिस्सा लें।
डेली मेल में प्रकाशित रिपोर्ट में ब्रिटिश शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि लोगों को प्राणायाम की शिक्षा देने तथा भजन-कीर्तन या मंत्रोच्चर जैसी धुन का प्रयोग करने पर उनमें तनाव का स्तर कम हुआ और उनकी भावनात्मक स्थिति सकारात्मक हुई। शोधकर्ताओं ने इस तथ्य की पुष्टि के लिए कि चर्च में पुरुष गान समूहों में गाए जाने वाले ग्रेगोरियन पद्धति के भजन से तनाव कम होता है, वियना के प्राचीन ईसाई मठ के भिक्षुओं के दिल की धड़कन और ब्लड प्रेशर पर 24 घंटे तक निगाह रखी। भजन के दौरान दोनों न्यूनतम स्तर पर पाए गए।
* ग्रेगोरियन पद्धति के भजन का सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यह तनाव घटाकर व्यक्ति की कार्यक्षमता बढ़ा सकता है।- डॉ. एलैन वाटकिंस, वरिष्ठ व्याख्याता, न्यूरोसाइंस, इंपीरियल कालेज लंदन

माँ का दूध पीने वाले ज्यादा स्मार्ट!

Good News!
लंदन.माँ का दूध पीकर बड़े होने वाले बच्चे बोतल या डिब्बा बंद दूध पीने वाले बच्चों की तुलना में अधिक स्मार्ट होते हैं।
लंदन स्थित मेकगिल विश्वविद्यालय के प्रो. मिशेल क्रेमर द्वारा हाल ही में किए गए शोध में यह बात सामने आई है। उन्होंने बताया कि नैसर्गिक रूप से दुग्धपान करने वाले बच्चे बड़े होकर अधिक कुशाग्र बुद्धि के होते हैं और ऐसे बच्चे न सिर्फ पढ़ाई-लिखाई में तेज होते हैं, बल्कि सामाजिक जिम्मेदारियों को भी अधिक कुशलता से निभाते हैं।
प्रो. क्रेमर ने कहा कि उनके इस शोध से दुग्धपान को बढ़ावा देने के लिए चल रही विश्वव्यापी मुहिम को प्रभावी बनाने में सहयोग मिलेगा। उन्होंने बताया कि 14 हजार बच्चों पर किए गए शोध में पाया गया कि दुग्धपान करने वाले बच्चों की बुद्धिमत्ता का स्तर (आईक्यू) कृत्रिम दूध पीने वाले बच्चों की तुलना में अधिक होता है।

कश्मीर में मुठभेड़ ख़त्म, आठ की मौत

Good News!
भारत प्रशासित कश्मीर के सांबा इलाक़े में सेना के साथ मुठभेड़ मे दो चरमपंथियों समेत आठ लोग मारे गए है.
मुठभेड़ में 11 लोग घायल भी हुए हैं. मारे गए लोगों में सेना के दो जवान भी शामिल हैं.
डीआईजी पुलिस फ़ारुख खान का कहना है कि कि मुठभेड़ ख़त्म हो गई है और दो चरमपंथी मारे गए हैं. मारे गए लोगों में दो महिलाएँ और एक स्थानीय अख़बार का वरिष्ठ फ़ोटो पत्रकार शामिल है.
घायलों में एक मेजर, पुलिस अधिक्षक (ऑपरेशन्स) और टीवी चैनल आईबीएन सेवन का वीडियोग्राफ़र शामिल है.
जम्मू के क़रीब सांबा के केलीमंडी इलाक़े में रविवार सुबह चरमपंथियों ने अचानक फ़ायरिंग शुरू कर दी. हमला करने के बाद चरमपंथी क़रीब के ही मकानों में छिप गए.
सुरक्षाबलों ने इस मकान को घेर लिया. चरमपंथियों ने इस दौरान कुछ ग्रेनेड भी इस्तेमाल किए और कुछ लोगों को मकानों के अंदर ही बंदी बना लिया.
मुठभेड़
चरमपंथी दो घरों में छिपे गए. सुरक्षाबलों और चरमपंथियों के बीच रुक रुक कर गोलियाँ चलती रहीं. एक महिला जो उस घर में छुपी हुई थी, उसकी इस गोलीबारी में मौत हो गई.
मुठभेड़ में फोटो पत्रकार अशोक सोढ़ी की मौत हो गई
घर में फंसी एक अन्य महिला और दो बच्चों को सुरक्षाबलों ने बचा लिया. इस मुठभेड़ में एक स्थानीय अख़बार के वरिष्ठ फ़ोटो पत्रकार अशोक सोढी भी मारे गए हैं.
साथ ही एक जवान अतुल कुमार की भी मृत्यु हो गई. गोलीबारी में होशियार सिंह और उनकी पत्नी की भी मौत हो गई.
इस चरमपंथी हमले में होशियार सिंह की बेटी और उनके घर पर आए एक मेहमान भी घायल हो गए.
मुठभेड़ में दो जवान गंभीर रूप से घायल हो गए. आसपास रहने वाले लोगों का कहना है कि मुठभेड़ में कई अन्य पत्रकार भी घिर गए थे.
सुरक्षा बलों ने फ़िलहाल सैलानियों को इस इलाक़े में जाने से रोक दिया है. सुरक्षा बलों का मानना है कि गुरुवार को हुई घुसपैठ में ये चरमपंथी भारत प्रशासित कश्मीर में दाखिल हुए होंगे.
हालांकि पहले सुरक्षा एजेंसियों ने इस बात से इनकार किया था कि गुरुवार को भारत और पाकिस्तान की तरफ़ से हुई गोलीबारी में कोई चरमपंथी भारत प्रशासित कश्मीर में दाखिल हुआ था.

