Sunday, May 24, 2009

धूम्रपान न करें, न करने दें


स्मोकिंग इज नॉट एलाउड" या "यहां घूम्रपान करना मना है" अक्सर सार्वजनिक स्थलों पर ऎसे स्लोगन देखने को मिल जाते हैं फिर चाहे वो हवाई जहाज हो या बस या टे्रन या ऑफिस, रेस्टोरेंट या और कोई सार्वजनिक स्थल। हाल ही में वॉशिंगटन में रहने वाले आईटी कन्सल्टेंट 32 वर्षीय विकास गोयल अपने अपार्टमेंट मैनेजर से मिले एक पत्र को पाकर हैरत मे पड़ गए। उन्हें मिले इस लेटर में लिखा था कि या तो वे इस 1 जनवरी से अपने घर मे सिगरेट पीना बंद कर दें या कहीं और रहने का इंतजाम कर लें। विकास कहते हैं- वैसे ही रेस्टोरेंट, कार्यस्थल, सार्वजनिक स्थल, क्लबों और बारों में स्मोकिंग करने पर रोक है, और अब नौबत यहां तक आ गई है कि आप अपने खुद के घर में भी घूम्रपान नहीं कर सकते। यानी अब आने वाले दिनों में एक छोटा सा कोना ढूंढ पाना मुश्किल होगा जहां आराम से बैठकर सिगरेट के कश लगाए जा सकें।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार तम्बाकू का इस्तेमाल करने वाले लोगों को दिल की बीमारी, अलग-अलग प्रकार के कैंसर और इम्फेसिमा जैसी बीमारियों के साथ ही इनके ही समान अन्य कई बीमारियां होने का खतरा बना रहता है। संयुक्त राष्ट्र के 19 राज्यों और करीब 2300 शहरों, जिनमें न्यूयॉर्क, लॉस एंजिल्स, शिकागो और वॉशिंगटन शामिल हैं, ने सिगरेट पीने वालों के खिलाफ कानून जारी कर दिए हैं। भारत मे भी सार्वजनिक स्थानों पर सिगरेट पीना कानूनन अपराघ की श्रेणी में आता है।

तम्बाकू से बने पदार्थो पर कर बढ़ाने और तमाम रोक के बावजूद इसका सेवन करने वालों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। हाल ही में स्वास्थ्य मंत्री श्री अम्बूमणि रामदास द्वारा संसद में दिए गए वक्तव्य के अनुसार भारत में लगभग 25 करोड़ लोग सिगरेट या तंबाकू के सेवन में लिप्त हैं। यदि विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा उपलब्घ कराए गए आंकड़ों को देखें तो इनमें से 50 प्रतिशत यानी लगभग साढे़ बारह करोड़ लोग तम्बाकू के सेवन से होने वाली बीमारी के कारण समय से पहले मौत के मुंह में समा जाएंगे। एस्कार्ट हार्ट इंस्टीट्यूट एंड रिसर्च सेंटर के कार्डियोलॉजी विभाग के निदेशक डॉ. आर.आर. कासलीवाल कहते हैं "तीस से चालीस साल की उम्र के लोगों में होने वाले हार्ट अटैक के पीछे सिगरेट पीना सबसे बड़ा कारण है।

सबसे बड़ी बात यह है कि मरीज बीमारी के पूरी तरह विकसित होने के बाद या फिर जब उसे स्मोकिंग छोड़ने की सलाह दी जाती है, उसके बाद ही हमारे पास आता है।" विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दुनिया में होने वाली मौतों की पीछे तम्बाकू का सेवन दूसरा सबसे बड़ा कारण है। विश्व में प्रतिवर्ष होने वाली मौतों में 10 में से एक वयस्क मौत इसके कारण होती है। इंडियन मेडिकल काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के अनुसार भारत मे प्रतिवर्ष होेने वाली 10 लाख मौतों के लिए तम्बाकू का सेवन जिम्मेदार है। यानी प्रतिदिन लगभग 3000 मौतें।"कई बार लोग चाहते हुए भी तम्बाकू के सेवन की यह लत छुड़ा पाने में सफल नहीं हो पाते ऎसे में काउंसिलिंग, निकोटिन रिप्लेसमेंट थैरेपी और दवाइयों के माघ्यम से स्मोकिंग छोड़ने वाले लोगों की मदद की जाती है। अपोलो हॉस्पिटल के रिस्पायरेटरी मेडिसीन विभाग के सीनियर कंस्लटेट डॉ. राजेश चावला कहते हैं यदि स्मोक करने वाले स्वयं इससे छुटकारा पाने की मानसिकता बना लें तो इससे दूर होना आसान हो जाएगा।

फैक्ट फाइल

*तम्बाकू ही वैघानिक रूप से उपलब्घ एक ऎसा कंज्यूमर प्रोडेक्ट है जो इंसानों की मौत का सीघे जिम्मेदार है।
*तम्बाकू का उपयोग मृत्यु के लिए जिम्मेदार दूसरा सबसे बड़ा कारण है।
*यदि स्मोकिंग करने वाले इसी तादाद में बढ़ते रहे तो सन् 2020 तक प्रतिवर्ष मरने वालों की संख्या 1 करोड़ होगी।
*भारत में तम्बाकू के सेवन से प्रतिवर्ष करीब 10 लाख लोग मौत को गले लगाते हंैं।
*घूम्रपान करने वाले इसके रूप में करीब 4000 केमिकल कम्पाउंड निगलते हैं, जो कि गैस या छोटे-छोटे कणों के रूप में होते हैं।
*कैंसर से होने वाली मौतों में 30 प्रतिशत के लिए तम्बाकू का सेवन जिम्मेदार है।

कितने कदम चलते हैं

स्वस्थ रहने के लिए रोजाना कम से कम दस हजार कदम चलने की मान्यता है। लेकिन, समस्या ये है कि इसे गिनें कैसे। शायद इसीलिए पीडोमीटर नाम के उपकरण की खोज हुई। ये उपकरण मापता है कि आप कब-कितना चले हैं। शुरूमें इसका इस्तेमाल खिलाड़ी किया करते थे। लेकिन, बाद में आम लोगों ने भी इसका प्रयोग शुरू कर दिया। ये एक छोटा सा उपकरण होता है, जिसे कमरबंद या पतलून में लगा लिया जाता है और दिनभर पहना जाता है। आम तौर पर लोग एक दिन में करीब तीन से चार हजार कदम चलते हैं।