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जोधपुर । भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम छेडने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था ट्रांसपरेंसी इंटरनेशनल की ओर से राजस्थान में गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) जीवन व्यापन करने वाले लोगों पर हुए अनुसंधान में सामने आया कि एक बीपीएल परिवार को सालाना औसतन 495 रूपए रिश्वत के रूप में देने पडते हैं। रिश्वत नहीं दे पाने के कारण एक तिहाई लोग तो बीपीएल कार्ड तक हासिल नहीं कर पाए हैं।
जोधपुर प्रवास पर आई ट्रांसपरेंसी इंटरनेशनल की भारत में कार्यकारी निदेशक अनुपमा झा ने सोमवार को "राजस्थान पत्रिका" से बातचीत में बताया कि राज्य की 5.6 लाख बीपीएल जनता रिश्वत के जाल में उलझी है।
ग्रामीण अधिक जानते हैं आरटीआई
भ्रष्टाचार के मामले में सूचना का अधिकार (आरटीआई) सशक्त टूल साबित हो रहा है, लेकिन राज्य की 5.5 फीसदी जनता को ही आरटीआई की जानकारी है, इसमें भी सबसे अधिक ग्रामीण तबके के लोग है।
एफआईआर में भी रिश्वत
ट्रांसपरेंसी इंटरनेशनल की रिपोर्ट में पुलिस महक मे को सबसे अधिक भ्रष्ट बताया गया है। चाहे एफआईआर दर्ज करवानी हो या ट्रेफिक पुलिस से वाहन छुडाना हो, हर मामले में पुलिस को रिश्वत देनी पडती है। पुलिस की तरह विद्युत विभाग, स्वास्थ्य, बैंक, जमीन-जायदाद, स्कूली शिक्षा में भी काफी भ्रष्टाचार व्याप्त है। जल विभाग में भ्रष्टाचार सबसे कम है।
देश का 84 वां स्थान
भ्रष्टाचार के मामले में 180 देशों में भारत का 85 वां स्थान है। भारत को इंटीग्रिटी स्कोर में 10 में से 3.4 अंक मिले हैं, जो बहुत भ्रष्टाचार की तरफ इशारा करते हैं। सबसे कम भ्रष्ट देशों में फिनलैंड, स्वीट्जरलैंड, डेनमार्क व सिंगापुर देश है, जिनका स्कोर 9.5 तक है।