Tuesday, October 30, 2007

तहलका रिपोर्ट: मोदी सरकार घेरे में

गुजरात दंगों पर तहलका की ताज़ा रिपोर्ट के बाद एक बार फिर राजनीति गरमा गई है. कांग्रेस सहित कई पार्टियों ने तहलका टेप में दिखाए गए लोगों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग की है.
लेकिन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने गुजरात सरकार पर लगाए गए आरोपों को ख़ारिज करते हुए इसे कांग्रेस की साज़िश बताया है.

उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती ने तो प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखकर गुजरात दंगों की सीबीआई जाँच का अनुरोध किया है.

भाजपा ने उन दावों को ख़ारिज कर दिया है कि गुजरात सरकार ने वर्ष 2002 में दंगों के दौरान मुसलमानों के ख़िलाफ़ हिंसा का समर्थन किया.

तहलका पत्रिका ने ख़ुफ़िया तरीक़े से फ़िल्माए गए वीडियो के आधार पर ये आरोप लगाए हैं. उस समय भी गुजरात में भाजपा की सरकार थी और मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ही थे.

तहलका के आरोपों वाले वीडियो को टेलीविज़न चैनल पर भी दिखाया गया. भाजपा ने इन आरोपों को सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी की साज़िश बताया है. गुजरात में दिसंबर में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं.

भाजपा के प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने तहलका की रिपोर्ट को ऐसा चुनावी स्टंट कहा है जिसे कांग्रेस ने तैयार कराया.

उन्होंने कहा कि यह अफ़वाहों और सुनी-सुनाई बातों पर आधारित एक स्टिंग ऑपरेशन था. तहलका की रिपोर्ट में कई ख़ुफ़िया वीडियो दिखाए गए हैं.

दावा

तहलका का दावा है कि पिछले छह महीने के दौरान फ़िल्माए गए इन वीडियो में कई कट्टरपंथी हिंदू नेताओं ने बताया है कि कैसे उन्होंने मुसलमानों के ख़िलाफ़ हिंसा की. इन हिंदू नेताओं में कई भाजपा के भी नेता थे.


गुजरात दंगों पर कई मामले अभी भी सुप्रीम कोर्ट के विचाराधीन है. तहलका टेपों को इस मामले में सबूत के तौर पर पेश किया जाना चाहिए. गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार मानवाधिकार के उल्लंघन की दोषी है


सीपीएम का बयान

तहलका साप्ताहिक के संपादक संकर्षण ठाकुर कहते हैं, "गोधरा के बारे में कई लोग कहते आ रहे हैं कि साबरमती एक्सप्रेस में लगी आग एक सुनियोजित साज़िश का परिणाम थी और उसके बाद भड़की सांप्रदायिक हिंसा एक प्रतिक्रिया. पर हमारी तफ़्तीश यह कहती है कि दरअसल साबरमती एक्सप्रेस के डिब्बे में लगी आग एक सोची समझी साज़िश नही थी और उसके बाद के दंगे एक सुनियोजित साज़िश का परिणाम थे."

भाजपा प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद इस रिपोर्ट के इस समय आने पर संदेह ज़ाहिर किया क्योंकि गुजरात में विधानसभा चुनाव केवल डेढ़ महीने दूर हैं.

उन्होंने कहा, "आज ऐसे समय पर जब गुजरात में चुनाव विकास के मुद्दे पर केंद्रित हों तो सांप्रदायिक तनाव फैलाने की इस कोशिश की हम भर्त्सना करते हैं.

दूसरी ओर कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की है वो दंगो से जुड़े मामलों को जल्द से जल्द निपटाए. पार्टी प्रवक्ता जयंती नटराजन ने एक बार फिर गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी का इस्तीफ़ा मांगा है.

उन्होंने कहा, "हम फिर यह कहते हैं की नरेंद्र मोदी गुजरात मे मुख्यमंत्री रहने का नैतिक अधिकार खो चुके हैं. अगर भारत में संविधान का कोई अर्थ है और मानव जीवन का कोई मूल्य है तो नरेंद्र मोदी को कुर्सी छोड़ देनी चाहिए."