Friday, May 9, 2008

एचआईवी ग्रस्त माँग रहे है 'इच्छा मृत्यु'


राजस्थान में एचआईवी पॉज़िटिव लोगों ने सरकार पर उपेक्षा का आरोप लगाया है. उन्होंने 'इच्छा मृत्यु' की इजाज़त मांगी है.
ये लोग अपनी माँगों को पूरा करवाने के लिए जयपुर में धरने पर बैठ गए हैं.
इनका आरोप है की सरकार ज़रूरी दवाओं की व्यवस्था नहीं कर रही है. वहीं सरकार ने इन आरोपों को ग़लत बताया है.
राज्यपाल को ज्ञापन
एचआईवी पॉज़िटिव पीड़ितों की संस्था के अध्यक्ष ब्रजेश दुबे ने बीबीसी को बताया की 20 पीड़ितों ने राज्यपाल को एक ज्ञापन भेजकर 'इच्छा मृत्यु' की अनुमति मांगी है.
दुबे कहते है, "हम अभाव और उपेक्षा की इस ज़िन्दगी से परेशान हो गए हैं. इस तरह की जिंदगी से अब हम तंग आ चुके हैं. कदम-कदम पर हमे अपमानित किया जा रहा है."
हम अभाव और उपेक्षा की इस ज़िंदगी से परेशान हो गए हैं. इस तरह की जिंदगी से अब हम तंग आ चुके हैं. कदम-कदम पर हमे अपमानित किया जा रहा है

एचआईवी ग्रस्त लोगों की संस्था
उधर एड्स नियंत्रण के लिए ज़िम्मेदार एक वरिष्ठ अधिकारी डॉक्टर अरुण बजाज कहते हैं, "सरकार ने अपने स्तर पर सभी व्यवस्था कर रखी है. हमने दवाओं और ज़रूरी चिकित्सा की माकूल व्यवस्था कर रखी है."
बजाज कहते हैं, "मेरे ख़्याल में दवाओं की कोई कमी नहीं है. जयपुर के अलावा ज़िला स्तर पर भी दवाओं की पर्याप्त व्यवस्था है."
राजस्थान नेटवर्क फ़ॉर पॉजिटिव पीपुल के मुताबिक, राजस्थान में कोई दो लाख लोग एड्स पीड़ित हैं.
सरकार ने अपने स्तर पर सभी व्यवस्था कर रखी है. हमने दवाओं और जरूरी चिकित्सा की माकूल व्यवस्था कर रखी है

एड्स नियंत्रण के उपनिदेशक
नहीं मिलता है काम
प्रकाश एक एड्स पीड़ित हैं. वह अपना दर्द बताते-बताते रो पड़ते हैं.
उन्होंने कहा, "मेरे चार बच्चे है. हम बड़ी मुश्किल में हैं. कही रोज़गार नहीं मिलता हैं. अगर सरकार हमे ग़रीबी रेखा की सूची में शामिल कर ले तो थोडी मदद हो जाएगी. वरना ऐसे घुट-घुट कर कैसे जिएँगे?."
सुरभी (बदला हुआ नाम) कहती हैं, "मेरी बेटी भी इस रोग से ग्रस्त है. समाज जब उपेक्षा करे तो सरकार का बड़ा सहारा होता है. मगर अब सरकार ही ध्यान नही दे रही है. हम माथे पर लगे इस दाग के साथ समाज में कहाँ जाकर खडे होंगे?"
इन पीडितों का कहना है की अगर सरकार सहारा दे तो उनकी ज़िंदगी की राह कुछ आसन हो जाएगी.

