Saturday, September 22, 2007

संड़े स्पेशियल

Posted on 9:42 PM by Guman singh


एक कथा है-

राव गुमानसिंह ईराणी

एक मनुष्य को अपने जीवन से विरक्ति हो गई। उसे लगता था कि वह जीवन में सफल नहीं है। औरों की तरह वह न तो उतना धन कमा पाया, न ही किसी बड़े पद को प्राप्त कर सका और न ही उसे कोई सम्मान प्राप्त हुआ। इसी विचार के साथ उसने जीवन त्यागने का निर्णय ले लिया। उसने सोचा जीवन त्यागने से पहले वह ईश्वर से बात जरुर करेगा। यही सोचकर वह जंगल पहुंचा और ईश्वर को आवाज दी। फिर उसने सवाल किया कि "है ईश्वर! तुम सब जानते हो, अब मुझे सिर्फ एक कारण बताओ कि मैं तुम्हारी इस दुनिया में क्यों जिऊं? उसे जवाब मिला, 'जरा अपने आस-पास देखो। एक तरफ लहलहाती हरियाली घास और उसी के साथ ये लंबे-लंबे बांस, दिखाई देते हैं न?' ।

उसने कहां कि 'हां'।

ईश्वर ने कहां, "जब मैंने इन दोनों को बोया, तो इनकी देखभाल भी मैंने बराबर की। बराबर धूप, बराबर पानी। सब कुछ। देखते-देखते यह घास चारों तरफ फैल गई। दूसरी ऒर बांस का बीज जस का तस। वह जरा भी विकसित नहीं हुआ। दूसरे साल भी वो ही बात। घास फैलती गई और बांस लगभग वैसा का वैसा। लेकिन मैंने बांस को फिर भी उसी तरह का प्यार किया। उसी तरह खाद-खुराक देता रहा।चार साल तक ऐसा ही चलता रहा, मैंने कभी भी इस बांस को अकेला नहीं छोडा। उसी तरह उसको सब कुछ देता रहा। पांचवें साल में इस बीज से एक शाख फूटी। हालांकि वह घास के मुकाबले कुछ भी नहीं था। तो क्यां।धीरे-धीरे इस बीज ने उक शाख के सहारे अपना विकास जारी रखा। अब हर दिन इसका आश्चर्यजनक रुप से विकास होने लगा।अगले कुछ महिनों में ही उसने इस जंगल में सबसे ऊंचाई हासिल कर ली। पांच साल के भीतर ही उसने अपनी जड़ें इतनी गहरी कर ली किवह १०० फुट की ऊंचाई पर पहुंचकर भी बेखौफ, सीना ताने, मजबूती से खड़ा हैं। अपनी बात को जारी रखते हुए उन्होंने कहा, "मेरे बच्चे, एक बात याद रखो, जिस समय तुम्हें लग रहा है कि तुम सिर्फ जीने के लिए संघर्ष कर रहें हो, दरअसल उस समय तुम सिर्फ अपनी जडो को मजबूत कर रहे हो।यह हमेशा याद रखो कि मैंने अगर इस बांस की अनदेखी नहीं की, तो फिर तुम्हारे साथ कैसे करुंगा। बस एक बात हमेशा याद रखना, दूसरों से अपनी तुलना कभी मत करो। दुनिया में हर इंसान को अलग-अलग काम के लिए भेजा गया है। सबकी अपनी-अपनी भूमिका है। इसलिए किसी और को देखकर अपने बारे में फैसला मत करना, क्योंकि घास और बांस दो अलग-अलग उद्देश्यों के लिए पैदा हुए हैं।


सबकः-

"अपने अस्तित्व और उसके अर्थ को जानने के लिए दूसरों को नहीं ख़ुद को देखना ज़रुरी है।अपने अंतर से बात होती रहें, तो जीवन का उद्देश्य और अपनी भूमिका का पता भी चलता रहता है!"

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