Friday, September 28, 2007

नरेगा का विस्तार समग्र राष्ट्र में...



काम का अधिकार अभियान से जुड़ी अरुणा रॉय ने देश भर में राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना लागू करने के प्रधानमंत्री के फ़ैसले की सराहना की है. अरुणा रॉय कई साल 'काम का अधिकार' अभियान में अहम भूमिका निभा रही हैं.
शुक्रवार को भारत के प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना को देश के सभी ज़िलों में लागू करने की घोषणा की.
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की ओर से इस बारे में बुलाई गई बैठक में यह फ़ैसला लिया गया.
केंद्र सरकार के इस क़दम की सराहना करते हुए मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित अरुणा रॉय ने कहा कि केंद्र सरकार ने अपने न्यूनतम साझा कार्यक्रम का एक वादा ही पूरा किया है.
उन्होंने कहा, "केंद्र सरकार ने न्यूनतम साझा कार्यक्रम (सीएमपी) में रोज़गार गारंटी क़ानून को देशभर में लागू करने की बात सबसे पहले रखी थी. सरकार को तो इसे देश भर में लागू करना ही था. सरकार का तीन बरस से ज़्यादा कार्यकाल पूरा होने के बाद इसे किया गया है."
ग़ौरतलब है कि कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने पार्टी महासचिव बनाए जाने के बाद बुधवार को एक प्रतिनिधिमंडल के साथ प्रधानमंत्री से मिलकर 100 दिनों के रोज़गार की गारंटी सुनिश्चित करने वाले इस क़ानून को पूरे देश में लागू करने की माँग की थी.
'ग़रीब विरोधी रवैया'
हालांकि कुछ अर्थशास्त्री इस क़ानून के लागू होने में गड़बड़ियों का हवाला देते हुए लगातार इसे लागू किए जाने का विरोध करते रहे हैं.
ऐसे में क्या 330 ज़िलों से बढ़ाकर इस योजना को देशभर में लागू करने से अनियमितताओं का सवाल और गहरा नहीं होगा, इस सवाल पर अरुणा रॉय इसे 'ग़रीब विरोधी रवैया' बताती हैं.
वो कहती हैं, "केंद्र की यह अकेली योजना है जिसमें पारदर्शिता सुनिश्चित करते हुए आगे बढ़ा जा रहा है. योजना के बारे में सही मालूमात हासिल हो रही है. कहीं अच्छा तो कहीं ख़राब भी अनुभव रहा है पर लोगों को अब समझ में आने लगा है कि यह मज़दूरों का क़ानून है और उन्होंने काम माँगना शुरू किया है."
अरुणा विरोधियों को आड़े हाथों लेते हुए कहती हैं, "जो लोग रंगीन चश्मों से बाक़ी की योजनाओं को देख रहे हैं और सोच रहे हैं कि देश प्रगति के पथ पर बढ़ रहा है, अगर उन योजनाओं का सच सामने लाया जाए तो भ्रष्टाचार और ज़्यादा देखने को मिलेगा।"

वो मानती हैं कि योजना का विरोध करने के बजाए इसे और पारदर्शी बनाने की ज़रूरत है. साथ ही लोगों को इसके बारे में और जागरूक और व्यवस्था को और जवाबदेह बनाने की भी ज़रूरत है क्योंकि ऐसा करने से भ्रष्टाचार पर नकेल लगेगी.

देशभर के लिए
प्रधानमंत्री के मीडिया सलाहकार संजय बारू ने बताया कि रोज़गार गारंटी योजना को पूरे देश में लागू करने का फ़ैसला प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई एक बैठक में लिया गया.
बैठक में वित्त मंत्री पी चिदंबरम और ग्रामीण विकास मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह भी मौजूद थे.
राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना केंद्र की संप्रग सरकार की सबसे महात्वाकांक्षी योजना है और इस समय यह देश के चुनिंदा 330 पिछड़े ज़िलों में चल रही है.
योजना पहले चरण में वर्ष 2006 में देश भर के 200 पिछड़े ज़िलों में लागू हुई थी और बाद में इसका 130 ज़िलों में विस्तार किया गया था.

भगत सिंह का अंतिमपत्र


साथियों को अंतिम पत्र

22 मार्च,1931

साथियो,

स्वाभाविक है कि जीने की इच्छा मुझमें भी होनी चाहिए, मैं इसे छिपाना नहीं चाहता. लेकिन मैं एक शर्त पर जिंदा रह सकता हूँ, कि मैं क़ैद होकर या पाबंद होकर जीना नहीं चाहता. मेरा नाम हिंदुस्तानी क्रांति का प्रतीक बन चुका है और क्रांतिकारी दल के आदर्शों और कुर्बानियों ने मुझे बहुत ऊँचा उठा दिया है - इतना ऊँचा कि जीवित रहने की स्थिति में इससे ऊँचा मैं हर्गिज़ नहीं हो सकता. आज मेरी कमज़ोरियाँ जनता के सामने नहीं हैं. अगर मैं फाँसी से बच गया तो वो ज़ाहिर हो जाएँगी और क्रांति का प्रतीक-चिन्ह मद्धिम पड़ जाएगा या संभवतः मिट ही जाए. लेकिन दिलेराना ढंग से हँसते-हँसते मेरे फाँसी चढ़ने की सूरत में हिंदुस्तानी माताएँ अपने बच्चों के भगत सिंह बनने की आरज़ू किया करेंगी और देश की आज़ादी के लिए कुर्बानी देनेवालों की तादाद इतनी बढ़ जाएगी कि क्रांति को रोकना साम्राज्यवाद या तमाम शैतानी शक्तियों के बूते की बात नहीं रहेगी. हाँ, एक विचार आज भी मेरे मन में आता है कि देश और मानवता के लिए जो कुछ करने की हसरतें मेरे दिल में थी, उनका हजारवाँ भाग भी पूरा नहीं कर सका. अगर स्वतंत्र, ज़िंदा रह सकता तब शायद इन्हें पूरा करने का अवसर मिलता और मैं अपनी हसरतें पूरी कर सकता. इसके सिवाय मेरे मन में कभी कोई लालच फाँसी से बचे रहने का नहीं आया. मुझसे अधिक सौभाग्यशाली कौन होगा? आजकल मुझे ख़ुद पर बहुत गर्व है. अब तो बड़ी बेताबी से अंतिम परीक्षा का इंतज़ार है. कामना है कि यह और नज़दीक हो जाए.


आपका साथी,

भगत सिंह

25 मार्च, 1931