नारायण बारेठ

बीबीसी संवाददाता, जयपुर

Thursday, May 8, 2008

भारत के खली ने मचाई खलबली

GooD News !
एक भीमकाय इंसान जो कभी हिमाचल प्रदेश के खेतों में काम करता था और अब अंतरराष्ट्रीय कुश्ती का चमकता सितारा है. जी हाँ, हम बात कर रहे हैं खली की.
अमरीका के अटलांटा शहर में रहने वाले खली का असली नाम दलीप सिंह राणा है.
खली कुछ हॉलीवुड फ़िल्मों में काम कर चुके हैं और अब उन्हें बॉलीवुड से भी काम के प्रस्ताव आ रहे हैं.
उन्होंने वर्ष 2005 की फ़िल्म 'द लॉंगेस्ट यार्ड' और 'गेट स्मार्ट' जैसी फ़िल्मों में काम किया.
पंजाबी मुंडा
छत्तीस वर्षीय राणा आजकल भारत में हैं. वो अपना कुछ समय घर में बिताएंगे और अपने जीवन पर बनने वाली वृत्तचित्र के लिए शूटिंग भी करेंगे.
दलीप सिंह राणा अमरीका में डब्ल्यूडब्ल्यूई में लड़ने वाले पहले भारतीय हैं. वो दुनियाभर में मशहूर डब्ल्यूडब्ल्यूई योद्धा हल्क होगन और द रॉक के साथ काम करते हैं.
खली सात फ़ीट तीन इंच लंबे हैं और उनका वज़न 420 पाउंड है
खली के बारे में डब्ल्यूडब्ल्यूई की वेबसाइट कहती है कि वो भारत के रहने वाले हैं, सात फ़ीट तीन इंच लंबे हैं और उनका वज़न 420 पाउंड है.
वेबसाइट का कहना है कि खली भारत के जंगल में घूमते हैं और उन्हें अजगरों से डर नहीं लगता. वेबसाइट की माने तो 'महान खली' पश्चिम बंगाल के बाघों से भी दो-दो हाथ कर चुके हैं.
खली कहते हैं कि अमरीका के लोगों ने कभी सोचा भी नहीं था कि डब्ल्यूडब्ल्यूई में कभी कोई भारतीय भाग लेगा, लेकिन वे इसका मज़ा लूट रहे हैं.
बढ़ती लोकप्रियता
दो वर्ष पहले अमरीका की सरकार डब्ल्यूडब्ल्यूई के पहलवानों को इराक में सैनिकों के मनोरंजन के लिए ले जाना चाहती थी.
इन पहलवानों की एक शुरुआती सूची बनाई. इस शुरुआती सूची में खली का भी नाम था. हालांकि अंतिम सूची में उनका नाम नहीं था.
उनका हाथ इतना विशाल है कि अगर आप उनसे हाथ मिलाएँ तो आपका हाथ कहीं खो जाता है और वो चाहें तो अपने हाथ से आपका सर मसलकर रख दें

