Saturday, April 26, 2008

टी आर पी रेटिंग क्या होती है.

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टी आर पी का मतलब है टेलिविज़न रेटिंग पौइन्ट्स. एक तरह से ये टेलिविज़न कार्यक्रमों की लोकप्रियता मापने का तरीक़ा है जिसमें विभिन्न कार्यक्रमों को अंक दिये जाते हैं. ये काम टेलिविज़न ऑडिएन्स मैज़रमैंट संस्था करती है. होता ये है कि टैम देश भर में कई छोटे बड़े शहरों का चयन करके उसमें विभिन्न वर्ग के लोगों के घर तलाश करती है और फिर उनके टेलिविज़न पर एक मीटर लगाती है. ये एक छोटा सा काला बक्सा होता है जो ये नोट करता है कि आपने कब कितनी देर कौन से टेलिविज़न चैनल का कौन सा कार्यक्रम देखा. महीने के अंत में ये आंकडे जुटाकर उनका विश्लेषण किया जाता है और उससे पता चलता है कि कौन सा कार्यक्रम कितना लोकप्रिय है.

बाटा शू कंपनी के संस्थापक कौन थे


Good News! बाटा शू कंपनी की स्थापना 1894 में तोहमहश बाहत्याह ने ज़्लिन में की थी जो अब चैक रिपब्लिक का शहर है. अगर इनका नाम रोमन लिपि में लिखा जाए तो टॉमस बाटा पढ़ा जाएगा. शायद इसीलिए दुनिया भर में यह बाटा के नाम से मशहूर हुआ. टॉमस बाटा के परिवार में कई पीढ़ियों से जूते बनाने का काम होता था. लेकिन जब पहला विश्व युद्ध छिड़ा तो सेना को भारी संख्या में जूतों की ज़रूरत पड़ी. बाटा ने इस ज़रूरत को समझा और औद्योगिक स्तर पर जूते बनाने का काम शुरू किया. इस कंपनी का मुख्यालय अब स्विट्ज़रलैंड के लौज़ैन शहर में है, 26 देशों में जूते बनाने की फ़ैक्टरियाँ हैं और 50 से भी अधिक देशों में इसके जूतों की दुकानें हैं.

हँसी का क्या मोल!

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मंद-मंद हँसी यानी मुस्कुराहट तो व्यक्तित्व में ख़ुशमिज़ाजी लाती ही है, अनेक स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि ज़ोर-ज़ोर से हँसना भी स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक है. जब हम हँसते हैं तो हमारे चेहरे की कई मांसपेशियां इसमें क्रियाशील होती हैं, हमारी भंवे चढ़ती हैं, हमारे कान हिलते हैं, आंखे मिचती हैं, नथुनें फूलते हैं, ऊपर का होंठ फैलता है, नीचे का होंठ हिलता है, ठोड़ी हिलती है, गाल पीछे होते हैं... कुल मिलाकर हमारे चेहरे की 53 मांसपेशियों का हँसने में कुछ न कुछ योगदान रहता है. हँसने में चेहरे की ही नहीं बल्कि जबड़े, गले, पेट और डाएफ़्राम की माँसपेशियाँ भी काम करती हैं. और अगर बहुत ज़ोर ज़ोर से हँसा जाए तो शायद शरीर की और माँसपेशियाँ भी क्रियाशील हो जाती होंगी.

याहू का पूरा नाम क्या है?


GoodNews! याहू डॉटकॉम की स्थापना अमरीका के स्टैनफ़र्ड विश्वविद्यालय में इलैक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में पीएचडी कर रहे दो छात्रों, डेविड फ़िलो और जैरी यांग ने 1994 में की थी. यह वेबसाइट जैरी ऐन्ड डेविड्स गाइड टू द वर्ल्ड-वाइड-वैब के नाम से शुरु हुई थी लेकिन फिर उसे एक नया नाम मिला, यट अनदर हाइरार्किकल ऑफ़िशियस ओरैकिल. जिसका संक्षिप्त रूप बनता है याहू. जैरी और डेविड ने इसकी शुरुआत इंटरनेट पर अपनी व्यक्तिगत रुचियों के लिंकों की एक गाइड के रूप में की थी लेकिन फिर वह बढ़ती चली गई. फिर उन्होंने उसे श्रेणीबद्ध करना शुरु किया. जब वह भी बहुत लम्बी हो गई तो उसकी उप-श्रेणियां बनाईं. कुछ ही समय में उनके विश्वविद्यालय के बाहर भी लोग इस वेबसाइट का प्रयोग करने लगे. अप्रैल 1995 में सैकोया कैपिटल कम्पनी की माली मदद से याहू को एक कम्पनी के रूप में शुरू किया गया. इसका मुख्यालय कैलिफ़ोर्निया में है और यूरोप, एशिया, लातीनी अमरीका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और अमरीका में इसके कार्यालय हैं.