Sunday, January 11, 2009

जूस पिएं, स्वस्थ रहें


अभी तक यही माना जाता था कि फलों रस मोटापा बढ़ाता है। विशेषज्ञों द्वारा अभिभावकों को यही सलाह दी जाती थी कि वे अपने बच्चों को बहुत ज्यादा फ्रूट जूस न पिलाएं, क्योंकि वजन बढ़ने के लिए जिम्मेदारी कारणों में से एक यह भी है। किंतु हाल में हुए एक अघ्ययन में यह बात सामने आई है कि यदि फलों का रस 100 प्रतिशत शुद्ध हो और उसमें शर्करा न मिली हो, तो वह मोटापे का कारण नहीं बनता। इस अघ्ययन को टोरंटो में हुए पीडियाट्रिक ऎकेडमिक सोसायटीज की वार्षिक मीटिंग में प्रस्तुत किया गया। बच्चों पर किए गए अघ्ययन में यह पाया गया कि जो बच्चे 100 प्रतिशत फ्रूट जूस पीते थे उनका वजन नहीं बढ़ा। इस अघ्ययन के लिए पूरे कनाडा से प्रि-स्कूल एज बच्चों यानी वे बच्चे जिन्होंने औपचारिक रू प से स्कूल जाना आरंभ नहीं किया था, के आंकड़े इकट्ठे किए गए थे। शोधकर्ताओं ने यह नतीजा निकाला की 100 प्रतिशत फ्रूट जूस पीने से प्रि-स्कूली बच्चों के बॉडी मास इंडेक्स [बीएमआई] में वृद्धि नहीं हुई। बेयलर कॉलेज ऑफ मेडिसिन में चाइल्ड न्यूट्रीशन रिसर्चर डॉ. थेरेसा निकल्स के अनुसार, "हमने देखा की जो बच्चे बहुत जूस पीते हैं [100 प्रतिशत शुद्ध] वे ओवरवेट नहीं थे और उन्हें ओवरवेट होने का कोई जोखिम भी नहीं था।" आंकड़ों ने दर्शाया कि जूस न पीने वालों के मुकाबले शुद्ध फलों का जूस पीने वाले बच्चों ने कुल वसा, सैचुरेटिड फैट, सोडियम, शर्करा का कम सेवन किया। शुद्ध जूस पीने वालों ने जरू री पुष्टिकरों को भी खूब मात्रा में हासिल किया जैसे विटामिन- सी, पोटेशियम, मैग्नीशियम फोलेट, विटामिन बी 6 व आयरन। ऎसे बच्चों ने सेब इत्यादि फल भी खूब मात्रा में खाए।
यहां कुछ जानकारियां दी जा रही हैं जिनसे अभिभावक यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि उनके बच्चे पौष्टिक फ्रूट जूस ही पिएं।
* लेबल को ठीक से पढ़ें। देख लें कि उसमें लिखा हो कि यह 100 प्रतिशत फलों का रस है। हालांकि कुछ पेय पदार्थों में विटामिन्स एवं कैल्शियम मिलाए जाते हैं। लेकिन यदि वह शुद्ध फलों का रस न हो, तो वह उतना पौष्टिक नहीं होगा। ऎसा फ्रूट जूस चुनें जो पोषक तत्वों से भरपूर हो।
* ऎसे फ्रूट जूस पिएं जो कुदरती तौर पर से भरपूर हों जैसे संतरे का रस। बाकी अन्य फलों की बनिस्पत, 100 प्रतिशत ऑरेंज जूस में विटामिन सी, फोलेट, पोटेशियम और थियामिन अधिक मिलते हैं। आप एक बार में अपने बच्चों को जितने फल खिलाते हैं उससे अधिक पोषण संतरे के एक गिलास जूस में होता है। 
* सॉफ्ट ड्रिंक, कोल्ड ड्रिंक जैसे अस्वास्थ्यकर पेय पदार्थों तथा सेहत का दावा करने वाले रसायन युक्त हैल्थ ड्रिंक्स के बजाए ऎसे आहार को अपनाएं जो पूरी तरह शुद्ध एवं स्वास्थ्यकर हैं जैसे दूध, पानी, नारियल पानी, जूस।

कुछ अन्य शोध यह बताते हैं कि फलों एवं सब्जियों के प्रचुर मात्रा में सेवन करने से अल्जाइमर जैसे दिमागी विकार के विकसित होने का जोखिम भी कम हो जाता है। फलों व सब्जियों के रस में एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में होते जो कैंसर, मोटापे, मधुमेह व ह्वदय रोगों से बचाव करते हैं। सामान्य तौर पर उत्तम स्वास्थ्य के लिए एक दिन में 5 फल एवं सब्जियां खानी चाहिए। व्यावहारिक तौर पर यह संभव नहीं हो पाता तो जूस पी लेना आसान है।

सर गंगाराम हॉस्पिटल, नई दिल्ली में प्रिंसिपल डाइटीशियन शशि माथुर के अनुसार, "संतरे और मौसमी फलों में फाइटो कैमिकल होते हैं, जो विटामिन सी का अच्छा स्त्रोत हैं। विटामिन सी से एंटीऑक्सीडेंट मिलते हैं जिससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में इजाफा होता है। सोडा या जंक जूस के बजाय भोजन के साथ या स्नैक्स के समय अपने बच्चों को 100 प्रतिशत शुद्ध फ्रूट जूस दें। सुबह के नाश्ते में अपने बच्चे को ऑरेंज जूस दें साथ ही उसके लंच के साथ भी ऑरेंज जूस का एक कार्टन पैक कर सकते हैं।"
ऑरेंज जूस की विशेषताएं