स्टीन कैरेल, हॉलीवुड कलाकार
खली के प्रवक्ता अमित स्वामी हैं, वो उत्तरी राज्य हरियाणा के रहने वाले हैं और ख़ुद एक बॉडीबिल्डर हैं.
अमरीका के फ़िल्म कलाकार स्टीन कैरेल ने खली के साथ ‘गेट स्मार्ट’ फ़िल्म में काम किया था.
वो कहते हैं,'' उनका हाथ इतना विशाल है कि अगर आप उनसे हाथ मिलाएँ तो आपका हाथ कहीं खो जाता है और वो चाहें तो अपने हाथ से आपका सर मसलकर रख दें.''
कैरेल कहते हैं कि खली बेहद मधुर स्वभाव के हैं और ‘मुझे नहीं लगता कि उन्हें पता था कि वो एक फ़िल्म में काम कर रहे हैं.’
उधर खली उर्फ़ राणा का कहना है कि वो सिर्फ़ चुनी हुई भारतीय फ़िल्में ही करेंगे.
खली के शुरुआती दिनों की बात करें तो वो रोड परियोजनाओं के लिए पत्थर तोड़ने का काम करते थे.
उनके गाँव धिराना की महिलाएं उन्हें भारी भरकम काम, जैसे जानवर को उठाकर एक जगह से दूसरी जगह रखना जैसे काम करवाती थीं.
मुश्किलें
खली का जीवन उस वक्त बदला जब वो अपने दोस्त स्वामी के साथ दिल्ली के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर अपने पसंदीदा पहलवान डोरियन येट्स से मिलने गए.
खली का कहना है कि जिस मुक़ाम पर हैं, वहाँ पहुंचना बेहद मुश्किल था
येट्स खली का डीलडौल देखकर बेहद प्रभावित हुए.
जल्द ही खली अपनी किस्मत आज़माने जापान रवाना हो गए. वहाँ बिताए एक साल में उन्होंने कई ‘झूठी’ लड़ाइयाँ लड़ी.
उसके बाद वह अमरीका चले गए जहाँ उन्होंने ऐसी लड़ाइयों को पेशा बना लिया.
खली का कहना है कि जिस मुक़ाम पर हैं, वहाँ पहुंचना बेहद मुश्किल था.
आराम की ज़िंदगी
डब्ल्यूडब्ल्यूई कार्यक्रम वालों को राणा का नया नाम ढूढ़ने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ी. किसी ने उसे जायंट सिंह कहा तो तो किसी ने उसे भीम नाम से संबोधित किया.
किसी ने कहा कि राणा का नाम भगवान शिव रखा जाए, लेकिन इस नाम को भी ख़ारिज कर दिया गया क्योंकि इससे भारत में रहने वाले लोगों की भावनाओं को ठेस पहुँच सकती थी.
फिर राणा ने माँ काली का नाम सुझाया और उनकी विनाशकारी शक्तियों के बारे में बताया. सबको यह नाम बेहद पसंद आया. लेकिन विदेशियों ने उनका नाम खली कर दिया.
राणा का कहना है कि वो शाकाहारी हैं और तंबाकू और शराब से दूर रहते हैं.
वो कहते हैं कि वह अपनी पत्नी हरमिंदर कौर के साथ एक साधारण ज़िंदगी व्यतीत करते हैं.
राणा यानि खली का कहना है कि वह डब्ल्यूडब्ल्यूई से कुछ और वर्ष जुड़े रहेंगे.

Friday, May 2, 2008

पाक में एसएमएस भेज मांगते हैं भीख

Go od News!
इस्लामाबाद। मोबाइल फोन आज हर किसी के काम आ रहा है। अपहर्ताओं ही नहीं, भिखारियों के भी। अपहर्ता फोन के जरिए फिरौती मांगते हैं तो भिखारी भीख मांगने के लिए लोगों को एसएमएस भेजते हैं। पाकिस्तान में भिखारियों ने मोबाइल फोन को अपने धंधे का हथियार बना लिया है।
पाकिस्तान के भिखारी हाईटेक जरूर हो गए हैं, लेकिन भीख मांगने का उनका अंदाज वही पुराना है। एसएमएस के जरिए भीख मांगते हुए भी वे अल्लाह को नहीं भूलते। उन्हीं के नाम पर भीख देने को कहते हैं। मसलन, लोगों के पास इस तरह के एसएमएस पहुंचते हैं, 'मैं एक गरीब आदमी हूं। मेरी बेटी अस्पताल में भर्ती है। यदि आप अल्लाह में यकीन रखते हैं तो कृपया मुझे दस रुपये देने का कष्ट करें। अल्लाह आपको बरकत देगा और हर तरह की परेशानियों से दूर रखेगा।'
हाईटेक भिखारियों ने अपनी औकात भी ज्यादा नहीं बढ़ाई है। वे एसएमएस भेज कर ज्यादा से ज्यादा सौ रुपये की ही मांग रखते हैं। व्यवसायी मुहम्मद उस्मान का दावा है कि उन्हें हर दिन ऐसे दस मैसेज मिलते हैं। अखबार 'डेली टाइम्स' ने उस्मान के हवाले से लिखा है, 'इन मैसेज को नजरअंदाज करना मुश्किल है।'
दरअसल, अल्लाह के नाम पर मांगे जाने पर कई लोग असमंजस में पड़ जाते हैं। यूनुस नाम के एक शख्स ने तो इन अनाम संदेशवाहकों को पैसे भेजना भी शुरू कर दिया है। उनका कहना है, 'यह जाने बिना कि मैसेज किसने भेजा है, मैं अल्लाह के नाम पर पैसे दे देता हूं।' हालांकि उनका मानना है कि भिखारियों को लोगों को ब्लैकमेल नहीं करना चाहिए।

