Sunday, January 13, 2008

कामतुष्टि का रहस्य


वैज्ञानिकों का कहना है कि उन्होंने अंतत: महिलाओं की कामतुष्टि का रहस्य खोज निकाला है.

उनका कहना है कि उन्होंने उस तथाकथित ''जी-स्पॉट'' को ढूँढ निकाला है जो महिलाओं के शरीर में सेक्स का आवेग या ऑर्गैज़्म पैदा करता है.

शोधकर्ताओं का कहना है कि जिन महिलाओं को ऑर्गैज़्म तक पहुँचने में कठिनाई होती है या जो बिल्कुल ही नहीं पहुँच पातीं उन्हें इस खोज से लाभ होगा.

जी-स्पॉट

वो कहते हैं कि इस खोज से अब ऐसी दवाइयाँ बनाई जा सकेंगी जो ''जी-स्पॉट'' को सक्रिय कर सकेंगी.

ये स्पॉट या बिंदु योनि के कुछ सेंटीमीटर अंदर महिलाओं के पेट से लगे भाग की ओर होता है.



ये हास्यास्पद लग सकता है लेकिन सच है कि महिलाओं के शरीर के बारे में जानने के लिए हम लोग अब तक इंतज़ार करते रहे


डॉक्टर इमैनुएल जनीनी
अरनेस्ट ग्रैफ़नबर्ग नामक वैज्ञानिक ने 1950 में इसे ''जी-स्पॉट'' का नाम दिया था.

इस बिंदु के इर्द गिर्द स्कीन नामक ग्रंथियाँ पाई जाती हैं और समझा जाता है कि संभोग के दौरान महिलाओं के शरीर से निकलने वाले द्रव्य में इनकी अहम भूमिका होती है.

डॉक्टर इमैनुएल जनीनी और उनके साथियों ने पहले कुछ ऐसे पदार्थों को खोजने की कोशिश की जो ''जी-स्पॉट'' के आसपास सेक्स की प्रक्रिया में सहायक होते हैं.

शुरूआत पीडीआई5 नामक प्रोटीन की खोज से की गई.

यह प्रोटीन पुरूषों के लिए भी मायने रखता है क्योंकि आवश्यकता से अधिक होने पर यह नपुंसकता जैसी स्थिति पैदा करता है.

कामतुष्टि संभव

डॉक्टर जनीनी ने पाँच महिलाओं को इस प्रयोग में शामिल किया और उनकी योनि में इस प्रोटीन के अंश मिले.

यही खोज 14 मृत महिलाओं में किए जाने पर पता चला कि ये प्रोटीन ''जी-स्पॉट'' के आसपास जमा था लेकिन इनमें दो ऐसे मामले थे जिनमें इसकी मात्रा बहुत कम थी.

साथ ही ये भी पाया गया कि उनमें स्कीन ग्रंथियाँ भी नहीं थीं.

जनीनी ने इससे अनुमान लगाया कि ये महिलाएँ सेक्स के आवेग या ऑर्गैज़्म तक पहुँचने में अक्षम थीं.

उन्होंने कहा कि जिन महिलाओं में इस प्रोटीन और स्कीन ग्रंथियों की प्रचुर मात्रा होती है उनकी कामतुष्टि संभव होती है.

और उनका मानना है कि वायग्रा जैसी दवाइयाँ महिलाओं पर सबसे ज़्यादा कारगर हो सकती हैं.

एक साइंस पत्रिका से बात करते हुए उन्होंने कहा, ''ये हास्यास्पद लग सकता है लेकिन सच है कि महिलाओं के शरीर के बारे में जानने के लिए हमलोग अब तक इंतज़ार करते रहे.''

महिलाओं के लिए वायग्रा बनाने की दिशा में फ़ाइज़र नामक कंपनी भी काम कर रही है.

उनकी प्रवक्ता का कहना है कि अभी तक के परिणाम आशाजनक हैं लेकिन अभी महिलाएं इस दवा को न लें.

उन्होंने कहा कि इसका इस्तेमाल तभी किया जाए जब डॉक्टर इसकी सलाह दें.

यौन क्रिया से सिरदर्द?


