Saturday, January 31, 2009

गांधी का अस्थिवाहक ट्रक फिर चलेगा

 महात्मा गांधी की अस्थियाँ जिस फ़ोर्ड ट्रक पर ले जाई गई थीं उसे इस वर्ष उनकी पुण्यतिथि पर एक समारोह में प्रदर्शित किया जाएगा.ये पुराना ट्रक 1948 के बाद से ही बंद पड़ा है और इलाहाबाद के एक संग्रहालय में बुरी अवस्था में रखा हुआ था.फ़िलहाल इस ट्रक की मरम्मत का काम चल रहा है और इस काम में लगे इंजीनियरों को ये देखकर हैरत हुई कि ट्रक का इंजन बिल्कुल दुरूस्त हैअधिकारी ये कोशिश कर रहे हैं कि इस ट्रक को 30 जनवरी को फिर से सड़क पर चलने लायक बनाया जा सके.इसके बाद 12 फ़रवरी को महात्मा गांधी के अस्थिकलश की यात्रा की ही तरह ट्रक के साथ एक और यात्रा निकाली जाएगी.
ऐतिहासिक यात्रा
58 साल पहले महात्मा गांधी की हत्या के बाद जब उनकी शवयात्रा निकली थी तो इसमें लाखों लोग शामिल हुए थे.महात्मा गांधी की अस्थियों को इलाहाबाद में संगम में प्रवाहित किया गया था.जब अस्थिकलश ट्रक पर ले जाया जा रहा था तो भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू इस ट्रक पर अस्थिकलश के साथ थे.नेहरू के साथ महात्मा गांधी के बेटे देवदास और भारत के पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल भी फ़ोर्ड ट्रक पर सवार हुए थे.12 फ़रवरी 1948 को महात्मा गांधी की अस्थियाँ इलाहाबाद में संगम में प्रवाहित की गई थीं और तब लाखों लोगों ने इस ट्रक के मार्ग में आकर गांधी को श्रद्धांजलि दी थी.
संग्रहालय

1947 में निर्मित इस फ़ोर्ड ट्रक को पहले सेना ने सज्जित कर फ़ायर ब्रिगेड पुलिस को सौंप दिया था.बाद में जब इलाहाबाद में एक संग्रहालय बना तो इस ऐतिहासिक ट्रक को वहाँ राष्ट्रीय संपत्ति बनाकर रख दिया गया.ट्रक पर पिछले साल अगस्त में नज़र पड़ी उत्तर प्रदेश के राज्य परिवहन निगम के निदेशक उमेश सिन्हा की.उमेश सिन्हा ने बीबीसी को बताया,"महात्मा गंधी की अंतिम यात्रा से जुड़ी ये गाड़ी हमारी धरोहर का अमूल्य हिस्सा है. यही सोचकर हमारे विभाग ने इसके जीर्णोद्धार की ज़िम्मेदारी ली".

मरम्मत

परिवहन अधिकारी इस ट्रक को मरम्मत के लिए अपने वर्कशॉप में ले जाना चाहते थे लेकिन संग्रहालय के नियम इसकी अनुमति नहीं देते थे.इस कारण मरम्मत का काम संग्रहालय के ही गैरेज में करना पड़ा.उत्तर प्रदेश पथ परिवहन निगम के क्षेत्रीय निदेशक पी आर बेलवारायर ने कहा,"इंजीनियर ये देखकर हैरान रह गए कि इतने दशकों तक पड़े रहने के बावजूद ट्रक का इंजन बिल्कुल ठीक था, बस उसे थोड़ा साफ़ करना पड़ा और वह बिल्कुल नए ट्रक के जैसा चलने लगा".सबसे अधिक मुश्किल आई ट्रक के लिए नए टायरों का प्रबंध करने में लेकिन टायर निर्माता कंपनी सिएट ने नए टायर उपलब्ध कराए जिसे लगा दिया गया है.अधिकारियों के अनुसार फ़िलहाल संग्रहालय में इस ट्रक को परीक्षण के तौर पर चलाया जा सकता है.

