Saturday, July 12, 2008

बड़े-छोटे मस्त, मंझले की मुसीबत

Posted on 9:59 PM by Guman singh

डीएनए
Sunday, July 13, 2008 09:00 [IST]
मुंबई.बड़ा बच्चा है तो जिम्मेदार होगा और छोटा तो सबका लाडला है। आमतौर पर पेरेंट्स की अपने बड़े और छोटे बच्चे के प्रति कुछ ऐसी ही धारणा होती है इससे बीच वाला बच्चा उपेक्षित रह जाता है या खुद को उपेक्षित महसूस करता है। उसे लगता है उसका कोई वजूद ही नहीं। बर्थ ऑर्डर के हिसाब से पेरेंट्स द्वारा बच्चों से व्यवहार करने के पीछे कई सामाजिक और मनो वैज्ञानिक पहलू हैं। 

बर्थ ऑर्डर कई बार बच्चों के माइंडसेट को काफी गहरे तक प्रभावित करता है। बड़े बच्चे के पहले कदम से लेकर पहले शब्द तक मां बाप की पूरी अटेंशन रहती है, यही वजह है कि उन्हें यह सब खास लगता है। छोटा बच्चा पेरेंट्स की इस अटेंशन से बेखबर रहता है और वही करता है जो उसका दिल करता है। 

मनोचिकित्सक अंजली छाबड़िया के मुताबिक बीच के क्रम वाला बच्चा कुछ अलग ही तरह से सोचता है। 

काश मैं भी बड़ा होता: 

ज्यादातर मां बाप के पूरी तरह से ध्यान नहीं दे पाने के चलते बीच वाला बच्चा खुद को उपेक्षित महसूस करता है। वह सोचता है काश वह बड़ा बच्चा होता। पेरेंट्स को बच्चों को लेकर बैलेंस अप्रोच रखनी चाहिए। कुछ मां-बाप यह बखूबी करते हैं। बच्चों को उनकी जरूरतों और उनके टेलेंट के हिसाब से अलग-अलग तरीके से गाइड करना चाहिए। सभी बच्चों पर एक जैसा फॉमरूला अपनाना भी सही नहीं है।

कैजुअल अप्रोच :

मनोचिकित्सक सीमा हिंगोरानी के मुताबिक आमतौर पर पेरेंट्स अपने पहले बच्चे के साथ ज्यादा इन्वॉल्व होने के बाद दूसरे बच्चे के समय कैजुअल हो जाते हैं।

इसके बाद तीसरे बच्चे के प्रति वे ज्यादा भावुक हो जाते हैं क्योंकि वह इस क्रम में अंतिम होता है। पहला बच्चा आत्मनिर्भर होता है। दूसरा उसी की नकल करने लगता है जबकि तीसरा अलग रवैया अख्तियार करता है। 

बीच के कुछ बड़े नाम..

जरूरी नहीं कि उपेक्षित महसूस करने के बाद बीच वाला बच्च जिंदगी में कुछ नहीं कर पाता है। बचपन की यह धारणा बड़े होने पर खत्म हो जाती है। दुनिया के सबसे अमीर और माइक्रासॉफ्ट के पूर्व चेयरमैन बिल गेट्स, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन. एफ. कैनेडी और क्यूबा के पूर्व राष्ट्रपति फिदेल कास्त्रो और पॉप गायिका मैडोना कुछ ऐसे ही नाम है जिन्होंने बचपन में उपक्षित महसूस करने के बावजूद दुनिया में खूब नाम कमाया।

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