Tuesday, June 3, 2008

गंजेपन का इलाज़ हो सकता है आसान

जो लोग गंजेपन से परेशान हैं उनके लिए एक अच्छी ख़बर है. आरंभिक जाँच में यह बात सामने आई है कि प्रयोगशालाओं में विकसित बालों की कोशिकाओँ के ज़रिए गंजेपन का इलाज़ संभव है.
इस तकनीक में आदमी के सिर के बचे बालों की कुछ कोशिकाओं को लेकर उसे प्रयोगशाला में कई गुणा बढ़ाया जाता है और फिर उसे सिर के उन हिस्सों मे प्रतिरोपित किया जाता है जहाँ बाल झड़ चुके होते हैं.
ब्रिटेन के शोधार्थियों का कहना है कि छह महीने के इस इलाज के बाद 19 में से 11 लोगों के सिर में नए बाल उग आए.
हालाँकि ब्रिटेन के एक विशेषज्ञ का कहना है कि इस प्रयोग में अभी और काम बाकी है जिससे नए बाल अच्छे नज़र आएँ.
आदमी में गंजापन अर्थात बालों का झड़ना (एंड्रोजेनेटिक एलोपेसिया) एक आनुवांशिक बीमारी है. पचास वर्ष की आयु के बाद क़रीब चालीस प्रतिशत लोग दुनिया में गंजेपन से पीड़ित हैं.
नई विधि
बालों के प्रतिरोपण की अभी जो विधि अपनाई जाती है उसमें सिर के बचे हुए बालों के बड़े गुच्छों को एनेस्थीज़िया यानी चेतनाशून्य करने वाली दवा की सहायता से मनचाहे हिस्सों में प्रतिरोपित कर दिया जाता है.
मुझे लगता है कि इससे बालों की देख भाल में क्रांतिकारी परिवर्तन आ जाएगा. जैसे ही लोगों को पता लगेगा कि वे गंजे हो रहे हैं वे इस विधि को अपना सकते हैं

कंपनी के वैज्ञानिक, डॉक्टर पॉल केंप
इस विधि की पूरी सफलता सिर के बचे हुए बालों पर निर्भर करती है. इसमें कोई नए बाल नहीं उगाए जा सकते हैं.
इस नई विधि को तैयार करने वाली ब्रिटेन की कंपनी इंटरसाइटेक्स का कहना है कि इसके सहारे प्रतिरोपण के लिए बालों की असंख्य कोशिकाएँ उपलब्ध कराई जा सकती हैं.
कंपनी का कहना है कि यदि अन्य जाँच भी सफ़ल रहे तो पाँच वर्षों में इस तकनीक को बाज़ार में लाया जा सकता है.
कंपनी के वैज्ञानिक डॉक्टर पॉल केंप ने कहा, "मुझे लगता है कि इससे बालों की देख भाल में क्रांतिकारी परिवर्तन आ जाएगा. जैसे ही लोगों को पता लगेगा कि वे गंजे हो रहे हैं, वे इस विधि को अपना सकते हैं."