क्लास में सिखाते है डेटिंग व रोमांस के गुर

Good News!
सिंगापुर। क्या आप किसी ऐसी क्लास के बारे में यकीन करेंगे जिसमें बैठे युवा छात्र-छात्राएं बाकायदा रोमांस करने, डेट पर जाने और मौज-मस्ती करने के गुर सीख रहे हैं। जी हां, सिंगापुर में इन दिनों ऐसी भी क्लास लग रही हैं।
'लव रिलेशंस फार लाइफ : ए जर्नी आफ रोमांस, लव एंड सेक्सुअलिटी' की इस क्लास में बैठे युवा जोड़े आपस में हंसी-ठिठोली करते हुए पढ़ाई पूरी कर रहे हैं। उनके टीचर सुकी तोंग उन्हें बाकायदा रोमांस करने और डेट पर जाने के नुस्खे बताते हैं।
यहां के दो पालीटेक्निक संस्थानों में इस कोर्स का यह दूसरा साल है। और यह बेहद लोकप्रिय भी हो रहा है। वैसे यह सब सिंगापुर सरकार की देश में गिरती जनसंख्या दर पर लगाम कसने की कवायद के तहत हो रहा है। सरकार गिरती जनसंख्या दर से चिंतित है। पिछले वर्ष सिंगापुर में प्रति महिला जन्मदर गिरकर सबसे कम [1.24] रह गई। यह दुनिया भर में सबसे कम है। सिंगापुर में यह लगातार 28वां साल था जब जनसंख्या के मौजूदा स्तर को बरकरार रखने के लिए जरूरी जन्मदर 2.5 के औसत से कम रही।
पिछले 25 वर्षो से सिंगापुर सरकार युवा जोड़ों को मिलने-जुलने के मौके देने के लिए टी डांस, वाइन टेस्टिंग, कुकिंग क्लास और रोमांटिक फिल्मों की स्क्रीनिंग जैसे सामूहिक आयोजन करती रही है। डेटिंग व रोमांस की ये नई क्लास इसी कड़ी का हिस्सा हैं।
सामुदायिक विकास, युवा मामले व खेल विभाग के मंत्री यू फो यी शून का इस बारे में कहना है, 'हम छात्रों को बताना चाहते हैं कि बच्चे पैदा करने के लिए करियर संवरने तक इंतजार मत करो। इसमें कभी-कभी काफी देर हो जाती है, खास तौर पर लड़कियों के मामले में।'

Thursday, May 1, 2008

आवाज बताती है गर्भधारण का सही वक्त

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महिलाओं के मासिक चक्र के दौरान गर्भधारण के लिए सबसे मुफीद वक्त का पता उनकी आवाज से लगाया जा सकता है। एक शोध से पता चला है कि जिन दिनों गर्भधारण का सबसे उपयुक्त वक्त होता है, उन दिनों महिलाओं की आवाज सबसे ज्यादा मदहोश करने वाली होती है।
पहले के अध्ययनों में कुछ शारीरिक व व्यवहार संबंधी परिवर्तन का पता चला था, जिनके आधार पर गर्भधारण के सही वक्त का अंदाज लगाया जा सकता है। इन दिनों महिलाओं के शरीर से एक खास तरह की खुशबू भी आने लगती है। लेकिन अब पहली बार पता चला है कि ऐसे वक्त में महिलाओं की आवाज में भी परिवर्तन आ जाता है। यह परिवर्तन सकारात्मक होता है। यानी आवाज काफी मोहक और मादक हो जाती है। इस अध्ययन की रिपोर्ट 'जर्नल आफ इवोल्यूशन एंड ह्यूंमन बिहेवियर' में प्रकाशित होनी है।
न्यूयार्क यूनिवर्सिटी के नाथन पिपीटोन और गार्डन गेलुप ने महिलाओं के मासिक चक्र के दौरान चार विभिन्न अवसरों पर आवाज रिकार्ड की। इन आवाजों को बेतरतीब बजाया गया। महिला व पुरुष निर्णायकों को बार-बार यह आवाज सुनाई गई। पाया गया कि जिस समय गर्भधारण का सबसे उपयुक्त वक्त था, उस समय की आवाज सबसे ज्यादा मोहक थी।

