Tuesday, May 5, 2009

कूड़े में मिली टीपू सुल्तान की पोशाक!

नई दिल्ली । इतिहास की एक अनमोल धरोहर कूड़े में पड़ी पाई गई है। यह धरोहर टीपू सुल्तान से संबंधित है। अब इसकी अहमियत पता चली है तो इसे आम जनता के लिए प्रदर्शित किए जाने की तैयारी चल रही है। अनुमान है कि इसकी नीलामी हुई तो 30 करोड़ रुपये से कम नहीं मिलेंगे। यह धरोहर सुल्तान की पोशाक के रूप में है। यह वही पोशाक है जिसे पहन कर अंग्रेजों से लड़ते हुए टीपू सुल्तान शहीद हुए थे।

श्रीरंगपट्टनम में महल के एक कमरे की सफाई के दौरान खून से सनी टीपू की पोशाक मिली। सिल्क का कुर्तानुमा यह परिधान पुराने कागज और रद्दी के बीच पड़ा था। हालांकि इस जानकारी पर आधिकारिक रूप से कोई कुछ नहीं कह रहा है। सरकार से कुछ कहते इसलिए भी नहीं बन रहा है, क्योंकि यह खबर सुल्तान की शहादत [4 मई, 1799] की 210वीं वर्षगांठ पर आई है।

ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना से लड़ते हुए मरने वाले टीपू सुल्तान के राज्य की राजधानी श्रीरंगपट्टनम ही थी। करीब दो सौ साल तक कूड़े में पड़े रहने के बाद उनकी जो धरोहर मिली है, उसमें टीपू पर शोध करने वाले टी.सी. गौड़ा की भूमिका अहम है। बेंगलूर में रहने वाले गौड़ा 120 किलोमीटर का सफर कर अक्सर इस महल में आते रहते हैं। उनका कहना है कि टीपू से जुड़ी वस्तुओं में यह कुर्ता बेहद महत्वपूर्ण है। यह वह पोशाक है जो उन्होंने ईस्ट इंडिया कंपनी की गोलियां खाते वक्त पहन रखी थी। टीपू की मौत किले में मैसूर की चौथी लड़ाई के दौरान हुई थी।

गौड़ा का कहना है कि इस पोशाक का संरक्षण करने के लिए विशेषज्ञों की मदद लेनी होगी। यह पोशाक इस वक्त श्रीरंगपट्टनम में टीपू सुल्तान वक्फ बोर्ड के पास है। बोर्ड 24 मई को इस पोशाक को एक प्रदर्शनी में प्रदर्शित कर सकता है।

टीपू के अंतिम दिन

- अपने शासनकाल के दौरान टीपू ने जो कुछ भी एकत्रित किया था, ईस्ट इंडिया कंपनी उनमें से ज्यादातर चीजें ले गई।

- ईस्ट इंडिया कंपनी टीपू को भारत का सबसे ताकतवर शासक मानती थी। दो युद्धों में टीपू ने कंपनी को करारे झटके दिए थे।

- हैदराबाद के निजाम और मराठों की मदद से 1799 में टीपू को मार दिया गया। टीपू के किले में करीब 50 हजार लोगों की सेना घुस गई, जिनका मुकाबला उन्होंने अपने साथियों के साथ पूरी बहादुरी के साथ किया।

अमूल्य धरोहर

- 2004 में विजय माल्या ने एक नीलामी में टीपू की तलवार डेढ़ करोड़ रुपये में खरीदी थी।

- इतिहासकारों के मुताबिक अगर कभी टीपू द्वारा पहनी अंतिम पोशाक नीलाम की गई तो उसकी बोली कम से कम 30 करोड़ रुपये लगेगी।