 

कराची की मोहन गली में गांधी जी


“इस तस्वीर को हमने इसलिए नहीं हटाया ताकि उन (भारतीयों) को एहसास हो जाए कि हम भी उन (गांधी) का सम्मान करते हैं. उनसे प्यार करते हैं और दोस्ती करना चाहते हैं.”यह शब्द 27 वर्षीय शहज़ाद बलोच के हैं जो कराची के उर्दू बाज़ार में स्थित अज़ीज़ मंज़िल नाम की एक इमारत में काम करते हैं जहाँ बालकनियों पर माहत्मा गांधी तस्वीर उकेरी गई है.यह एक तीन-मंज़िला सुंदर इमारत है जो उर्दू बाज़ार की मोहन गली में स्थित है. स्थानीय लोगों के अनुसार मोहन गली भी मोहनदास करमचंद गांधी के नाम पर ही है.शहज़ाद बलोच ने बीबीसी से बातचीत करते हुए कहा, “हम लोग इन तस्वीरों का अब भी सम्मान करते हैं और हर किसी को कहते हैं कि देखो हमारे पास अब भी गांधी साहब की तस्वीर मौजूद है.”शहज़ाद बलोच जैसे कई ऐसे युवक भी हैं जो यह नहीं जानते कि ये चित्र किसके हैं. किसी ने कहा कि इंदिरा गांधी के हैं और किसी ने उसे से राजीव गांधी का बताया.इसी इमारत में एक दुकानदार रफ़ीक़ ने गांधी जी के चित्रों पर आपत्ति जताई है. उनका कहना है, “जिन लोगों ने मकान लिया था शायद उनको पता नहीं था कि यहाँ कोई तस्वीर लगी हुई है, वर्ना और कोई भी होगा तो इसे नहीं रखेगा.”उन्होंने बताया कि घरों या इमारतों पर कोई तस्वीर लगाना इस्लाम के अनुरूप ठीक नहीं है.अज़ीज़ मंज़िल के एक निवासी ने तो अपने घर की बालकनी पर लगे गांधी के चित्र के ऊपर सीमेंट और चूना लगा दिया है जिस से वह चित्र मिट चुका है.

लेकिन मोहम्मद अनवर, जिनका इस इमारत में भी दुकान है, वे इस इमारत को अच्छी तरह जानते हैं. उन्होंने बताया कि इस इमारत का निर्माण 1933 में हुआ था और इस का मालिक विभाजन के बाद भारत चला गया था.उन्होंने कहा, “इस इमारत पर गांधी साहब के चित्र आम लोगों और पर्यटकों को बहुत आकर्षित करते हैं.”अनवर ने बताया कि पहले विदेशी पर्यटक यहाँ आते थे, गांधी साहब के चित्र को देख कर ख़ुश होते थे और तस्वीरें खींचते थे. उनके अनुसार अब स्कूल वाले बच्चों को यह चित्र दिखाने आते हैं.कराची शहर में माहत्मा गांधी के नाम पर ओर भी कई स्थान थे और विभाजन के बाद उनके नाम बदल दिए गए थे.चिड़ियाघर जो पहले ‘गांधी गार्डन’ के नाम से जाना जाता था, विभाजन के बाद उसका नाम बदल दिया गया और यह बना कराची गार्डन. इस तरह शहर से केंद्र में स्थित गांधी स्ट्रीट का नाम बदल कर याक़ूब स्ट्रीट रखा गया है.कराची के अतीत में झांकने पर पता चलता है कि इस शहर का महात्मा गांधी के साथ गहरा संबंध था. 

Friday, January 30, 2009

पाक फ़िल्मकार का अपहरणकर्ता कौन?


पाकिस्तान के जाने-माने फ़िल्म निर्देशक और वितरक सतीश आनंद के अपहरण को तीन महीने गुज़र गए हैं लेकिन पुलिस अभी तक उनके बारे में कुछ भी पता नहीं लगी सकी है.

सतीश आनंद को पिछले साल अक्तूबर में कराची में उस समय अग़वा कर लिया गया था, जब वो अपने घर से दफ़्तर जा रहे थे.

सतीश आनंद पाकिस्तान की एक अहम फ़िल्मी शख़्सियत हैं और उनके पिता जयसिंह आनंद भी फ़िल्म से जुड़े रहे हैं. उन्होंने पाकिस्तान में कई कामयाब फ़िल्में दी हैं.

वो भारतीय अभिनेत्री जूही चावला के क़रीबी रिश्तेदार भी हैं.