खली को पछाड़ देगा मेरा बेटा करन

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अमूमन बेटे का कद मां से अधिक ही होता है। यही धारणा भारत की सबसे लंबी महिला स्वेतलाना सिंह की उम्मीद का कारण है। स्वेतलाना को भरोसा है कि उसका बेटा करन एक दिन डब्लूडब्लूई के मशहूर पहलवान ‘द ग्रेट खली’ को लंबाई के मामले में पीछे छोड़ देगा। सिर्फ 10 माह की उम्र में करन की हाइट सवा तीन फीट हो चुकी है।
सात फीट दो इंच लंबी स्वेतलाना का मानना है कि करन का कद सात फुट तीन इंच लंबे खली से भी अधिक होगा। ‘एक दिन वह दुनिया में सबसे लंबे कद का व्यक्ति होगा।’ उन्होंने बताया कि दस माह की उम्र में करण का कद और वजन, दो साल के बच्चे के बराबर हो गया है।
गिनीज रिकार्ड :
गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकार्डस के अनुसार, स्वेतलाना दुनिया की तीसरी लंबी महिला हैं। दुनिया की सबसे लंबी महिला का रिकॉर्ड चीन की याओ डेफेन (7 फीट 7.5 इंच) के नाम है। उसके बाद अमेरिका की सैंडी एलैन (7 फीट 7 इंच) का नंबर आता है। लिम्का बुक ने स्वेतलाना को भारत की सबसे लंबी महिला माना है।
स्वस्थ मां :
डेफेन को ब्रेन ट्यूमर है तो कमजोर मांसपेशियों के कारण सैंडी को व्हीलचेयर का सहारा लेना पड़ता है। इन दोनों की अपेक्षा स्वेतलाना कहीं अधिक स्वस्थ हैं। स्वेतलाना ने बताया कि उन्हें कभी बुखार तक की शिकायत नहीं हुई है।
विरासत में मिली हाइट :
स्वेतलाना के पति संजय (6 फुट छह इंच लंबे) ने बताया कि जन्म के समय करन का वजन छह किलो और उसकी लंबाई दो फुट दो इंच थी। उसे दिन में 20 बार दूध पिलाना पड़ता है, साथ ही आजकल वह खूब फल खाने लगा है।
इतनी छोटी उम्र में भी करन अपने पैरों पर चल सकता है। संजय के पिता की लंबाई छह फुट पांच इंच है, जबकि स्वेतलाना के पिता छह फुट सात इंच लंबे हैं।
इससे लगता है कि करन को भी लंबे होने के लिए जिम्मेदार जींस विरासत में मिले हैं।
बास्केटबॉल खेलेगा :
मेरठ में प्राकृतिक चिकित्सा के जरिए लोगों का इलाज करने वाले संजय और स्वेतलाना अपने बेटे को बास्केटबॉल का खिलाड़ी बनाना चाहते हैं। ट्रेनिंग के लिए वे उसे अमेरिका भेजना चाहते हैं।

मोटापा और धूम्रपान से जल्दी होंगे बूढ़े

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अगर आप मोटे हैं और सिगरेट भी पीते हैं तो संभल जाएं क्योंकि ऐसा करने वाले लोग अपने हमउम्र लोगों की अपेक्षा जल्दी बूढ़े हो जाते हैं.
अमरीका और ब्रिटेन में किए गए शोध में यह बात सामने आई है कि धूम्रपान करने से किसी भी व्यक्ति के डीएनए के महत्वपूर्ण हिस्सों की उम्र क़रीब साढ़े चार साल अधिक बढ़ जाती है.
अगर व्यक्ति मोटा हो तो यह नौ वर्ष अधिक हो जाती है. ये आनुवंशिक कोड कोशिकाओं के विभाजन के लिए महत्वपूर्ण होते हैं और इनका संबंध बढ़ती उम्र के साथ होने वाली बीमारियों से होता है.
बढ़ती उम्र
वैज्ञानिकों ने गुणसूत्रों के अंत में मौजूद डीएनए की परत टेलोमीयर की जांच के बाद यह निष्कर्ष निकाला है.