ब्रेकफास्ट ड्रिंक के तौर पर मशहूर ऑरेंज जूस गुर्दे की पथरी से बचाता है। एक अघ्ययन के अनुसार रोज एक गिलास ऑरेंज जूस पीने से गुर्दे की पथरी होने की संभावना कम हो जाती है।

*संतरा- इसमें सबसे ज्यादा विटामिन सी और पोटेशियम होता है। यह फोलेट एवं थियामिन का अच्छा स्त्रोत है। इसमें कैंसर से लड़ने वाले फाइटो कैमिकल होते हैं।

*मौसमी- विटामिन सी के मामले में इसका दूसरा स्थान है।

*सेब- विटामिन सी होने के साथ-साथ यह वसा व कॉलेस्ट्रॉल से मुक्त होता है।

क्या आप जल्दी थकते हैं

क्या आप जल्दी थकते हैं
हो सकता है आपके रक्त की कमी
हो। अपने भोजन में लौह-तत्व की पूर्ति के लिए पत्तेदार सब्जियां और फलों का
सेवन खूब करना चाहिए।

भारत में रक्ताल्पता अर्थात् खून की कमी के रोगी सर्वाधिक हैं। यह अनुपात पुरूषों की अपेक्षा çस्त्रयों में अधिक है। शरीर में खून की मात्रा 4 से 6 लीटर होती है। जब खून में लाल रक्त कणिकाएं कम होने लगती हैं । इस रोग में रोगी का चेहरा पीला या काला, आंखें सफेद, शारीरिक कमजोरी, शीघ्रता से थकान, मानसिक अवसाद, स्नायु एवं स्मृति दौर्बल्य आदि लक्षण प्रकट होने लगते हैं। किसी भी प्रकार के रक्तालपता में कुछ प्रयास अत्यन्त लाभकारी हो सकते हैं।
करें आयरन की पूर्ति
इस रोग में खून में लौह तत्व की कमी आने लगती है, अत: अपने भोजन में लौह-तत्व की पूर्ति करने हेतु फलों में सेब, अंजीर, मुनक्का, अनार, पपीता व सब्जी में पालक, मेथी, गाजर, बथुआ, चुकंदर, खूबानी आदि को रात्रि को लोहे की कड़ाही में पानी के साथ 6 घंटे भिगोने के बाद प्रयोग करें, ऎसा करने से तेजी से खून में आयरन की मात्रा बढ़ेगी।
जरू री है विटामिन बी12
खून की कमी के दौरान शरीर को विटामिन बी12 की सख्त आवश्यकता होती है ,जो खून में लाल रक्त कणिकाओं को तेजी से बढ़ाता है। अनार, सेब, चुकंदर में पाए जाने वाला आयरन शरीर में पहुंचकर विटामिन बी12 में बदल जाता है। यदि सुबह के समय पेट की मिट्टी पट्टी व एनीमा लेकर नीबू पानी व शहद के साथ फल व कच्ची सब्जियों का प्रयोग किया जाए, तो विटामिन बी12की पूर्ति होता है।
खनिज लवण हो आवश्यक
खून की कमी के दौरान शरीर में खनिज लवणों की कमी आ जाती है जो कि शरीर को पानी द्वारा पूर्ति नहीं हो पाती है। यदि इस दौरान शरीर को जैतून तेल से धूप मालिश व धूप सर्वांग मिट्टी लेप दिया जाए तो शरीर इस प्रक्रिया द्वारा खनिज लवणों की मूर्ति कर खून को कोबाल्ट, मैग्नीशियम, कॉपर आदि की पूर्ति कर चेहरा एवं त्वचा को कांतिमय बनाता है।
ऑक्सीजन हो पर्याप्त
खून की कमी का एक मुख्य कारण शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम होना भी है। जब शरीर में ऑक्सीजन प्रचुर मात्रा में उपलब्ध रहती है तो ऑक्सीजन श्वेत रक्त कणिकाओं व प्लाज्मा के संयोजन द्वारा लौह तत्व की पूर्ति कर लाल रक्त कणिकाओं की संख्या बढ़ाता है। जब शरीर में ऑक्सीजन शुद्ध एवं भरपूर पहुंचता है, तो खून के सारे अवयव ठीक कार्य करते हैं। ऑक्सीजन की पूर्ति के लिए सुबह की खुली ताजा हवा में तेज गति से घूमना आदि तेजी से शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करता है।
जीवंत हो भोजन
भोजन में जीवंत खाद्य पदार्थों को लें जैसे अंकुरित अनाज, दाल, फल, सब्जी, सलाद आदि। जीवंत भोजन नई कोशिकाओं को पैदा कर ऊर्जा देता है, नई कोशिकाएं शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा को बढ़ाकर खून की कमी को दूर करती हैं तथा साथ ही हरी दूब व गेहूं के जवारे का 50 से 60 मिग्रा. रस खून में हीमोग्लोबिन की मात्रा को तेजी से बढ़ाता है जिसे "ग्रीन ब्लड" कहा जाता है। अब तक की धारणा थी कि मांसाहार खून की कमी को पूरा करता है, कदापि नहीं! मांसाहार शरीर में हीम लौह की मात्रा के साथ-साथ कोलेस्ट्रॉल की मात्रा भी तेजी से बढ़ाता है जो कि दिल का दौरा व उच्च रक्तचाप के लिए जिम्मेदार है। प्रकृति में पाया जाने वाला क्लोरोफिल, आयरन व विटामिन्स खून की कमी को सही तरीके से पूरा करते हैं।
- डॉ. वीरेन्द्र अग्रवाल