यदि कोई पुरुष किसी 'कमज़ोर क्षण' में अपनी महिला साथी से कहे 'आज नहीं प्रिय, मेरे सिर में बहुत दर्द है', तो मान लीजिए कि वह सच ही बोल रहा है बहाना नहीं बना रहा है.

जर्मनी के कुछ अनुसंधानकर्ताओं ने इस तरह के सिरदर्द की जाँच शुरू कर दी है जिन्हें 'ऑर्गैस्मिक सिफ़ालगिया' का नाम दिया गया है.



आधे मरीज़ों का मानना था कि यदि वे यौन उत्तेजना बढ़ाने में जल्दबाज़ी न करें तो इससे बच सकते हैं


डॉक्टर फ़्रीस
उन्हें पता चला है कि इसका असर महिलाओं के मुक़ाबले पुरुषों में तीन गुना ज़्यादा होता है.

यह सिरदर्द आमतौर पर चरमसीमा के आसपास शुरु होता है और कई बार तो यह भयंकर होता है.

शोधकर्ताओं का मानना है कि सौ में से एक व्यक्ति को जीवन में कभी न कभी इस स्थिति से गुज़रना पड़ता है और कुछ लोगों के लिए तो यह सामान्य सी बात है.

अभी तक इसका सही कारण तो पता नहीं चल पाया है लेकिन लगता है कि यौनक्रिया के दौरान ख़ून का प्रवाह तेज़ हो जाने से यह स्थिति पैदा हो सकती है.

जर्मनी का यह दल इस रहस्य को सुलझाने की पूरी कोशिश में जुटा हुआ है.

वे इस बात पर ज़ोर दे रहे हैं कि इसका किसी विशिष्ट पार्टनर या यौन संबंधी आदतों से कोई संबंध नहीं है.

उन्होंने यह भी देखा है कि यह तकलीफ़ युवाओं को ज़्यादा होती है और आमतौर पर 20 से 25 वर्ष की आयु के बीच पहली बार महसूस होती है.

मंस्टर विश्विद्यालय के डॉक्टर फ़्रीस और डॉक्टर ईवर्स ने ऐसे कई लोगों का परीक्षण किया जो यौनक्रिया के दौरान सिरदर्द से परेशान रहते हैं.

डॉक्टर फ़्रीस का कहना है, "लगभग आधे मरीज़ों का मानना था कि यदि वे यौन उत्तेजना बढ़ाने में जल्दबाज़ी न करें तो इससे बच सकते हैं".

कुछ लोगों को दर्द निवारक गोलियाँ दी गईं लेकिन आम तौर पर पाया गया कि यह परेशानी समय के साथ अपने आप ही दूर हो जाती है.

'अकेलापन पुरुषों के लिए ख़तरनाक'


अकेलापन पुरुषों के लिए ख़तरनाक हो सकता है. अमरीका में किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि जो पुरुष अकेले होते हैं, उन्हें दिल का रोग होने का ख़तरा ज़्यादा होता है.
शोधकर्ताओं की सलाह है कि समाज में अन्य लोगों से मेल-जोल दिल के लिए अच्छा है.

अध्ययन से पता चला है कि जिन पुरुषों के दोस्त नहीं होते और परिवार से क़रीबी संबंध नहीं होते, उनके ख़ून में एक विशेष अणु की मात्रा ज़्यादा होती है.

अब इस अध्ययन से प्राप्त जानकारी को 'अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन' के सामने रखा जा रहा है.

ब्रिटेन में दिल के रोग के विशेषज्ञों का कहना है कि जो रोग सामाजिक तौर पर कटे हुए होते हैं उनकी खेल-कूद में दिलचस्पी कम और सिगरेट पीने की संभावना ज़्यादा होती है.

विशेषज्ञों का मानना है कि ये दोनो ही कारण दिल के रोग के ख़तरे को बढ़ाते हैं.

शोधकर्ताओं ने पूरे अमरीका में 62 वर्ष की औसत उम्र के 3267 पुरुषों और महिलाओं पर अध्ययन किया.

इन लोगों पर 1998 से 2001 के बीच परीक्षण किए गए.

इन लोगों से इनकी शादी, रिश्तेदारों और दोस्तों के साथ-साथ धार्मिक बैठकों इत्यादि में भाग लेने जैसी जानकारी भी ली गई.

