Saturday, October 18, 2008

दिमाग़ के लिए अच्छा' है इंटरनेट

Dingal News!
कैलिफ़ोर्निया विश्वविद्यालय के एक शोध से संकेत मिले हैं कि इंटरनेट के इस्तेमाल से अधेड़ उम्र के लोगों और बुज़ुर्गों की दिमाग़ी ताकत बढ़ाने में मदद मिल सकती है.

शोधकर्ताओं के एक दल ने पाया कि इंटरनेट पर वेब सर्च करने से निर्णय लेने की प्रक्रिया और जटिल तर्कों को नियंत्रित करने वाले दिमाग़ के हिस्से सक्रिय हो जाते हैं.

शोधकर्ताओं का कहना है कि इससे आयु संबंधी उन मनोवैज्ञानिक बदलावों के मामलों में भी मदद मिल सकती है जिससे दिमाग़ की कार्य करने की गति धीमी हो जाती है.

यह अध्ययन 'अमेरिकन जर्नल ऑफ़ गेरियाट्रिक साइकेट्री' में प्रकाशित हुआ है.

जैसे-जैसे उम्र बढ़ती जाती है, दिमाग़ में कई बदलाव आने लगते हैं.

इन बदलावों में कोशिकाओं का संकुचन और उनकी सक्रियता में कमीं आना भी शामिल है जो किसी व्यक्ति की कार्य कुशलता को प्रभावित कर सकते हैं.

वेब सर्फ़िंग

लंबे समय से इस पर माना जा रहा है कि वर्ग पहेली (क्रॉसवर्ड पज़ल) जैसी दिमाग़ी क़सरतों से दिमाग़ सक्रिय बना रहता है. इससे बढ़ती उम्र के कारण दिमाग़ पर पड़ने वाले असर को कम करने में मदद मिल सकती है.

नवीनतम अध्ययन से संकेत मिला है कि इस सूची में वेब सर्फिंग को भी शामिल किया जा सकता है.

मुख्य शोधकर्ता प्रोफेसर गैरी स्मॉल का कहना है, "अध्ययन के नतीज़े उत्साहवर्धक हैं. उभरती कम्प्यूटर तकनीकों का मनोवैज्ञानिक असर हो सकता हैं. इससे वयस्कों, अधेड़ लोगों और बुज़ुर्गों को लाभ मिल सकता है."

 रोज़ाना वेब सर्च जैसा एक साधारण कार्य बुज़ुर्गों के दिमाग़ को दुरूस्त रखता है.
 
गैरी स्माल, प्रोफ़ेसर, कैलिफ़ोर्निया विश्वविद्यालय

उनका कहना है, "इंटरनेट पर सर्च करने के लिए दिमाग़ को जटिलता से इस काम में जुटना पड़ता है. यह दिमाग़ी करसत में मदद कर सकता है और इससे दिमाग़ की कार्य कुशलता में सुधार होता है."

नवीनतम अध्ययन 55 से 76 आयुवर्ग के 24 लोगों पर किए शोध पर आधारित है. इनमें से आधे लोग इंटरनेट का इस्तेमाल करते थे जबकि बाक़ी लोगों इससे दूर थे.

क़िताब पढ़ने और इंटरनेट पर सर्च करने के दौरान इन लोगों का ब्रेन स्कैन किया गया.

दोनों ही कार्यों से दिमाग़ के उस हिस्से में उल्लेखनीय गतिविधियाँ दर्ज की गईं जो भाषा, अध्ययन, स्मृति और दृश्य क्षमताओं को नियंत्रित करती हैं.

वेब सर्च करने के दौरान दिमाग़ के अलग-अलग हिस्सों में अतिरिक्त उल्लेखनीय गतिविधियाँ देखी गईं जो निर्णय लेने की प्रक्रिया और जटिल तार्किकता को नियंत्रित करती हैं. वेब सर्च नहीं करने वालों के दिमाग़ में ऐसी कोई हलचल नहीं पाई गई.

