
जिस तरह एक शरीर में कोशिकाएं बनती-बिगड़ती रहती हैं उसी तरह एक जीवित भाषा में भी शब्द बनते बिगड़ते और बाहर होते रहते हैं.जीवित भाषा से आशय है वह भाषा जिसे लोग विचार व्यक्त करने के लिए इस्तेमाल करते हैं जबकि मृत भाषा वह है जिसका रोज़मर्रा का इस्तेमाल अब ख़त्म हो चुका है और लोग लिखने-पढ़ने के लिए उन्हें इस्तेमाल नही करते.मिसाल के तौर पर संस्कृत...