गोधरा के बारे में कई लोग कहते आ रहे हैं कि साबरमती एक्सप्रेस में लगी आग एक सुनियोजित साज़िश का परिणाम थी और उसके बाद भड़की सांप्रदायिक हिंसा एक प्रतिक्रिया. पर हमारी तफ़्तीश यह कहती है कि दरअसल साबरमती एक्सप्रेस के डिब्बे में लगी आग एक सोची समझी साज़िश नही थी और उसके बाद के दंगे एक सुनियोजित साज़िश का परिणाम थे


संकर्षण ठाकुर, संपादक, तहलका

टाइम्स ऑफ़ इंडिया में अहमदाबाद के स्थानीय संपादक भरत देसाई कहते हैं कि गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी जान-बूझ कर चुप हैं और उनकी पार्टी विरोधियो पर तीखे प्रहार कर रही है.

देसाई का मानना है कि गुजरात दंगों के बाद नरेंद्र मोदी ने भारी सफलता हासिल की थी और इस ताज़ा रिपोर्ट के कारण एक बार फिर उन्हें फ़ायदा हो सकता है.

सरकारी आँकड़ों के मुताबिक़ वर्ष 2002 में गुजरात में हुए दंगों के दौरान एक हज़ार से ज़्यादा लोग मारे गए थे जिनमें अधिकतर मुसलमान थे. हालाँकि कई स्वतंत्र एजेंसियाँ मरने वालों की संख्या दो हज़ार तक बताती हैं.

गुजरात के गोधरा में एक ट्रेन में लगी आग में 59 हिंदुओं के मारे जाने के बाद दंगे भड़क उठे थे. आरोप है कि मुसलमानों की उग्र भीड़ ने इस ट्रेन में आग लगाई थी.

सुप्रीम कोर्ट और कई मानवाधिकार संगठनों ने गुजरात सरकार पर आरोप लगाया कि वह दंगों को रोकने में नाकाम रही. इस दंगों के लिए कई लोगों को दोषी ठहराया गया लेकिन अभी भी कई लोगों की भूमिका कठघरे में हैं.

आलोचना

वर्ष 2002 के दंगों के लिए गुजरात की नरेंद्र मोदी सरकार को ज़िम्मेदार ठहराते हुए मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) ने कहा है कि तहलका के टेपों को सबूत के तौर पर इस्तेमाल किया जाना चाहिए.


गुजरात दंगों के दौरान बड़ी संख्या में लोग मारे गए थे

पार्टी की पोलित ब्यूरो की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है, "गुजरात दंगों पर कई मामले अभी भी सुप्रीम कोर्ट के विचाराधीन है. तहलका टेपों को इस मामले में सबूत के तौर पर पेश किया जाना चाहिए. गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार मानवाधिकार के उल्लंघन की दोषी है."

दूसरी ओर केंद्रीय रेल मंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने तहलका टेपों के मद्देनज़र गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी की गिरफ़्तारी की मांग की है.

उन्होंने कहा, "तहलका टेपों ने गुजरात दंगों में मोदी सरकार की भूमिका को उजागर किया है. नरेंद्र मोदी को लोकसभा में विपक्ष के नेता लालकृष्ण आडवाणी का वरदहस्त मिला हुआ है. इसलिए आडवाणी भी इससे बच नहीं सकते."

लालू प्रसाद यादव ने इन दोनों नेताओं के ख़िलाफ़ आपराधिक मामला दर्ज करने और उन्हें गिरफ़्तार करने की मांग की. उन्होंने कहा कि गुजरात दंगे भारतीय लोकतंत्र और मानवता पर एक 'कलंक' हैं.

संगीत-प्रेमियों का एक और 'खिलौना'

संगीत प्रेमी अब वॉकमैन और एमपी3 की दुनिया से निकल कर आइपॉड की दुनिया में क़दम रख रहे हैं.

ऐप्पल का यह छोटा सा उपकरण दुकानों में हाथोंहाथ बिक रहा है और क्रिसमस के बाद की सेल का तो यह एक अहम हिस्सा बन गया है.

