Thursday, August 7, 2008

गर्भनिरोधक गोलियों के प्रति बढ़ा युवतियों का रूझान


एसएनबी
नई दिल्ली। वाकई यह चौंकाने वाला तथ्य है कि दिल्ली में अनुमानत: प्रतिदिन 300 से 350 किशोरियां गर्भपात कराती हैं जबकि महीने में ऐसी लड़कियों की संख्या करीब 12 से 14 हजार है। इनमें अधिकांशत: डॉक्टर की सलाह के बिना ही किया जा रहा है। यह खुलासा परिवार कल्याण निदेशालय की देखरेख में कराए गए सहेली नामक एक सर्वे में किया गया। तस्वीर का दूसरा पहलू यह है कि बाजार में गर्भनिरोधक गोलियों की भरमार है। मगर, असुरक्षित संबंध बनाने की चाह ने उन्हें पेट में पल रहे मासूम की हत्या का दोषी माना जा सकता है।
सर्वे से जुडे़ विशेषज्ञों का मनाना है कि आपातकालीन गोलियों ने युवा दंपतियों मे न केवल पहचान बनाई है वहीं यह युवाओं के लिए जरूरत भी बनती जा रही है। साल 2005 से पहले डॉक्टर की पैरवी पर ही इमरजेंसी कोंट्रासेप्टिव पिल्स यानी ईसी मिलती थी। मगर, इसकी जबर्दस्त मार्केटिंग के बाद तो कोई भी महिला या युवती किसी भी कैमिस्ट की दुकान से सहजता से खरीद रही है। हालांकि स्वास्थ्य मंत्रालय का मानना है कि आईपिल परिवार नियोजन में काफी मददगार साबित हो रहा है। 
देश में प्रतिवर्ष 50 लाख गर्भधारण होते हैं। इनमें से 30 फीसद मामलों में गर्भपात कराया जाता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक 75 प्रतिशत गर्भधारण अनिच्छा या बिना प्लान के ही हो जाते हैं। करीब 20 हजार मौंते एबार्शन के वक्त जटिलता के कारण होती है। इसलिए अनचाहा गर्भधारण और बेवजह की मौत रोकने में ईसी और आईपिल जैसी गोलियां कारगर साबित हो सकती हैं। परिवार कल्याण निदेशालय के निदेशक डॉ. एक जैना के अनुसार सर्वे में 20 से 35 साल की 20 हजार महिलाओं को शामिल किया गया था, जिसे नौ जिलों में विभाजित किया गया था। इनमें कॉलेज, कार्यालयों में कामकाजी व घरेलू महिलाओं को शामिल किया गया था जिन्होंने अनचाहे गर्भ से निजात पाने के लिए आईपिल दवाओं का मनमर्जी से इस्तेमाल करने की बात स्वीकारी। वर्ष 2005 में सरकार ने इस उत्पादन यानी ईसी पिल्स को रिप्रोडक्टिव एंड चाइल्ड हेल्थ प्रोग्राम में शामिल किया गया था। इसलिए इसकी कीमत में भी कटौती करने की मांग की गई। इसका दाम 40 रूपए से घटा कर पांच रूपए कर दी गई है। सरकार ने इस पिल्स के बारे में जागरूकता लाने के लिए जगह-जगह कैंप भी लगाने की रूपरेखा तैयार की है। इसके जरिए लोगों को आईपिल की हानियां व रोकथाम के बारे में जागरूक किया जाएगा। 
दिल्ली मेडिकल काउंसिल के सदस्य व नई दिल्ली नगर पालिका परिषद के फीजिशियन डॉ. अनिल बंसल के अनुसार आईपिल ब्रांड की गोलिया पिल-72 के नाम से बिक रही हैं। कंपनी ने इसे यही नाम दिया है। मतलब यह कि अगर परिवार नियोजन के दौरान कोई गलती हो जाए तो इसे 72 घंटे के अंदर लिया जा सकता है। अनचाहे गर्भ से मुक्ति तो मिलेगी ही मासूम की हत्या भी नहीं करनी होगी। इसके एक पैक में सिर्फ एक ही गोली होती है। इसमें लेवोनारजेलट्रान नामक हारमोन की मात्रा काफी कम होती है। अगर निर्धारित समय में यह गोली ले ली जाए तो गर्भधारण की 89 प्रतिशत संभावना कम हो जाती है। यह भी: दरअसल आईपिल्स आपातकालीन गर्भनिरोधक है, जिसे बहुत जरूरत पड़ने पर ही दंपति को प्रयोग से लाना चाहिए या दुष्कर्म की शिकार महिला को अनचाहे गर्भ से मुक्ति के लिए दिया जाना चाहिए। भ्रामक प्रचार से इसे मौज-मस्ती का साधन बना दिया है। कई यवतियां इसे मार्निंग आफ्टर पिल्स को इसलिए इस्तेमाल करते हैं ताकि उनके अवैध संबंध उजागर न हों। हैरत की बात है कि एक-साथ दो-तीन छुटि्टयां पड़ने पर आईपिल्स की मांग बढ़ जाती है। 
 
Last Updated[ 7/12/2008 1:48:05 AM]