उनके घर वालों ने पुलिस में शिकायत कर रखी है लेकिन अभी तक पुलिस ने किसी गिरोह की शिनाख़्त नहीं की है और न ही उनके बारे में पता ही लगा सकी है.

शक तालेबान पर


सिटिज़न पुलिस लायज़न कमेटी के प्रमुख शरफ़ूद्दीन मेमन का कहना है कि वो तमाम पहलुओं की जाँच कर रहे है. हालाँकि वो इस अपहरण में किसी धार्मिक संगठन के शामिल होने से न तो इनकार कर रहे हैं और ना ही स्वीकार रहे हैं.

उनका कहना है, "पुलिस अपने तौर पर काम कर रही है और इस समय कुछ भी बताना मुनासिब नहीं है."

सतीश के अपहरण के बाद कराची में हिंदू बिरादरी में डर का माहौल है.

पाकिस्तान हिंदू काउंसिल के नेता रमेश कुमार का कहना है कि वो पुलिस की जाँच से संतुष्ट नहीं हैं.

रमेश कुमार का कहना है कि उन्होंने सतीश के घर वालों और सरकार से बातचीत की थी, लेकिन वो इस मामले को अधिक उछालना नहीं चाहते क्योंकि हो सकता है कि घर वाले डरे हुए हों और वो सीधे तौर पर घर वालों से नहीं मिल सके हैं.

उनका कहना है कि उनकी पुलिस से जो बात हुई है उससे उन्हें शक है कि इसमें तालेबान शामिल हो सकते हैं.

सतीश के अग़वा किए जाने के बाद उनके लाहौर दफ़्तर को भी ख़ाली करा लिया गया है.

Tuesday, January 20, 2009

गरीब देता है 495 रूपए की रिश्वत


जोधपुर । भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम छेडने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था ट्रांसपरेंसी इंटरनेशनल की ओर से राजस्थान में गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) जीवन व्यापन करने वाले लोगों पर हुए अनुसंधान में सामने आया कि एक बीपीएल परिवार को सालाना औसतन 495 रूपए रिश्वत के रूप में देने पडते हैं। रिश्वत नहीं दे पाने के कारण एक तिहाई लोग तो बीपीएल कार्ड तक हासिल नहीं कर पाए हैं। 
जोधपुर प्रवास पर आई ट्रांसपरेंसी इंटरनेशनल की भारत में कार्यकारी निदेशक अनुपमा झा ने सोमवार को "राजस्थान पत्रिका" से बातचीत में बताया कि राज्य की 5.6 लाख बीपीएल जनता रिश्वत के जाल में उलझी है।
ग्रामीण अधिक जानते हैं आरटीआई 
भ्रष्टाचार के मामले में सूचना का अधिकार (आरटीआई) सशक्त टूल साबित हो रहा है, लेकिन राज्य की 5.5 फीसदी जनता को ही आरटीआई की जानकारी है, इसमें भी सबसे अधिक ग्रामीण तबके के लोग है। 
एफआईआर में भी रिश्वत
ट्रांसपरेंसी इंटरनेशनल की रिपोर्ट में पुलिस महक मे को सबसे अधिक भ्रष्ट बताया गया है। चाहे एफआईआर दर्ज करवानी हो या ट्रेफिक पुलिस से वाहन छुडाना हो, हर मामले में पुलिस को रिश्वत देनी पडती है। पुलिस की तरह विद्युत विभाग, स्वास्थ्य, बैंक, जमीन-जायदाद, स्कूली शिक्षा में भी काफी भ्रष्टाचार व्याप्त है। जल विभाग में भ्रष्टाचार सबसे कम है। 
देश का 84 वां स्थान
भ्रष्टाचार के मामले में 180 देशों में भारत का 85 वां स्थान है। भारत को इंटीग्रिटी स्कोर में 10 में से 3.4 अंक मिले हैं, जो बहुत भ्रष्टाचार की तरफ इशारा करते हैं। सबसे कम भ्रष्ट देशों में फिनलैंड, स्वीट्जरलैंड, डेनमार्क व सिंगापुर देश है, जिनका स्कोर 9.5 तक है। 

Friday, January 16, 2009

'सर्वश्रेष्ठ' नौकरी ने मचाई खलबली

 ऑस्ट्रेलिया के पर्यटन विभाग ने जिस नौकरी को 'दुनिया की सर्वश्रेष्ठ नौकरी' बताया था, उससे इंटरनेट इस्तेमाल करने वालों में ऐसी खलबली मची है कि पर्यटन विभाग के लिए मुसीबत खड़ी हो गई है.