लंदन के स्टोर जॉन लुइस के माइक ख़ाल्फ़ी का कहना है, इसकी मांग आपूर्ति से कहीं बढ़ कर है.



इसकी मांग आपूर्ति से कहीं बढ़ कर है.


स्टोर के प्रभारी


ऐप्पल का कहना है कि वह ज़्यादा से ज़्यादा उपकरण मुहैया कराने का प्रयास कर रहा है लेकिन कई दुकानों को ग्राहकों से बाद के लिए ऑर्डर लेने पर मजबूर होना पड़ रहा है.

कंपनी के मुताबिक उसने इस वर्ष अक्तूबर तक दुनिया भर की दुकानों में तेरह लाख आइपॉड भेज दिए थे.

ख़ाल्फ़ी का कहना है, हमें हफ़्ते में एक या दो बार माल मिल रहा है लेकिन वह उतनी ही तेज़ी से बिक जाता है.


संगीत के दीवाने आइपॉड के दीवाने हैं

ऐप्पल के एक प्रवक्ता ने कहा कि उत्पादन बढ़ाने के हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं लेकिन मांग इतनी है कि कुछ ग्राहकों को निराश होना ही पड़ रहा है.

अमरीका के एक अख़बार ने ऐप्पल के सीनियर वाइस प्रेज़ीडेंट को यह कहते बताया कि दुनिया भर के स्टोरों में प्रति दस मिनट में एक आइपॉड बेचा जा रहा है.

इसकी लोकप्रियता का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि तकनालाजी की दो प्रमुख पत्रिकाओं ने इसे वर्ष 2003 में उपभोक्ता तकनालाजी के बेहतरीन नमूने के तौर पर चुना.

आइपॉड में दस हज़ार तक धुनें स्टोर की जा सकती हैं जो उपभोक्ता संगीत की वेबसाइटों या सीडी से डाउनलोड कर सकते हैं.

इसमें चित्र और अन्य फ़ाइलें भी स्टोर की जा सकती हैं.

'एमपी3 प्लेयर से बहरेपन का ख़तरा'

आइपॉड और अन्य पोर्टेबल म्यूज़िक प्लेयर की दिन-प्रतिदिन बढ़ती लोकप्रियता के मद्देनज़र विशेषज्ञों ने बहरेपन से प्रभावित लोगों की संख्या बढ़ने की आशंका व्यक्त की है.
विशेषज्ञों का कहना है कि हेडफ़ोन में तेज़ आवाज़ के साथ संगीत सुनना स्थायी बहरेपन का कारण बन सकता है.

ऑस्ट्रेलिया में सिडनी स्थित नेशनल एकॉस्टिक लैब के एक अध्ययन में पाया गया कि पर्सनल म्यूज़िक सिस्टम का उपयोग करने वाले एक चौथाई लोग ख़तरनाक स्तर पर ऊँची आवाज़ में संगीत सुनते हैं.

इधर ब्रिटेन में बहरेपन से प्रभावित लोगों के लिए राष्ट्रीय संस्थान आरएनआईडी ने लोगों को एमपी3 प्लेयर के इस ख़तरे से आगाह किया है.

हाल के वर्षों में पोर्टेबल म्यूज़िक प्लेयर की लोकप्रियता काफ़ी बढ़ गई है. इस उत्पाद के बाज़ार की अग्रणी कंपनी एप्पल अपने पोर्टेबल म्यूज़िक प्लेयर आइपॉड की दो करोड़ इकाई बेच चुकी है.

विशेषज्ञों की चेतावनी पर एप्पल कंपनी ने अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.

लगातार सुनना ज़्यादा ख़तरनाक

आरएनआईडी ने एक अध्ययन में पाया है कि 18 से 24 वर्ष के 39 फ़ीसदी युवा रोज़ाना एक घंटे से ज़्यादा समय तक पोर्टेबल म्यूज़िक प्लेयर सुनते हैं.


एमपी3 प्लेयर आज के युवाओं के फ़ैशन में हैं

ऐसे युवाओं में से 42 फ़ीसदी ने तो स्वीकार भी किया कि वो ऊँची आवाज़ में संगीत सुना करते हैं.

