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वाशिंगटन। वैज्ञानिकों ने विकासशील देशों में आम बीमारी मलेरिया का कारण बनने वाले दो परजीवियों का जीनोम तैयार करने में सफलता हासिल कर ली है। इस खोज के बाद दुनिया के 2.6 अरब यानी कुल आबादी के 40 फीसद लोगों को मच्छर के काटने से होने वाली बीमारी से लड़ने के लिए नई दवा और टीका विकसित करने में मदद मिलेगी। न्यूयार्क विश्वविघालय के लांगोन मेडिकल सेंटर के वैज्ञानिक जेन कार्लटन के नेतृत्व में दोनों परजीवियों का जीनोम तैयार किया गया। कार्लटन ने कहा कि मलेरिया के इलाज में यह खोज बहुत ही कारगर साबित होगी। हालांकि इन परजीवियों से जो मलेरिया होता है वह कभी-कभार ही जानलेवा होता ह,ै लेकिन इससे बार -बार तेज बुखार, सिरदद, ठंड लगना बहुत ज्यादा पसीना आना, उल्टी, अतिसार जैसी परेशानियां हो जाती हैं। * वीवैक्स नाम का परजीवी शुरूआती बीमारी के बाद मनुष्य के कलेजे में महीनों या वर्षाें सुप्तावस्था पड़ा रहता है। उसके बाद यह दोबारा हमला करता है। * वैज्ञानिकों ने जीनोम तैयार करने के बाद वह जीन खोज ली है, जो लम्बे समय तक इसके सुप्तावस्था में पड़े रहने के लिए जिम्मेदार होती है। * उस जीन की भी खोज कर ली गई है, जो व्यक्ति की लाल रक्त कोशिकाओं और रोग प्रतिरोधक क्षमता पर हमला करती हैं। इस परजीवी पर अब कईं दवाइयां असर ही नहीं करती हैं। * विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार वर्ष 2007 में मलेरिया ने दुनियाभर में कुल आठ लाख 81 हजार लोगों की जान ले ली थी तथा 24 करोड़ 70 लाख इससे संक्रमित हुए थे। * ब्रिटेन में वेलकम टस्ट सांगेर के वैज्ञानिकों ने मलेरिया के ही एक परजीवी प्लास्मोडियम नोलेसी का जीनोम तैयार किया है। *यह परजीवी दक्षिण पूर्व एशिया में स्वास्थ्य के लिए खतरा बनता जा रहा है। * वैज्ञानिकों ने मुनष्य की रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रणाली की नजर से बचने के लिए इस परजीवी द्वारा अपनाए जाने वाले तिकड़म का भी पता लगा लिया है। इसके लिए यह मनुष्य की इस क्षमता में मौजूद एक जीन जैसा हुलिया अख्तियार कर लेता है। * मलेरिया से मरने वाले लोगों की सबसे ज्यादा तादाद अफ्रीका में है और ये मौतें प्लास्मोडियम फाल्सीपैरम परजीवी से होती है। इस परजीवी का जीनोम 2002 में तैयार कर लिया गया था।