इस नौकरी के आवेदन स्वीकार करने के लिए जो विबसाइट बनाई गई थी, उस पर तीन दिनों में दस लाख से ज़्यादा 'हिट' आए हैं और वह वेबसाइट क्रैश कर गई है यानी उसने काम करना बंद कर दिया है.

ऑस्ट्रेलियाई पर्यटन विभाग को ऐसा व्यक्ति चाहिए जो क्वींसलैंड समुद्र तट के दूसरी ओर के द्वीपों की देखभाल कर सके और उनके बारे में जानकारी जुटा सके. इसके लिए कोई औपचारिक योग्यता अनिवार्य नहीं, उम्मीदवार को केवल तैराकी, गोता लगाने और नौका खेने का इच्छुक होना चाहिए.

इसके बदले में चुने गए प्रार्थी को छह महीनों में एक लाख तीन हज़ार डॉलर वेतन मिलेगा. इसके अलावा उसे तीन बेडरूम के पूल वाले विला में रहने को मिलेगी जिसका कोई किराया नहीं देना होगा.

इस व्यक्ति को एक महीने में केवल 12 घंटे काम करना होगा और उसकी ड्यूटी में मछलियों की करीब सौ प्रजातियों को खाना खिलाना और द्वीप के पत्रों को एकत्र करना शामिल है. क्षेत्र में पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए उसे एक ब्लॉग, एक फ़ोटो डायरी और कुछ वीडियो भी बनाने होंगे.

इस पद का विज्ञापन ऑस्ट्रेलिया के व्हिटसनडे द्वीपसमूह के हैमिल्टन द्वीप के 'केयरटेकर' के रूप में किया गया है.

जुलाई से काम करना होगा

पर्यटन विभाग को पहले ही 2000 वीडियो आवेदन मिले हैं और आवेदन देने की अंतिम तिथि 22 फ़रवरी तक अधिकारियों को हज़ारों और आवेदन मिलने की संभावना है.

इसके बाद मई में दस उचित उम्मीदवारों की सूची तैयार की जाएगी.

टॉरिज़म क्वीन्सलैंड की वेबसाइट पर जाने वाले वोट के आधार पर एक और उम्मीदवार का चयन करेंगे.

फिर उम्मीदवारों को चार दिन की अंतिम इंटरव्यू प्रक्रिया के लिए बुलाया जाएगा और सफल उम्मीदवार एक जुलाई से काम शुरु कर देगा.

 

संबंधों की गहराई तय करते सुर्ख़ लब


कहते हैं कि एक तस्वीर हज़ार शब्दों के बराबर होती है लेकिन क्या एक चुंबन हज़ार बातें कह सकता है....युवतियों की मानें तो शायद हां...

एक अमरीकी विश्वविद्यालय में युवाओं के बीच किए गए एक शोध में यह बात सामने आई है कि युवतियां संबंधों के निर्धारण में चुंबन को सबसे अधिक महत्व देती हैं.

न्यूयॉर्क राज्य विश्वविद्यालय की एक टीम ने लगभग 1000 विद्यार्थियों से इस बारे में सवाल पूछे.

इवोल्यूशनरी साइकोलॉजिस्ट नाम के जर्नल में छपे शोध में कहा गया है कि लड़कियाँ संभावित साथी को समझने के लिए चुंबन को एक तरीके के रूप में अपनाती हैं और इसी आधार पर संबंधों की घनिष्ठता का स्तर तय करती हैं.

वहीं दूसरी तरफ पुरुषों ने चुंबन को कम महत्व दिया और इसे सिर्फ़ शारीरिक संबंध बनाने से जोड़कर देखा.

शोध के दौरान पता लगा कि पुरुष इस बारे में बहुत भेदभाव नहीं करते कि किसका चुंबन ले रहे हैं या किस के साथ शारीरिक संबंध बना रहे हैं.