आरएनआईडी के अनुसार 80 डेसीबल से ऊँची आवाज़ बहरेपन का कारण बन सकती है. जबकि कुछ एमपी3 प्लेयर 105 डेसीबल तक ऊँची आवाज़ में संगीत बजा सकते हैं.

यूरोपीय बाज़ारों में उपलब्ध आइपॉड में यों तो सुरक्षित स्तर तक आवाज़ को सीमित करने की व्यवस्था होती है लेकिन कई बार लोग आवाज़ को और तेज़ करने के लिए इस प्रणाली में छेड़छाड़ करते हैं.

ब्रिटिश सोसायटी ऑफ़ ऑडियोलॉजी के प्रमुख ग्राहम फ़्रॉस्ट के अनुसार बहरेपन का ख़तरा इस बात पर निर्भर करता है कि कोई व्यक्ति कितनी ऊँची आवाज़ में और कितने समय तक पोर्टेबल म्यूज़िक प्लेयर का उपयोग करता है.

उन्होंने कहा, "यदि आप इन्हें कम समय तक सुनें और बीच-बीच में सुनना बंद किया करें तो यह लगातार संगीत सुनने के मुक़ाबले कहीं ज़्यादा सुरक्षित आदत होगी."

आई पॉड अब छूने भर से चलेगा

कंप्यूटर और आईपॉड की निर्माता कंपनी एप्पल ने अब संगीत सुनाने वाले उपकरणों की क़तार में अब एक ऐसा भी आईपॉड शामिल किया है जिसमें टच स्क्रीन होगी यानी उसके बटन दबाने के बजाय वह छूने भर से इशारा समझ लेगा.
इतना ही नहीं इस आईपॉड में बेतार इंटरनेट सुविधा भी होगी जिसे वाई फाई कहा जाता है और वेब ब्राऊज़र भी होगा यानी अगर संगीत प्रेमियों को घर से बाहर ही कोई नया गाना या एलबम डाउनलोड करने की ज़रूरत महसूस हो तो वह आसानी से कर सकते हैं.

टच स्क्रीन वाले इस आईपॉड को एप्पल के बॉस स्टीव जॉब्स ने एक संवाददाता सम्मेलन में जारी किया. स्टीव ने कंपनी के कुछ और म्यूज़िक प्लेयरों के संस्करण भी दिखाए.

स्टीप जॉब्स इस नए आईपॉड संस्करम को दिखाते हुए फूले नहीं समा रहे थे, "यह दुनिया के सात अजूबों में से एक है. यह एकदम ज़बरदस्त आईटम है."

एप्पल ने यह नया उपकरण ऐसे समय में जारी किया है जब अमरीका में छुट्टियों का मौसम आ रहा है और ऐसे मौक़ों पर अपने उपकरणों की बिक्री में ख़ासी तेज़ी देखता है, इस बार भी उसे यही उम्मीद है.

टच स्क्रीन वाले आईपॉड के इस्तेमाल करने वालों को उसमें बने हुए सफ़ारी ब्राउज़र के ज़रिए इंटरनेट का इस्तेमाल करने की सुविधा हासिल होगी. वे इसके ज़रिए आई ट्यून्स स्टोर में उपलब्ध गानों या एलबमों को भी डाउनलोड कर सकेंगे.

कॉफ़ी की दुकानों की चेन स्टारबक्स के साथ एप्पल का समझौता हुआ है कि स्टारबक्स के कैफ़े में बैठकर आईपॉड इस्तेमाल करने वाले संगीत प्रेमी वाई फाई आई ट्यून्स को मुफ़्त में इस्तेमाल करने की सुविधा देगा.

टच स्क्रीन वाले इस आईपॉड में संगीत प्रेमी स्थाई रूप से मौजूद चिन्हों के ज़रिये याहू, यू ट्यूब या गूगल सर्च इंजनों की सुविधा भी उठा सकते हैं.

टच स्क्रीन वाला आईपॉड दो संस्करणों में उपलब्ध होगा जिनमें से एक की मेमोरी 8 जीबी और दूसरे की 16 जीबी होगी. अमरीका में 8 जीबी वाले आईपॉड की क़ीमत 299 डॉलर होगी जबकि ब्रिटेन में यह 199 पाउंड होगी. 16 जीबी मेमोरी वाले संस्करण की क़ीमत 399 डॉलर और ब्रिटेन में इसकी क़ीमत 269 पाउंड होगी.