शोधकर्ताओं ने पाया कि अकेलेपन का महिलाओं के दिल पर इस तरह का असर नहीं दिखा.

दिल के लिए क्यों अच्छा है लहसन


वैज्ञानिकों का कहना है कि उन्होंने यह रहस्य सुलझा लिया है कि क्यों लहसन खाने से हृदय स्वस्थ्य बना रहता है.
उनका कहना है कि मूल तत्व है, एलीसिन.

एलीसिन से ही सल्फ़र के यौगिक बनते हैं जिससे तेज़ गंध आती है और जिससे साँस में भी दुर्गंध बस जाती है.

वैज्ञानिकों का कहना है कि सल्फ़र के ये यौगिक लाल रक्त कोशिकाओं के साथ प्रतिक्रिया करते हैं और हाइड्रोजन सल्फ़ाइड बनाते हैं.

उनका कहना है कि हाइड्रोजन सल्फ़ाइड रक्त वाहिनियों को आराम पहुँचाता है और इससे रक्त का प्रवाह आसान हो जाता है.

यह शोध बर्मिंघम के 'यूनिवर्सिटी ऑफ़ अलाबामा' में किया गया है और 'नेशनल अकैडेमी ऑफ़ साइंसेस' के प्रकाशन में प्रकाशित हुआ है.

हालांकि ब्रिटेन के विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि लहसन की अतिरिक्त मात्रा खाने से साइट इफ़ेक्ट हो सकते हैं.

उल्लेखनीय है कि हाइड्रोजन सल्फ़ाइड वही रसायन है जिससे सड़े हुए अंडों जैसी गंध आती है और इस रसायन का उपयोग दुर्गंध फैलाने वाले बम बनाने में किया जाता है.

लेकिन जब इसकी सांद्रता कम होती हैं तो यह शरीर की कोशिकाओं के आपस में संपर्क क़ायम करने में अहम भूमिका निभाता है.

यह रक्त वाहिनियों की भीतरी सतह को आराम पहुँचाता है जिससे वाहिनियाँ नरम पड़ जाती हैं.

इसका असर यह होता है कि रक्तचाप या ब्लड प्रेशर कम हो जाता है और शरीर को कई अंगों तक ख़ून को ज़्यादा मात्रा में ऑक्सीजन ले जाने में सहायता मिलती है और इसके चलते हृदय पर दबाव कम हो जाता है.

प्रयोग

अलाबामा के वैज्ञानिकों ने चूहे की रक्त वाहिनियों को लहसन के रस में डूबोकर देखा.

उनका कहना है कि इसके नतीजे अद्भुत थे क्योंकि वाहिनियों के भीतर तनाव 72 प्रतिशत तक कम हो गया था.


हमारे प्रयोग के परिणाम बताते हैं कि खाने में लहसन को शामिल करना अच्छी बात है


डॉ डेविड क्राउस, प्रमुख शोधकर्ता

शोधकर्ताओं का कहना है कि सुपरमार्केट से ख़रीदे गए लहसन के रस के संपर्क में जब लाल रक्त कोशिकाओं को लाया गया तो वे तत्काल हाइड्रोजन सल्फ़ाइड का निर्माण करने लगे.

आगे किए गए प्रयोगों से पता चला कि यह प्रतिक्रिया रक्त कोशिकाओं के सतह पर ही होती है.

प्रमुख शोधकर्ता डॉ डेविड क्रॉउस का कहना है, "हमारे प्रयोग के परिणाम बताते हैं कि खाने में लहसन को शामिल करना अच्छी बात है."

उनका कहना था कि भूमध्यसागरीय और सुदूर पूर्व के इलाक़ों में, जहाँ लहसन का प्रयोग अधिक होता है, वहाँ हृदय रोग की शिकायतें कम पाई जाती हैं.

हालांकि ब्रिटिश हार्डफ़ाउंडेशन की हृदयरोग विभाग की नर्स जूडी ओ-सूलिवान का कहना है कि इस शोध से पता चलता है कि लहसन से दिल के रोगों में कुछ फ़ायदा हो सकता है.