महत्व

शोध में पाया गया कि पुरुष किसी के भी साथ शारीरिक संबंध बनाने पर राज़ी थे. पुरुषों ने चाहे दूसरे साथी का चुंबन न लिया हो, उसके प्रति आकर्षित न हों या उसे ख़राब चुंबन करने वाला समझते हों फिर भी वो शारीरिक संबंध बनाने के लिए सहमत थे.

लंबे समय के संबंधों में महिलाओं ने चुंबन को पुरुषों से अधिक महत्व दिया और कहा कि पूरे संबंध के दौरान चुंबन का बहुत महत्व होता है.

वहीं पुरुषों का कहना था कि जैसे-जैसे संबंध पुराना होता जाता है वैसे-वैसे चुंबन का महत्व और कम होता जाता है.

महिलाओं और पुरुषों में चुंबन के तरीके को लेकर भी अंतर देखने को मिला.

शीर्ष शोधकर्ता डॉक्टर गॉर्डन गैलप ने कहा कि समय के साथ चुंबन प्रेम-संबंध का एक ज़रूरी हिस्सा बन गया है.

लेकिन उन्होंने यह भी कहा, "महिलाओं और पुरुषों दोनों ही चुंबन से फ़ायदा पाते हैं लेकिन जीवनसाथी की खोज में चुंबन के महत्व पर दोनों में अलग-अलग राय देखने में मिली."

तो फिर युवक हों या युवती...आपको भी चुंबन पर ध्यान देना पड़ सकता है.

 
 

Sunday, January 11, 2009

जूस पिएं, स्वस्थ रहें


अभी तक यही माना जाता था कि फलों रस मोटापा बढ़ाता है। विशेषज्ञों द्वारा अभिभावकों को यही सलाह दी जाती थी कि वे अपने बच्चों को बहुत ज्यादा फ्रूट जूस न पिलाएं, क्योंकि वजन बढ़ने के लिए जिम्मेदारी कारणों में से एक यह भी है। किंतु हाल में हुए एक अघ्ययन में यह बात सामने आई है कि यदि फलों का रस 100 प्रतिशत शुद्ध हो और उसमें शर्करा न मिली हो, तो वह मोटापे का कारण नहीं बनता। इस अघ्ययन को टोरंटो में हुए पीडियाट्रिक ऎकेडमिक सोसायटीज की वार्षिक मीटिंग में प्रस्तुत किया गया। बच्चों पर किए गए अघ्ययन में यह पाया गया कि जो बच्चे 100 प्रतिशत फ्रूट जूस पीते थे उनका वजन नहीं बढ़ा। इस अघ्ययन के लिए पूरे कनाडा से प्रि-स्कूल एज बच्चों यानी वे बच्चे जिन्होंने औपचारिक रू प से स्कूल जाना आरंभ नहीं किया था, के आंकड़े इकट्ठे किए गए थे। शोधकर्ताओं ने यह नतीजा निकाला की 100 प्रतिशत फ्रूट जूस पीने से प्रि-स्कूली बच्चों के बॉडी मास इंडेक्स [बीएमआई] में वृद्धि नहीं हुई। बेयलर कॉलेज ऑफ मेडिसिन में चाइल्ड न्यूट्रीशन रिसर्चर डॉ. थेरेसा निकल्स के अनुसार, "हमने देखा की जो बच्चे बहुत जूस पीते हैं [100 प्रतिशत शुद्ध] वे ओवरवेट नहीं थे और उन्हें ओवरवेट होने का कोई जोखिम भी नहीं था।" आंकड़ों ने दर्शाया कि जूस न पीने वालों के मुकाबले शुद्ध फलों का जूस पीने वाले बच्चों ने कुल वसा, सैचुरेटिड फैट, सोडियम, शर्करा का कम सेवन किया। शुद्ध जूस पीने वालों ने जरू री पुष्टिकरों को भी खूब मात्रा में हासिल किया जैसे विटामिन- सी, पोटेशियम, मैग्नीशियम फोलेट, विटामिन बी 6 व आयरन। ऎसे बच्चों ने सेब इत्यादि फल भी खूब मात्रा में खाए।
यहां कुछ जानकारियां दी जा रही हैं जिनसे अभिभावक यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि उनके बच्चे पौष्टिक फ्रूट जूस ही पिएं।
* लेबल को ठीक से पढ़ें। देख लें कि उसमें लिखा हो कि यह 100 प्रतिशत फलों का रस है। हालांकि कुछ पेय पदार्थों में विटामिन्स एवं कैल्शियम मिलाए जाते हैं। लेकिन यदि वह शुद्ध फलों का रस न हो, तो वह उतना पौष्टिक नहीं होगा। ऎसा फ्रूट जूस चुनें जो पोषक तत्वों से भरपूर हो।
* ऎसे फ्रूट जूस पिएं जो कुदरती तौर पर से भरपूर हों जैसे संतरे का रस। बाकी अन्य फलों की बनिस्पत, 100 प्रतिशत ऑरेंज जूस में विटामिन सी, फोलेट, पोटेशियम और थियामिन अधिक मिलते हैं। आप एक बार में अपने बच्चों को जितने फल खिलाते हैं उससे अधिक पोषण संतरे के एक गिलास जूस में होता है। 
* सॉफ्ट ड्रिंक, कोल्ड ड्रिंक जैसे अस्वास्थ्यकर पेय पदार्थों तथा सेहत का दावा करने वाले रसायन युक्त हैल्थ ड्रिंक्स के बजाए ऎसे आहार को अपनाएं जो पूरी तरह शुद्ध एवं स्वास्थ्यकर हैं जैसे दूध, पानी, नारियल पानी, जूस।