आदिलाबाद की बहादुर तुलजाबाई

Dingal News!
आंध्र प्रदेश का आदिलाबाद ज़िला पिछले दिनों मानवता के एक विकृत चेहरे का गवाह बना जब वहाँ दंगे भड़के, लेकिन इसी के बीच कुछ ऐसा भी हुआ जिससे ये लगता है कि तमाम विकृतियों के बावजूद मानवता जीवित है.
इस महीने दुर्गा विसर्जन जुलूस के दौरान सांप्रदायिक हिंसा भड़की और धर्म के नाम पर हमलों का सिलसिला शुरू हो गया. ऐसे में ही दंगाइयों ने एक मुस्लिम घर पर हमला किया और तब अपने पड़ोसियों की मदद के लिए एक हिंदू महिला दंगाईयों के सामने दीवार बनकर खड़ी हो गई.
घटना भैंसा शहर की है जहाँ के संवेदनशील पंजेशाह इलाक़े में उन्मादी असामाजिक तत्वों ने दूकानों और मकानों में आग लगा रहे थे. तुलजा बाई अपने घर की खिड़की से हिंसा का ये मंज़र देख रही थीं.
उन्मादी भीड़ ने तुलजा बाई के घर के सामने रहने वाले सैयद उस्मान के घर को निशाना बनाया और घर को आग के हवाले करने की कोशिश की.
लेकिन तुलजा बाई से यह देखा नहीं गया और वह दंगाईयों से जा भिड़ीं.
तुलजई बाई का साहस
उस हादसे के बारे में तुलजा बाई ने बताया, ''धुँआ निकलता देख मैं,मेरा बेटा और परिवार के अन्य सदस्य बाहर की ओर दौड़े. मैने देखा कि एक युवक उस घर से दौड़कर बाहर निकला. तब मुझे लगा कि परिवार घर के भीतर आग में फँसा हो सकता है.''तुलजा बाई ने बताया, ''मैं अपने परिवार के साथ घर के बाहर जमा भीड़ को पीछे धकेलने लगी. हम परिवार को बचाने के कोशिश कर रहे थे और भीड़ हम पर चिल्ला रही थी. मैंने उन्हें चुप रहने के लिए कहा और उन्हें बताया कि ये लोग हमारे पड़ोसी, हमारे भाई हैं.''
कुछ देर बाद तुलजा बाई और उसका परिवार, साफ़िया बेगम और उसके तीन बच्चों को घर से किसी तरह बाहर निकालने में सफल हो गए. तुलजा बाई, साफ़िया बेगम और उसके बच्चों को अपने घर ले आई.
तुलजा बाई ने बताया, ''अपने घर में उनकी सुरक्षा पुख़्ता करने के बाद हम घर की आग बुझाने के लिए पानी लेकर दौड़े. किस्मत से हमारे पास पर्याप्त पानी था और हमने ख़ुद आग पर क़ाबू पा लिया."
उन्मादी असामाजिक तत्वों ने तुलजा बाई के परिवार को आग बुझाने से रोका और बाल्टियाँ छीनने कोशिश की.
आगजनी और लूटपाट
हमारी सारी संपत्ति लुट गई लेकिन हम अपने हिंदू पड़ोसियों का बहुत-बहुत शुक्रिया अदा करते हैं जिनके कारण मेरे परिवार के सदस्य आज जीवित हैं

सैयद मोहम्मद पाशा
इस घटना में सैयद परिवार के घर के भीतर रखे पतंगों के हज़ारों बंडल जलकर राख हो गए जो उनकी जीविका का सहारा था. फ़र्नीचर भी जल गया और रंगीन टेलीविज़न को टुकड़े-टुकड़े कर दिया गया.
मगर सबसे बड़ा नुक़सान ये हुआ कि भीड़ ने उस्मान के बड़े भाई सैयद मोहम्मद पाशा की बेटियों की शादी लिए जुटाए कीमती गहनों और रूपयों को लूट लिया.
हैदराबाद के एक दैनिक में बतौर संवाददाता काम करने वाले पाशा ने बताया, '' हमारी सारी संपत्ति लुट गई लेकिन हम अपने हिंदू पड़ोसियों का बहुत-बहुत शुक्रिया अदा करते हैं जिनके कारण मेरे परिवार के सदस्य आज जीवित हैं.''
तुलजा बाई और पाशा के पुरख़े पिछले 200 वर्षों से भैंसा के पंजेशाह इलाक़े में रहते आए हैं.
तुलजा बाई के बेटे ठाकुर रमेश सिंह ने कहा, '' हमेशा बाहरी लोग समस्या खड़ी करते हैं और स्थानीय लोगों को भोगना पड़ता है. ''
फ़िलहाल चाहे हिंदू हों या मुसलमान, हर वर्ग के लोग तुलजा बाई की वीरता और मानवता की सराहना कर रहे हैं.
राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने तुलजा बाई को सांप्रदायिक वैमनस्यता फैलाने वाले लोगों के ख़िलाफ़ आशा की एक किरण बताया.
जाने-माने लोकगीत गायक और आंदोलनकारी ग़द्दार ने तुलजा बाई के घर पर जाकर उनकी बहादुरी की प्रशंसा की और उनके पैर छूकर उन्हें सम्मान दिया.

