
GoodNews!आसन को परिभाषित करते हुए महर्षि पतंजलि ने कहा है, "स्थिरं सुखम् आसनम्." इसका अर्थ यह है कि आसन वह है जिसके करने से मन एवं शरीर में स्थिरता आए और सुख का अनुभव हो.शुरू-शुरू में शरीर में इतनी लचक नहीं होती कि हम स्थिरतापूर्वक बैठकर ध्यान कर सकें. अब तक हमनें जोड़ों से संबंधित छोटे-छोटे आसन सीखें हैं.जिससे हमें मुख्य आसन सीखने में कोई...