लेकिन वे चेतावनी देकर कहती हैं कि इस बात के प्रमाण अपर्याप्त हैं कि लहसन का प्रयोग दवा के रुप में करने से हृदय रोग होने का ख़तरा कम हो जाता है.

अधिक काम से दिल का दौरा!


कहते हैं कि कड़ी मेहनत से कभी कोई मरा नहीं.

लेकिन शायद हमेशा यह सही न हो, और ज़रूरत से ज़्यादा काम से जान ही चली जाए, यह कहना है कि कुछ शोधकर्ताओं का.

एक नए शोध के अनुसार जो लोग हफ़्ते में 60 घंटे से अधिक काम करते हैं और पूरी नींद नहीं लेते है उन्हे दिल का दौरा पड़ने की संभावना कहीं अधिक होती है.

लंदन और जापान के शोधकर्ताओं के इस संयुक्त अध्ययन के अनुसार अधिक काम और नींद की कमी से रक्तचाप बढ़ता है और दिल के रोग का कारण बन सकता है.

हालाँकि अन्य विशेषज्ञों का कहना है कि इस संबंध को स्थापित करने के लिए अभी बहुत काम किया जाना बाकी है.

लेकिन एक आँकड़ा यह भी है कि पूरे यूरोप में सबसे अधिक समय तक इंग्लैंड के लोग काम करते हैं और वहीं लोग सबसे अधिक दिल के रोग के शिकार होते हैं.

दिल की बीमारी को बढ़ाने वाले कई कारण जाने-माने हैं जैसे धूम्रपान और खान-पीने की ख़राब आदतें.

लेकिन इन कारणों और तनाव, मानसिक दबाव और काम करने की आदतों से क्या संबंध हैं यह अभी पूरी तरह से समझा नहीं जा सका है.

इस नए शोध में सैकड़ों जापानी पुरूष शामिल थे. इनमें कुछ वे लोग शामिल थे जिन्हें दिल का दौरा पड़ चुका है और कुछ वे जिन को कभी नहीं पड़ा था.

पाया गया कि जिन पुरूषों को दिल का दौरा पड़ा है वे अन्य से कहीं अधिक काम करते थे और कम सोते थे.

हफ़्ते में 60 घंटे से अधिक काम करने वाले पुरूषों को दिल का दौरा पड़ने का ख़तरा उन पुरूषों के मुक़ाबले दुगना था जो 40 घंटे या उससे कम काम करते थे.

आराम हराम

सप्ताह में केवल दो दिन औसतन पाँच घंटे या उससे कम की नींद से दिल का दौरा पड़ने का ख़तरा दोगुना या तिगुना तक हो जाता है.

अधिक काम करने का दिल से क्या संबंध है यह अभी निश्चित नही किया जा सका है.लेकिन यह संभव है कि रक्तचाप में बढ़ोत्तरी और नींद की कमी से दौरा पड़ सकता है.

यह पहले ही सिद्ध किया जा चुका है कि दीर्घकालीन तनाव का दिल की कार्यप्रणाली पर असर पड़ता है.

लेकिन ब्रिटेन के एक विशेषज्ञ डॉ हैरी हेमिंग्वे का कहना है कि यह अभी सिद्ध नहीं किया जा सका है कि देर तक काम करने का कैसे प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है.

शोध आवश्यक

डॉ हेमिंग्वे ने बीबीसी को बताया,"संभव है कि इस शोध में अवसाद को शामिल नहीं किया गया हो जो कि एक कारण हो सकता है".

उन्होंने कहा "अवसाद से भी नींद पर असर पड़ता है और किसी मानसिक बीमारी से भी नींद आने में समस्या होती है".

उन्होंने कहा कि क्योंकि शोध में ह्रदय रोगी रहे लोगों से बाद में सवाल पूछे गए तो हो सकता है कि काम करने के घंटों और नींद के बारे में उनको जो याद हो वो सही न हो.

डॉ हेमिंग्वे ने कहा कि इस सिद्धांत को मानने के लिए अभी और काम किया जाना बाक़ी है.

पति से नोंकझोंक करती है तनाव मुक्त


यदि आप महिला हैं और स्वस्थ रहना चाहती हैं तो विशेषज्ञों की राय है कि आप अपने पति से झगड़ती रहें.
अमरीकी शोधकर्ताओं का कहना है कि जो महिलाएं अपने पति से नोंकझोंक करती हैं, उन्हें दिल के दौरे की कम संभावना रहती है.

