Monday, December 3, 2007

गालों में 'सेक्स अपील'


ख़ूबसूरत दिखने और दूसरों को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए लोग क्या नहीं करते. ऐसे में यदि उन्हें पता चल जाए कि आकर्षण कहाँ है तो फिर क्या कहने.

लोगों की समस्या हल करने की कोशिश की है एक नए शोध ने जिसका कहना है कि पुरुषों में 'सेक्स अपील' गालों में होती है.

यानी पुरुष अगर गालों की चिंता करके उसे ठीक रखें तो महिलाएँ उनकी ओर आकर्षित होंगी ही और गालों में अगर गड्ढे या डिंपल पड़ते हों तब तो कहना ही क्या.

शोधकर्ताओं को इस बात के सबूत मिले हैं कि पुरुषों के गाल पर एक नज़र डालते ही महिलाएँ ये अनुमान लगा लेती हैं कि पुरुष कितना आकर्षक है.
शोध का ये भी कहना है कि पुरुषों का वर्ण या रंग इस बात का संकेत भी देता है कि उसके 'जीन्स' अच्छे हैं या नहीं और महिलाएँ शायद अनजाने में ही सही, मगर इसका ध्यान भी रखती हैं.


अध्ययन


प्रोफ़ेसर मॉरिस गॉस्लिंग और उनके सहयोगियों ने ये परिणाम 90 महिलाओं के अध्ययन के बाद निकाले हैं.

उनसे 76 पुरुषों के चेहरे में आकर्षण के बारे में पूछा गया.

इसके बाद महिलाओं को इन पुरुषों के चेहरे का छोटा हिस्सा दिखाया गया और आकर्षण के अनुसार उनका आकलन करने के लिए कहा गया.

दोनों ही परीक्षणों में परिणाम एक जैसे ही थे.

इसके बाद शोधकर्ताओं ने उन पुरुषों के डीएनए परीक्षण किए.

पता ये चला कि जिन पुरुषों के जीन अच्छे थे उन्हें महिलाओं ने अधिक आकर्षक भी पाया.

प्रोफ़ेसर गॉस्लिंग ने बीबीसी को बताया कि परिणामों के अनुसार ये पता चला कि महिलाएँ अधिक स्वस्थ साथी चाहती हैं

महिलाओं ने निकट संबंधियों को पसंद नहीं किया जिसकी वजह शायद अच्छा जीन संतुलन पाने की चाह थी.

प्रोफ़ेसर गॉस्लिंग के अनुसार, "महिलाओं ने स्वस्थ पुरुष शायद इसलिए चुने क्योंकि उन्हें लगता है कि वे लंबे समय तक जिएँगे और बच्चों को पालने-पोसने में उनकी मदद करेंगे."

इसके अलावा ये लोग बीमारियों का प्रतिरोध भी आसानी से कर सकेंगे और बच्चों पर इसका असर कम होगा.

अवसाद दूर करने की 'कसरती' गोली

वैज्ञानिकों का कहना है कि डिप्रेशन यानी अवसाद दूर करने में नियमित कसरत जितनी असरदार होती है, जल्द ही वही लाभ दवा की एक गोली से हो सकेगा.
येले विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों का कहना है कि चूहों पर किए प्रयोग से पता चला है कि नियमित व्यायाम से अवसादग्रस्त लोगों को मदद मिलती है.

‘नेचर मेडिसिन’ में प्रकाशित शोध में वैज्ञानिकों का कहना है कि इस नतीज़े से कारगर दवा तैयार करने में सहायता मिलेगी.

ब्रिटेन की मानसिक स्वास्थ्य चैरिटी पहले ही अवसादग्रस्त लोगों के लिए व्यायाम करने की सलाह का समर्थन कर चुकी हैं.

शोध की ज़रूरत

हालाँकि यह सभी जानते हैं कि नियमित व्यायाम से ‘मूड’ भी अच्छा रहता है, लेकिन इसकी वजह क्या है, यह अभी तक पता नहीं चल सका है.

मस्तिष्क के एक ख़ास हिस्से ‘हिप्पोकैंपस’ पर किए गए ताज़ा शोध से भी पता चला है कि अवसाद दूर करने के लिए दी जाने वाली दवाओं का लक्ष्य भी यही होता है.

वैज्ञानिकों ने ये पता लगाने की कोशिश की कि व्यायाम के दौरान ऐसे कौन से जीन होते हैं, जो ज़्यादा सक्रिय हो जाते हैं.

यह शोध वैज्ञानिकों के उस सिद्धांत को भी मज़बूती देता है जिसके मुताबिक अवसाद दूर करने के लिए सिर्फ़ मस्तिष्क कोशिकाओं में रासायनिक बदलाव काफ़ी नहीं हैं, बल्कि कोशिकाओं की संरचना और उनके आपसी संबंधों में बदलाव भी ज़रूरी है.

वैज्ञानिकों का अगला क़दम अब यह रसायन तैयार करना और इसे चूहों पर आजमाना होगा.