उम्र बढ़ाने के साथ जानलेवा हो सकता है मोटापा
इस शोध से जुड़े प्रोफेसर टिम स्पेक्टर कहते है कि धूम्रपान और मोटापा उम्र के साथ बढ़ने वाली बीमारियों से पूर्ण रुप से जुड़ी हुई हैं.
प्रयोग के दौरान पाया गया कि धूम्रपान करने वालों और मोटे लोगों में टेलोमीयर की परत तेज़ी से घटती है उनकी तुलना में जो धूम्रपान नहीं करते हैं.
गुणसूत्रों का चक्र
सेंट थामस अस्पताल में शोधरत प्रोफेसर स्पेक्टर का कहना है," जो आप देख रहे हैं वो धूम्रपान के कारण पूरे शरीर की बढ़ती हुई उम्र है न कि सिर्फ़ दिल या किडनी की नहीं."
स्पेकटर कहते हैं कि धूम्रपान से पूरे क्रोमोसोम या गुणसूत्र तेज़ी से घटते हैं यानी उम्र तेज़ी से बढती है.
उनका कहना है कि जवान लोगों को इस बारे में गंभीरता से सोचना चाहिए कि अगर वो धूम्रपान कर रहे हैं तो क्या वो अपने हमउम्र लोगों से कुछ वर्ष बड़ा होना मंज़ूर करेंगे.
हालांकि ये निष्कर्ष इस मुद्दे पर अंतिम नतीजे नहीं कहे जा सकते लेकिन ये नतीजे धूम्रपान करने वालों को एक बार फिर सोचने को मजबूर कर सकते हैं.

देश का हर बीसवां आदमी शराबी

नई दिल्ली(Good News)शराब के शौकिनों जरा होस में आओ और अपने आप को संभालो नहीं यह शराब आपको तबाह कर देगी। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चेतावनी दी है कि आने वाले दिनों में दुनिया में हर साल 18 लाख लोगों की मौत का कारण शराब बनेगी। भारत में शराबियों की संख्या में पिछले तीन सालों में 15 गुणा बढ़ोतरी हुई है। इंडियन एल्कोहल पॉलिसी संगठन ने एल्कोहल का नक्शा बनाया है। इससे पता चलता है कि देश के किस हिस्से में में शराब के शौकिनों की संख्या कितनी है।
इस नक्शे को स्वास्थ्यमंत्री अंबुमणी रामदास ने जारी किया है। देश में शराब पीने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। आंकड़ों के अनुसार देश में हर 20वां व्यक्ति शराबी है। 1986 में 19 साल की उम्र से शराब पीने की शुरूआत होती थी, लेकिन अब यह महज 13-14 साल रह गई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चेतावनी दी है कि आने वाले दिनों में विश्व में हर वर्ष शराब से मरने वालों की संख्या 18 लाख होगी। इस मामले में भारत के हालत भी कम चिंताजनक नहीं हैं। इंडियन एल्कोहल पॉलिसी एयायंस ने बताया है कि किस तरह शराबियों की संख्या बढ़ रही है। जहां पहले 300 में एक आदमी शराब पीता था अब यह आंकड़ा हर बीसवां आदमी शराबी है में बदल गया है।
किस राज्य में कितने शराबी
शराबियों के मामले में केरल पहले स्थान पर है, दूसरे पर महाराष्ट्र, तीसरे पर पंजाब, चौथे पर अरुणाचल प्रदेश, पांचवें स्थान पर गौवा, छठे पर सिक्किम, सातवें स्थान पर मध्यप्रदेश, आठवें पर छत्तीसगढ़, नौवें पर उड़ीसा और दसवें स्थान पर आंध्र प्रदेश शामिल है गोवा में शराबियों की संख्या में महिलाएं पहले स्थान पर हैं। महिला शराबियों की संख्या में भी पहले की अपेक्षा पांच फीसदी इजाफा हुआ है। इससे पता चलता है कि राज्य सरकारो क मद्य निषेध विभाग महज दिखावा हैं।