कुछ अन्य शोध यह बताते हैं कि फलों एवं सब्जियों के प्रचुर मात्रा में सेवन करने से अल्जाइमर जैसे दिमागी विकार के विकसित होने का जोखिम भी कम हो जाता है। फलों व सब्जियों के रस में एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में होते जो कैंसर, मोटापे, मधुमेह व ह्वदय रोगों से बचाव करते हैं। सामान्य तौर पर उत्तम स्वास्थ्य के लिए एक दिन में 5 फल एवं सब्जियां खानी चाहिए। व्यावहारिक तौर पर यह संभव नहीं हो पाता तो जूस पी लेना आसान है।

सर गंगाराम हॉस्पिटल, नई दिल्ली में प्रिंसिपल डाइटीशियन शशि माथुर के अनुसार, "संतरे और मौसमी फलों में फाइटो कैमिकल होते हैं, जो विटामिन सी का अच्छा स्त्रोत हैं। विटामिन सी से एंटीऑक्सीडेंट मिलते हैं जिससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में इजाफा होता है। सोडा या जंक जूस के बजाय भोजन के साथ या स्नैक्स के समय अपने बच्चों को 100 प्रतिशत शुद्ध फ्रूट जूस दें। सुबह के नाश्ते में अपने बच्चे को ऑरेंज जूस दें साथ ही उसके लंच के साथ भी ऑरेंज जूस का एक कार्टन पैक कर सकते हैं।"
ऑरेंज जूस की विशेषताएं

ब्रेकफास्ट ड्रिंक के तौर पर मशहूर ऑरेंज जूस गुर्दे की पथरी से बचाता है। एक अघ्ययन के अनुसार रोज एक गिलास ऑरेंज जूस पीने से गुर्दे की पथरी होने की संभावना कम हो जाती है।

*संतरा- इसमें सबसे ज्यादा विटामिन सी और पोटेशियम होता है। यह फोलेट एवं थियामिन का अच्छा स्त्रोत है। इसमें कैंसर से लड़ने वाले फाइटो कैमिकल होते हैं।

*मौसमी- विटामिन सी के मामले में इसका दूसरा स्थान है।

*सेब- विटामिन सी होने के साथ-साथ यह वसा व कॉलेस्ट्रॉल से मुक्त होता है।

क्या आप जल्दी थकते हैं

क्या आप जल्दी थकते हैं
हो सकता है आपके रक्त की कमी
हो। अपने भोजन में लौह-तत्व की पूर्ति के लिए पत्तेदार सब्जियां और फलों का
सेवन खूब करना चाहिए।

