Monday, September 8, 2008

आपरेशन के दौरान हो नए नियमों का पालन


Sep 07, 03:40 pm
नई दिल्ली। शल्यक्रिया विशेषज्ञों का कहना है कि शल्यक्रिया की खामियों को रोकने और मरीज की सुरक्षा को बेहतर करने के उद्देश्य से विश्व स्वास्थ्य संगठन [डब्ल्यूएचओ] द्वारा आपरेशन थियेटरों के लिए जारी नई सुरक्षा जांच सूची का पालन अनिवार्य किया जाना चाहिए। डब्ल्यूएचओ ने शल्यक्रिया के दौरान होने वाली गलतियों और मरीज की सुरक्षा के प्रति बढ़ती लापरवाही को रोकने के उद्देश्य से हाल ही में डब्ल््यूएचओ सर्जिकल सेफ्टी चेकलिस्ट जारी की है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक प्रतिवर्ष 23 करोड़ चार लाख बड़ी शल्यक्रियाएं होती हैं।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में शल्यक्रिया विभाग के प्रमुख डा. एमसी मिश्रा ने इस संबंध में पूछे जाने पर बताया कि शल्यक्रिया की खामियों को रोकने और मरीज की सुरक्षा को बेहतर करने के लिए डब्ल्यूएचओ द्वारा आपरेशन थियेटरों के लिए हाल ही जारी नई सुरक्षा जांच सूची का पालन सभी अस्पतालों में वर्तमान समय में अनिवार्य किया जाना चाहिए। डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डा. मागर्रेट चांग का इस संबंध में कहना है, रोकी जा सकने वाली शल्यक्रिया की चोटें और मौत गंभीर विषय बनते जा रहे हैं। शल्यक्रिया के दौरान होने वाली गलतियों और मरीज की सुरक्षा को बेहतर बनाने के लिए जांच सूची का प्रयोग करना सर्वश्रेष्ठ तरीका है।
डा. मिश्रा ने बताया कि प्रत्येक अस्पताल को सुरक्षित शल्यक्रिया और गुणवत्ता तथा उपभोक्ता के मुद्दे को गंभीरता से लेना चाहिए और इसमें किसी भी प्रकार की लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। यदि इस जांच सूची का सही पालन किया जाएगा तो सुरक्षित शल्यक्रिया के लक्ष्य को हासिल करने में कोई परेशानी नहीं होगी। एक प्रश्न के उत्तर में डा. मिश्रा ने कहा कि प्रत्येक अस्पताल को उपभोक्ता की स्वास्थ्य सुरक्षा और हितों का ध्यान रखते हुए सरकार द्वारा अस्पतालों और चिकित्सा देखभाल संस्थानों के लिए बनाए गए राष्ट्रीय मान्यता बोर्ड [एनएबीएच] से मान्यता प्रमाण पत्र लेना भी अनिवार्य होना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसा होने पर अस्पतालों में सुरक्षित शल्यक्रिया व्यवस्था, गुणवत्ता और उपभोक्ता हितों की रक्षा में अपने-आप सुधार आ जाएगा, लेकिन दुख इस बात का है इस देश के सरकारी अस्पताल इसके लिए तैयार नहीं है। इसका प्रमाण यह है कि पिछले तीन साल के दौरान केवल 25 अस्पतालों ने इस प्रकार का प्रमाण पत्र लिया है।
अपोलो अस्पताल के हड्डी रोग विशेष डा. राजू वैश्य ने कहा कि डब्ल्यूएएचओ की नई सुरक्षा जांच सूची के पालन से रोगी के हितों की रक्षा होगी और अस्पताल को भी लाभ मिलेगा। जनता का उन पर विश्वास बढ़ेगा और अस्पतालों में एक नया माहौल बनेगा। हमारे यहां सभी अस्पतालों में अभी इन बातों को गंभीरता से नहीं लिया जाता है।
डब्ल्यूएचओ ने शल्यक्रिया से संबंधित अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पिछले कुछ दशकों में शल्यक्रिया देखभाल और गुणवत्ता में काफी सुधार देखने में आया है, लेकिन निराशाजनक रूप से दुनिया के विभिन्न भागों में परिस्थितियों में अंतर है और इस अंतर को कम करने का हरसंभव प्रयास किया जाना चाहिए। डब्ल्यूएचओ सर्जिकल सेफ्टी चेकलिस्ट सूची में आपरेशन के तीन चरणों की पहचान की गई है। ये चरण हैं मरीज को एनस्थीसिया देने से पहले शल्य चिकित्सा प्रारंभ होने से पूर्व और मरीज के आपरेशन थियेटर से बाहर निकलने से पहले। अभी जांच सूची का पहला अंक ही जारी किया गया है।
प्रत्येक चरण में जांच सूची समन्वयक यह सुनिश्चित करता है कि आगे बढ़ने से पहले शल्यक्रिया दल ने अपना काम पूरा कर लिया है या नहीं। प्रथम चरण में मरीज के ज्ञात संक्रमणों की जांच की जाती है और अंतिम चरण में शल्यक्रिया से संबंधित सामान की गिनती की जाती है। जांच सूची का उद्देश्य मरीजों की अपेक्षाओं के अनुरूप स्तर को बढ़ाना है। अनेक अध्ययनों में यह साबित हुआ है कि विकसित देशों में बड़ी शल्यक्रिया के दौरान 5 से 10 प्रतिशत मरीजों की मौत हो जाती है। उप सहारा अफ्रीका में 150 मरीजों में से एक की मौत जनरल एनस्थीशिया के कारण होती है। व्यावसायिक देशों में तीन से 16 प्रतिशत मरीजों को बड़ी जटिलताओं से जूझना पड़ता है। वहां संक्रमण और अन्य जटिलताएं भी गंभीर विषय हैं।

गुजरात: परीक्षा में पुस्तक ले जाने को मंजूरी


Sep 08, 11:38 pm
गांधीनगर। गुजरात शिक्षा बोर्ड ने सोमवार को एक अहम फैसले में कक्षा आठवीं, नवमी तथा दसवीं की परीक्षा में पुस्तकें ले जाने को मंजूरी दे दी है। आगामी मानसून सत्र में इस प्रस्ताव पर राज्य सरकार की मुहर लगने की संभावना है। मुख्यमंत्री ने शिक्षक दिवस पर इस नीति की वकालत की थी।
गुजरात शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष आर के पाठक ने बताया कि सोमवार को शिक्षा समिति, परीक्षा समिति तथा कार्यकारी समिति की बैठक हुई जिसमें कक्षा 8, 9 तथा दसवीं की परीक्षा में पुस्तकें ले जाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई। बोर्ड का प्रयास है कि वर्ष 2008-09 में ही इस फैसले को लागू कर दिया जाए।
गौरतलब है कि शिक्षक दिवस पर राज्य के बच्चों को सेटेलाइट के माध्यम से संबोधित करते हुए नरेंद्र मोदी ने परीक्षा में पुस्तकें ले जाने की वकालत की थी। पाठक ने बताया कि बोर्ड की ओर से इस पर पहले से विचार किया जा रहा था। मुख्यमंत्री के बयान के बाद उनकी नीति को बल मिला। सूत्रों का मानना है कि बोर्ड की मंजूरी के बाद अब इसे सरकार से भी स्वीकृति मिलने की संभावना है।