लेकिन बीबीसी संवाददाता का कहना है कि यूरोप में एप्पल के उपकरणों की क़ीमत आमतौर पर कुछ ज़्यादा ही होती है.

टच स्क्रीन वाले आईपॉड के ये संस्करण सितंबर 2007 के अंत तक बाज़ार में आने की संभावना है. साथ है एप्पल कंपनी यह भी घोषणा की है कि बड़े आकार वाला आई पॉड अब सिर्फ़ 80 जीबी और 160 जीबी संस्करणों में ही उपलब्ध होगा.

आई पॉड का संगीत क्रांति में हाथ!

मयूर विहार दिल्ली से दिगंबर झा ने पूछा है कि आई पॉड क्या होता है और इसका आविष्कार कहाँ हुआ था.
आई पॉड एक छोटा सा उपकरण है जिसमें संगीत संग्रह किया जा सकता है और उसे सुना जा सकता है. यह एम पी-3 और एईसी कम्प्रेशन ऐल्गोरिद्म पर आधारित तकनीक है. पहले लोग वॉकमैन जैसे ध्वनि उपकरण लेकर चला करते थे लेकिन उनमें संगीत सुनने के लिए कैसेट भी रखने पड़ते थे और बाद में कैसेट का स्थान सीडी ने लिया. एमपी-3 प्लेयर की की विशेषता यह है कि सारा संगीत डिजिटल तकनीक के सहारे इसमें भरा जा सकता है. आई पॉड भी एमपी-3 तकनीक का ही इस्तेमाल करता है. इसका विकास अक्तूबर 2001 में इलेक्ट्रॉनिक उपकरण बनाने वाली कंपनी ऐप्पल ने शुरू किया था. अब यह तकनोलॉजी काफ़ी आगे बढ़ चुकी है. अब इसमें वीडियो भी संग्रह करके देखे जा सकते हैं. अब एप्पल का ही आई फ़ोन बी आया है जिसमें मोबाइल फ़ोन और आई पॉड दोनों होते हैं इसके अलावा बहुत से मोबाइल फ़ोन चल पड़े हैं जिनमें संगीत सुनने और वीडियो बनाने की सुविधा होती है.

मलंगवा नेपाल से राजीव रंजन पूछते हैं कि महाभारत में जिस हस्तिनापुर का ज़िक्र आता है वह कहाँ है.

हस्तिनापुर उत्तर प्रदेश का एक छोटा सा नगर है जो मेरठ से 37 किलोमीटर और दिल्ली से 120 किलोमीटर दूर है. महाभारत काल में यह कौरवों की राजधानी हुआ करती थी. तब हस्तिनापुर गंगा के किनारे बसा था लेकिन कालांतरर में गंगा ने अपनी राह बदल ली. हस्तिनापुर में जैन मंदिर हैं, प्राचीन शिवलिंग हैं और एक घना जंगल है जिसे राष्ट्रीय उद्यान कहा जाता है. यहाँ तरह-तरह के जीव जंतु रहते हैं और सर्दी के मौसम में दूर अफ़ग़ानिस्तान, तुर्केमेनिस्तान, चीन और साइबेरिया से बहुत तरह के पक्षी यहाँ चले आते हैं.

क्रिकेट में फ़्री हिट का क्या मतलब होता है. यह सवाल किया है मिरदौल, अररिया बिहार से धीरेंद्र मंडल ने.

फ़्री हिट एक दिवसीय क्रिकेट में शुरू हुई थी और विशेष रूप से जब से 20-20 क्रिकेट शुरु हुई है. फ़्री हिट का मतलब यह है कि अगर किसी गेंदबाज़ ने नो बॉल कर दिया है तो अगली गेंद जो गेंदबाज़ फेंकेगा वह फ़्री हिट होगी. यानी उस गेंद पर बल्लेबाज़ किसी भी तरीक़े से बल्ला मारे वह न तो बोल्ड हो सकता है न कैच हो सकता है. बस एक तरीक़े से आउट हो सकता है और वो है या तो वह रन आउट हो जाए या स्टम्पिंग से आउट हो जाए.

