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इस्लामाबाद। मोबाइल फोन आज हर किसी के काम आ रहा है। अपहर्ताओं ही नहीं, भिखारियों के भी। अपहर्ता फोन के जरिए फिरौती मांगते हैं तो भिखारी भीख मांगने के लिए लोगों को एसएमएस भेजते हैं। पाकिस्तान में भिखारियों ने मोबाइल फोन को अपने धंधे का हथियार बना लिया है।
पाकिस्तान के भिखारी हाईटेक जरूर हो गए हैं, लेकिन भीख मांगने का उनका अंदाज वही पुराना है। एसएमएस के जरिए भीख मांगते हुए भी वे अल्लाह को नहीं भूलते। उन्हीं के नाम पर भीख देने को कहते हैं। मसलन, लोगों के पास इस तरह के एसएमएस पहुंचते हैं, 'मैं एक गरीब आदमी हूं। मेरी बेटी अस्पताल में भर्ती है। यदि आप अल्लाह में यकीन रखते हैं तो कृपया मुझे दस रुपये देने का कष्ट करें। अल्लाह आपको बरकत देगा और हर तरह की परेशानियों से दूर रखेगा।'
हाईटेक भिखारियों ने अपनी औकात भी ज्यादा नहीं बढ़ाई है। वे एसएमएस भेज कर ज्यादा से ज्यादा सौ रुपये की ही मांग रखते हैं। व्यवसायी मुहम्मद उस्मान का दावा है कि उन्हें हर दिन ऐसे दस मैसेज मिलते हैं। अखबार 'डेली टाइम्स' ने उस्मान के हवाले से लिखा है, 'इन मैसेज को नजरअंदाज करना मुश्किल है।'
दरअसल, अल्लाह के नाम पर मांगे जाने पर कई लोग असमंजस में पड़ जाते हैं। यूनुस नाम के एक शख्स ने तो इन अनाम संदेशवाहकों को पैसे भेजना भी शुरू कर दिया है। उनका कहना है, 'यह जाने बिना कि मैसेज किसने भेजा है, मैं अल्लाह के नाम पर पैसे दे देता हूं।' हालांकि उनका मानना है कि भिखारियों को लोगों को ब्लैकमेल नहीं करना चाहिए।
पाकिस्तान के भिखारी हाईटेक जरूर हो गए हैं, लेकिन भीख मांगने का उनका अंदाज वही पुराना है। एसएमएस के जरिए भीख मांगते हुए भी वे अल्लाह को नहीं भूलते। उन्हीं के नाम पर भीख देने को कहते हैं। मसलन, लोगों के पास इस तरह के एसएमएस पहुंचते हैं, 'मैं एक गरीब आदमी हूं। मेरी बेटी अस्पताल में भर्ती है। यदि आप अल्लाह में यकीन रखते हैं तो कृपया मुझे दस रुपये देने का कष्ट करें। अल्लाह आपको बरकत देगा और हर तरह की परेशानियों से दूर रखेगा।'
हाईटेक भिखारियों ने अपनी औकात भी ज्यादा नहीं बढ़ाई है। वे एसएमएस भेज कर ज्यादा से ज्यादा सौ रुपये की ही मांग रखते हैं। व्यवसायी मुहम्मद उस्मान का दावा है कि उन्हें हर दिन ऐसे दस मैसेज मिलते हैं। अखबार 'डेली टाइम्स' ने उस्मान के हवाले से लिखा है, 'इन मैसेज को नजरअंदाज करना मुश्किल है।'
दरअसल, अल्लाह के नाम पर मांगे जाने पर कई लोग असमंजस में पड़ जाते हैं। यूनुस नाम के एक शख्स ने तो इन अनाम संदेशवाहकों को पैसे भेजना भी शुरू कर दिया है। उनका कहना है, 'यह जाने बिना कि मैसेज किसने भेजा है, मैं अल्लाह के नाम पर पैसे दे देता हूं।' हालांकि उनका मानना है कि भिखारियों को लोगों को ब्लैकमेल नहीं करना चाहिए।