पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने शनिवार को कहा कि केश सिख की मुख्य पहचान है। जो सिख अपने केश और दाढ़ी कटवाता है, वह अल्पसंख्यक संस्थान में प्रवेश के लिए किसी लाभ का हकदार नहीं है। अदालत ने इस मामले को लेकर दायर की गई याचिका को खारिज कर दिया। छात्रा गुरलीन कौर ने एक याचिका के माध्यम से 1925 के सिख गुरुद्वारा कानून में दर्ज सिख की परिभाषा की संवैधानिकता को चुनौती दी थी। क्योंकि उसे शिरोमणि गुरुद्वारा...
Monday, June 1, 2009
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