भारत में रक्ताल्पता अर्थात् खून की कमी के रोगी सर्वाधिक हैं। यह अनुपात पुरूषों की अपेक्षा çस्त्रयों में अधिक है। शरीर में खून की मात्रा 4 से 6 लीटर होती है। जब खून में लाल रक्त कणिकाएं कम होने लगती हैं । इस रोग में रोगी का चेहरा पीला या काला, आंखें सफेद, शारीरिक कमजोरी, शीघ्रता से थकान, मानसिक अवसाद, स्नायु एवं स्मृति दौर्बल्य आदि लक्षण प्रकट होने लगते हैं। किसी भी प्रकार के रक्तालपता में कुछ प्रयास अत्यन्त लाभकारी हो सकते हैं।
करें आयरन की पूर्ति
इस रोग में खून में लौह तत्व की कमी आने लगती है, अत: अपने भोजन में लौह-तत्व की पूर्ति करने हेतु फलों में सेब, अंजीर, मुनक्का, अनार, पपीता व सब्जी में पालक, मेथी, गाजर, बथुआ, चुकंदर, खूबानी आदि को रात्रि को लोहे की कड़ाही में पानी के साथ 6 घंटे भिगोने के बाद प्रयोग करें, ऎसा करने से तेजी से खून में आयरन की मात्रा बढ़ेगी।
जरू री है विटामिन बी12
खून की कमी के दौरान शरीर को विटामिन बी12 की सख्त आवश्यकता होती है ,जो खून में लाल रक्त कणिकाओं को तेजी से बढ़ाता है। अनार, सेब, चुकंदर में पाए जाने वाला आयरन शरीर में पहुंचकर विटामिन बी12 में बदल जाता है। यदि सुबह के समय पेट की मिट्टी पट्टी व एनीमा लेकर नीबू पानी व शहद के साथ फल व कच्ची सब्जियों का प्रयोग किया जाए, तो विटामिन बी12की पूर्ति होता है।
खनिज लवण हो आवश्यक
खून की कमी के दौरान शरीर में खनिज लवणों की कमी आ जाती है जो कि शरीर को पानी द्वारा पूर्ति नहीं हो पाती है। यदि इस दौरान शरीर को जैतून तेल से धूप मालिश व धूप सर्वांग मिट्टी लेप दिया जाए तो शरीर इस प्रक्रिया द्वारा खनिज लवणों की मूर्ति कर खून को कोबाल्ट, मैग्नीशियम, कॉपर आदि की पूर्ति कर चेहरा एवं त्वचा को कांतिमय बनाता है।
ऑक्सीजन हो पर्याप्त
खून की कमी का एक मुख्य कारण शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम होना भी है। जब शरीर में ऑक्सीजन प्रचुर मात्रा में उपलब्ध रहती है तो ऑक्सीजन श्वेत रक्त कणिकाओं व प्लाज्मा के संयोजन द्वारा लौह तत्व की पूर्ति कर लाल रक्त कणिकाओं की संख्या बढ़ाता है। जब शरीर में ऑक्सीजन शुद्ध एवं भरपूर पहुंचता है, तो खून के सारे अवयव ठीक कार्य करते हैं। ऑक्सीजन की पूर्ति के लिए सुबह की खुली ताजा हवा में तेज गति से घूमना आदि तेजी से शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करता है।
जीवंत हो भोजन
भोजन में जीवंत खाद्य पदार्थों को लें जैसे अंकुरित अनाज, दाल, फल, सब्जी, सलाद आदि। जीवंत भोजन नई कोशिकाओं को पैदा कर ऊर्जा देता है, नई कोशिकाएं शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा को बढ़ाकर खून की कमी को दूर करती हैं तथा साथ ही हरी दूब व गेहूं के जवारे का 50 से 60 मिग्रा. रस खून में हीमोग्लोबिन की मात्रा को तेजी से बढ़ाता है जिसे "ग्रीन ब्लड" कहा जाता है। अब तक की धारणा थी कि मांसाहार खून की कमी को पूरा करता है, कदापि नहीं! मांसाहार शरीर में हीम लौह की मात्रा के साथ-साथ कोलेस्ट्रॉल की मात्रा भी तेजी से बढ़ाता है जो कि दिल का दौरा व उच्च रक्तचाप के लिए जिम्मेदार है। प्रकृति में पाया जाने वाला क्लोरोफिल, आयरन व विटामिन्स खून की कमी को सही तरीके से पूरा करते हैं।
- डॉ. वीरेन्द्र अग्रवाल