अमरीकी हार्ट एसोशिएशन की पत्रिका ने एक शोध छापा है जिसमें कहा गया है कि जो पत्नियां अपने पति से झगड़े के दौरान चुप रहती हैं, उनके दिल के दौरे से मौत होने की चार गुना संभावना रहती है.

लेकिन ब्रितानी विशेषज्ञों का कहना है कि इन निष्कर्षों को सतर्कता के साथ स्वीकार करना चाहिए.

अमरीका में दस वर्षों के दौरान 3,700 लोगों पर यह अध्ययन किया गया.

बोस्टन यूनिवर्सिटी और विस्कोसिन स्थित एकर एपिडेमिलॉजी एंटरप्राइज़ेज के दल ने पाया कि शादी मर्द के लिए फ़ायदे का सौदा होती है.

उनके अनुसार अविवाहित मर्द की तुलना में शादीशुदा मर्द के दिल की बीमारी से मरने के आधी संभावना ही रहती है.

डॉक्टरों का कहना है कि उन्होंने शादी के उन तत्वों का पता लगा लिया है जो लोगों के स्वास्थ्य और जिंदगी को प्रभावित करते हैं.

तनाव

इसी पत्रिका में एक और शोध प्रकाशित हुआ है जिसमें अटलांटा के एक केंद्र ने 35 हज़ार महिलाओं के कामकाज और उसके दिल के संबंध के विषय में अध्ययन किया था.

ह्दय संबंधी समस्या बेरोज़गार महिलाओं में अधिक रहती है क्योंकि उन पर सामाजिक दबाव होता है


शेरी मार्शल विलियम्स, शोधकर्ता

इसमें पाया गया कि बेरोज़गार महिलाओं का स्वास्थ्य सबसे अधिक ख़राब रहता है.

ऐसी एक तिहाई महिलाओं को उच्च रक्तचाप की शिकायत पायी गई जबकि 2 फीसदी को दिल से संबंधित रोग पाए गए.

शोधकर्ता शेरी मार्शल-विलिम्स का कहना है कि ह्दय संबंधी समस्या बेरोज़गार महिलाओं में अधिक पाई गई क्योंकि उन पर नौकरी न ढ़ूंढ़ पाने का सामाजिक दबाव होता है.

ब्रिटिश हार्ट फाउंडेशन की डॉक्टर चार्मिन ग्रिफिथ्स का कहना है कि जीवन में तनाव दिल पर दो तरह से असर डालता है.

काम का भारी दबाव और समाज से कटी ज़िदगी दिल से जुड़ी बीमारियों की संभावना बढ़ा देती है.

दूसरा जिन लोगों में पहले से ही दिल के रोग से जुड़े कारक मौजूद होते हैं, उनमें भावुक कारण और जुड़ने से दिल के दौरे की संभावना बढ़ जाती है.

हालांकि नेशनल हार्ट फोरम के सर अलेक्ज़ेडर मैकारा का कहना है कि विभिन्न शोधों के इन निष्कर्षों पर सावधानी बरतनी चाहिए.

दबाव से बढ़ सकता है रक्तचाप


कार्यालयों में नौकरी करने वाले सावधान हो जाएं क्योंकि विशेषज्ञों का मानना है कि काम का अधिक दबाव झेलने वाले लोगों की उच्च रक्तचाप की संभावनाएं अधिक होती हैं.
कनाडा की लवाल यूनिवर्सिटी की टीम का मानना है कि अगर कोई ऐसी जगह काम करता है जहां तय समयसीमा, अधिक काम और कम समर्थन मिलता हो तो उच्च रक्तचाप जैसी बीमारी की संभावना बढ़ जाती है.

इस टीम ने अमेरिकन जर्नल ऑफ पब्लिक हेल्थ को बताया कि महिलाओं की तुलना में पुरुषों में ऐसा अधिक होता है.

दबाव

यह सर्वविदित है कि काम के अधिक दबाव से स्वास्थ्य ख़राब होता है. इससे दिल का दौरा पड़ सकता है, डिप्रेशन हो सकता है और लेकिन अब पता चल रहा है कि इसका असर रक्तचाप पर भी पड़ता है.