इज्ज़त बचाने के लिए सिर क़लम

Dingal News!
उत्तर प्रदेश में एक महिला ने अपनी इज्ज़त बचाने के लिए एक दबंग किस्म के कामुक युवक का सिर क़लम कर अपने को पुलिस के हवाले कर दिया.
मगर पुलिस ने इस महिला को पीड़ित मानते हुए उसे सम्मानपूर्वक घर भेज दिया क्योंकि पुलिस के अनुसार उसने आत्म रक्षा में पलटवार किया था.
घटना नेपाल सीमा से सटे लखीमपुर ज़िले के इसानगर थाने की है.
ग्राम हसनपुर कटौली के मजरा मक्कापुरवा में दलित राजकुमार और मनचले किस्म के जुलाहे अन्नू के घर अगल-बगल हैं.
अन्नू राजकुमार की पत्नी फूलकुमारी को अक्सर छेड़ता था. मगर कमजोर वर्ग का राजकुमार उसके विरोध का साहस नहीं कर पाता.
गुरुवार को फूलकुमारी जानवरों के लिए चारा लाने गयी थी. वह एक गन्ने के खेत में पत्ते तोड़ रही थी. तभी अन्नू वहाँ पहुँच गया और उसके साथ ज़बर्दस्ती करने लगा.
इज्ज़त बचाने के लिए हमला
बीबीसी से फोन पर बातचीत में फूलकुमारी ने कहा कि वह चारा काटने गई थी और उसने अपनी इज्ज़त और जान बचाने के लिए हमलावर पर वार किया था.
महिला का कहना था, ''हमने मार दिया. हम गए थे गन्ने की पत्ती लेने. तभी वह ज़बर्दस्ती लिपट गया. हमने किसी तरह उसका बांका छीन लिया और उसी से उसकी गर्दन उड़ा दी.''
स्थानीय अख़बारों ने प्रत्यक्षदर्शियों के हवाले से लिखा कि फूलकुमारी खून से लथपथ अन्नू का कटा हुआ सिर लिए हसनपुर कटौली पहुँची और वहाँ अपने को पुलिस के हवाले कर दिया. पुलिस वाले उसे थाने ले गए और उसने पूरा मामला बयान किया.
बीबीसी से बातचीत में फूलकुमारी ने इस बात से इनकार किया कि वह अन्नू का कटा हुआ सिर लेकर बाज़ार में गई. पुलिस का कहना है कि उसने अन्नू का कटा सिर धान के एक खेत से बरामद किया.
पुलिस ने फूलकुमारी की चिकित्सा जांच कराई और चौबीस घंटों की तहकीकात के बाद उसके घर वालों के हवाले कर दिया.
ज़िले के पुलिस कप्तान राम भरोसे ने बीबीसी से बातचीत में कहा, वह तो पीड़ित है और उसने अपने बचाव में ऐसा किया. उसने कोई ज़ुर्म नहीं किया.
पुलिस ने फूलकुमारी की रपट के आधार पर मृत युवक के ख़िलाफ़ बलात्कार, हत्या के प्रयास और उत्पीड़न का मामला दर्ज कर लिया.
पुलिस का कहना है कि मृत युवक के परिवार वालों ने अभी तक कोई मामला दर्ज नहीं कराया है.
एक स्थानीय पत्रकार का कहना है कि मृत युवक का चाल चलन अच्छा नहीं था.