कन्हरिया बाज़ार, पूर्णियां बिहार से दिलीप कुमार सेंचुरी और बिमला रानी सेंचुरी पूछते हैं कि फ्रांस का राष्ट्रीय दिवस कब मनाया जाता है.

फ्रांस का राष्ट्रीय दिवस 14 जुलाई को मनाया जाता है. इसे बैस्टील डे के नाम से जाना जाता है. इसी दिन 1789 में पेरिस की जनता ने बैस्टील जेल पर धावा बोला था. बैस्टील जेल राजशाही सत्ता का प्रतीक था. राजा जिसे चाहते जब तक चाहते इस जेल में क़ैद कर देते. राजपरिवार और राज दरबार बेहद पैसा ख़र्च करते थे, राज कोष ख़ाली हो चुका था, ख़राब मौसम से फ़सल नष्ट हो गई थी, आम लोगों को अपनी आय का 75 प्रतिशत टैक्स देना पड़ता था. ऊपर से दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में लड़ी जा रही लड़ाइयों के लिए पैसे की ज़रूरत थी लेकिन जब राजा लुई सोलहवें ने टैक्स बढ़ाने के लिए संसद बुलाई तो कई सदस्य तैयार नहीं हुए. उन्होंने अपनी अलग ऐसेम्बली बना ली और आम लोगों को अधिक अधिकार दिलाने की क़सम खाई. बस आम जनता उनके साथ हो ली और उन्होंने बैस्टील जेल पर हल्ला बोल दिया. फ़्रांस की क्रांति की शुरुआत यहीं से हुई.

अंतरिक्ष में जाने वाला प्रथम व्यक्ति कौन था. ढ़रहा, समस्तीपुर बिहार से राजेश कुमार सुमन.

सोवियत संघ के अंतरिक्ष यात्री यूरी गगारिन पहले व्यक्ति थे जिन्होंने अंतरिक्ष यात्रा की. 12 अप्रैल 1961 को उन्होंने वॉस्तॉक-1 अंतरिक्ष यान में बायकानूर अड्डे से उड़ान भरी और एक घंटे 48 मिनट बाद पृथ्वी का एक चक्कर लगाकर कज़ाख़स्तान में उतर गए.

अंतरिक्ष में यात्रा करने वाली पहली महिला कौन थी. ग्राम नौतनवा, दक्षिण टोला पश्चिमी चम्पारण बिहार से हंसराज कुमार.

अंतरिक्ष में यात्रा करने वाली पहली महिला थीं सोवियत संघ की वेलेंटीना व्लादीमीरोवना तेरेश्कोवा. इन्होंने वॉस्तॉक-6 मिशन पर 16 जून 1963 को उड़ान भरी और 71 घंटे में 48 बार पृथ्वी का चक्कर लगाकर कज़ाख़स्तान में उतरीं.

सार्क देशों की संख्या कितनी है. पूर्णियां बिहार से दिलीप कुमार और बिमला रानी.

साउथ एशियन ऐसोसिएशन फ़ॉर रीजनल कोऑपरेशन को संक्षेप में सार्क कहते हैं. यह दक्षिण एशियाई देशों के क्षेत्रीय सहयोग का एक संगठन है. इसकी स्थापना आठ दिसंहर 1985 को भारत, पाकिस्तान, बांगलादेश, भूटान, मालदीव, नेपाल और श्रीलंका ने की थी. सन् 2005 में ढाका में हुए सम्मेलन में अफ़ग़ानिस्तान को भी सदस्य के रुप में स्वीकार कर लिया गया और अप्रैल 2007 को दिल्ली में हुए चौदहवें सम्मेलन में अफ़ग़ानिस्तान ने हिस्सा लिया. यह संगठन इन देशों को मैत्री, विश्वास और आपसी समझ के लिए मिलकर काम करने और आर्थिक और सामाजिक विकास की प्रक्रिया को तेज़ करने का एक मंच प्रदान करता है.