उल्लेखनीय है कि उच्च रक्तचाप के कारण दिल का दौरा पड़ने की संभावनाएं काफी बढ़ जाती हैं.

हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि उच्च रक्तचाप के कई और कारण हो सकते हैं मसलन अधिक शराब पीना, मोटापा, अधिक नमक का सेवन और व्यायाम नहीं करना.

डॉ चंतल गुईमॉट और उनकी टीम के ताज़ा शोध में कहा गया है कि काम के दबाव के अलावा ये तथ्य भी उच्च रक्तचाप की संभावनाएं बढ़ा देते हैं.

उनका कहना है कि काम का दबाव एक बड़ी परेशानी है जो किसी व्यक्ति के तंत्रिका तंत्र और ह्दय संबंधी कोशिकाओं को बुरी तरह प्रभावित करता है.

डॉ गुईमॉट का कहना है कि उनके शोध में यह बात बिल्कुल स्पष्ट रुप से सामने आई है कि ऐसे लोगों में परेशानियां अधिक बढ़ती है जहां कार्यालयों में उन्हें समर्थन नहीं मिलता है.

मानसिक दबाव संबंधी कार्यक्रम से जुड़ी क्रिस रो कहती हैं कि अब धीरे धीरे दबाव का शारीरिक पहलू भी सामने आने लगा है. कई लोग बहुत अधिक दबाव में काम करते हैं.

ब्रिटिश हार्ट फाउंडेशन की जून डेविसन भी इस शोध से सहमत हैं और कहती हैं कि लोगों को दबाव में काम करते वक्त अपने स्वास्थ्य की देखभाल ठीक ढंग से करनी चाहिए.

सक्रिय जीवन के साथ थोड़ी सी शराब...


एक बार फिर शोध से यह पता चला है कि स्वस्थ और सक्रिय जीवन शैली के साथ शराब की थोड़ी सी ख़ुराक आपकी आयु को बढ़ा सकती है.
हृदय से संबंधित एक यूरोपीय शोध पत्र के अनुसार इससे हृदय रोगों के कम होने की संभावना रहती है.

डेनिश के शोधार्थियों के एक दल ने पाया कि जो लोग सक्रिय जीवन जीते हैं उनमें हृदय रोगों के होने की संभावना कम रहती है. साथ ही यदि वे शराब का संतुलित मात्रा में सेवन करते हैं तो यह संभावना और भी कम हो जाती है.

हालांकि इंग्लैंड के विशेषज्ञों ने चेताया है कि लोगों को शराब पीने के लिए प्रोत्साहित नहीं करना चाहिए क्योंकि ज़्यादा शराब पीना स्वास्थ्य के लिए काफ़ी हानिकारक है.

शोधार्थियों ने क़रीब 12,000 पुरूष और महिलाओं का लगभग 20 वर्षों तक अध्ययन किया. इनमें से 1, 242 लोगों की मौत शोध के दौरान हृदय रोग से हो गई.

सक्रिय जीवन

उन्होंने पाया कि जो लोग किसी तरह का व्यायाम नहीं करते हैं या शराब नहीं पीते हैं उनमें हृदय रोगों के होने की संभावना उन लोगों से 49 प्रतिशत ज़्यादा रहती है जो लोग शराब पीते हैं या व्यायाम करते हैं या दोनों ही अपने जीवन में अपनाते हैं.


पहले के अध्ययन में यह बात उभर कर आई थी कि शराब का सेवन करने से कोलेस्टेरोल की मात्रा में वृद्धि होती है. साथ ही संभवतः रक्त के गाढेपन में कमी आती है जिससे हृदय रोगों के होने की संभावना कम होती है.

शोध निर्देशक और कोपेनहेगन नेशनल इंस्टीट्यूट ऑव पब्लिक हेल्थ के प्रो मोरटोन ग्रोनबेक ने कहा, "हमारे अध्ययन से यह पता चला है कि शारीरिक रूप से सक्रिय होने के साथ संतुलित शराब का सेवन करने से हृदय संबंधी रोगों के होने का ख़तरा कम हो जाता है."