Sunday, July 27, 2008

तंबाकू का पौधा कैंसर में बड़े काम की चीज


वॉशिंगटन : अमेरिकी वैज्ञानिकों ने तंबाकू के पौधे से 'लिम्फोमा' के वैक्सीन का विकास किया है। लिम्फोमा एक तरह का कैंसर होता है। कैलिफोर्निया की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के रिसर्चर तंबाकू के पौधे से लिम्फोमा के 'बी-सेल्स' के खिलाफ एक टीके का विकास कर रहे हैं। बीबीसी न्यूज ने बुधवार को बताया कि वैक्सीन को लिम्फोमा के मरीज के शरीर में प्रवेश कराया जाता है, ताकि शरीर में उन सेल्स से बचाव की क्षमता विकसित हो सके, जो लिम्फोमा की वजह बनती है। अगर यह प्रयोग सफल रहा, तो इसका मतलब यह होगा कि शरीर लिम्फोमा के सेल्स की पहचान कर उन्हें नष्ट कर सकेगा। 

शोध का नेतृत्व कर रहे रोनाल्ड लेवी ने कहा, 'यह तकनीक आश्चर्यचकित भी करती है, क्योंकि आप तंबाकू से कैंसर का इलाज़ करने का दावा कर रहे हैं।' इससे पहले पशुओं के सेल्स में यह प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने की कोशिश की गई, लेकिन उसमें मिली-जुली सफलता मिली। वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स पता लगाने के लिए इसका अभी कुछ ही मरीजों पर प्रयोग किया गया है। 

ताउम्र जवां बने रहना हो सकता है मुमकिन


पीटीआई(वॉशिंगटन)

जिंदगी भर जवां रहना आखिर कौन नहीं चाहेगा। अगर वैज्ञानिकों की मानें, तो उम्र बढ़ने के लिए जिम्मेदार जनेटिक प्रक्रिया को रोका जा सकता है।

रिसर्चर का कहना है कि बुढ़ापा की वजह शरीर में टूट-फूट नहीं, बल्कि एक जनेटिक प्रक्रिया होती है। अमेरिका की स्टैनफर्ड यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर के रिसर्चरों ने बुढ़ापे की वजहों की अब तक कि थ्योरी को गलत बताया है। इससे उम्मीद जगी है कि साइंस के जरिए उम्र को बढ़ने से रोका या इसे उम्र को कम किया जा सकता है। डिवेलपमंट बायॉलजी एंड जनेटिक्स के प्रोफेसर स्टुअर्ट किम ने बताया कि सभी लोग मानते हैं कि बुढ़ापा जंग लगने से होता है। लेकिन फिर आप इस बात को कैसे सही ठहराओगे कि जानवर बूढ़े नहीं होते। उन्होंने कहा कि कछुए 100 साल की उम्र में अंडे देते हैं और वेल 200 साल जीती हैं। 


हमारे आंकड़े शरीर में होने वाले डैमिज़ के मौजूदा मॉडल से बिल्कुल अलग हैं। किम का कहना है कि कछुए और वेल जैसे जानवरों के डीएनए में प्रोटीन और वसा के वही ब्लॉक होते हैं जैसे कि मानवों, चूहों या दूसरे गोल कृमियों में होते हैं। स्टडी के मुताबिक बुढ़ापे का रासायनिक सिद्धांत और फ्री रेडिकल्स में टूट-फूट सभी सेल्स के लिए एक होती है। इस तरह यह बताना काफी कठिन हो जाता है कि क्यों कुछ प्रजातियों की जीवन अवधि अलग-अलग होती है। प्रोफेसर किम और उनके सहयोगियों ने गोल कृमियों का अध्ययन किया और पाया कि युवा और बूढ़े कृमियों में उम्र बढ़ने की तस्वीर अलग-अलग होती है। किम के अनुसार मानवों में भी यही सिद्धांत लागू होना चाहिए। 

योग से बढ़ती है एड्स से लड़ने की ताकत


एनबीटीः मेडिटेशन से एड्स के दुष्प्रभावों को काफी हद तक कम किया जा सकता है। अमेरिकी रिसर्चरों का अनुमान है कि इससे मरीज़ों की प्रतिरोधक क्षमता में सुधार होता है। यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफॉर्निया के शोधकर्ताओं के मुताबिक अगर बड़े स्तर पर भी ऐसे ही नतीज़े सामने आए, तो निश्चित तौर पर एड्स के खिलाफ लड़ाई में यह एक सस्ता और बिना तकलीफ वाला तरीका होगा। 

टीम ने लॉस ऐंजिलिस के 67 एचआईवी पॉज़िटिव लोगों पर एक छोटा सा टेस्ट किया था। इन मरीजों को तनाव कम करने के एक प्रोग्राम में शामिल किया गया। इसे माइंडफुलनेस मेडिटेशन का नाम दिया। इसमें जोर दिया गया कि लोग अपनी चेतना को अतीत के दुख और भविष्य की चिंताओं में लगाने की जगह वर्तमान के बारे में सोचें। मरीजों द्वारा दो महीने के इस मेडिटेशन प्रोग्राम में हिस्सा लेने से पहले और बाद में उनके सीडी4-टी सेल की गिनती कि गई थी। जैसे-जैसे वॉलंटियरों ने मेडिटेशन का समय बढ़ाया उनके शरीर में सीडी4-टी सेल की संख्या में बढ़ोतरी देखी गई। इससे अंदाजा लगाया गया कि उनके शरीर का इम्यून सिस्टम या प्रतिरोधी तंत्र एड्स वायरस से आसानी से मुकाबला कर पा रहा है। 

इस स्टडी में अहम भूमिका निभाने वाले डेविड क्रेसवेल का कहना था कि स्ट्रेस मैनिजमंट प्रोग्राम और मेडिटेशन का सीधा असर एचआईवी की सक्रियता पर पड़ता है, और उसकी बढ़त धीमी पड़ जाती है। उन्होंने बताया कि ध्यान में भाग लेने वाले लगभग सभी लोग पहले तनाव से ग्रस्त थे। 

ब्रेन, बिहेवियर एंड इम्युनिटी नामके जर्नल में छपी रिपोर्ट के मुताबिक इस स्टडी में भाग लेने वाले अधिकतर वॉलंटियर पुरुष, अफ्रीकन-अमेरिकन, होमोसेक्सुअल और बेरोजगार थे। इसके अलावा ये एंटी रिट्रोवायरल इलाज भी नहीं करा रहे थे। 

मेडिटेशन की क्लास में आठ हफ्तों तक हर रोज दो-दो घंटे के सेशन चलते रहे। वॉलंटियरों ने पूरी तरह इसका आनंद उठाया। केसवेल का कहना है कि मेडिटेशन का यह तरीका ग्रुप बेस्ड और बहुत सस्ता है। अगर इसके शुरुआती नतीजे आगे भी मिलते रहते हैं तो यह एड्स से लड़ने के लिए दवाइयों के कोर्स के साथ-साथ एक बढि़या तरीका साबित होगा।