Saturday, October 18, 2008

आदिलाबाद की बहादुर तुलजाबाई

Posted on 10:07 AM by Guman singh

Dingal News!

आंध्र प्रदेश का आदिलाबाद ज़िला पिछले दिनों मानवता के एक विकृत चेहरे का गवाह बना जब वहाँ दंगे भड़के, लेकिन इसी के बीच कुछ ऐसा भी हुआ जिससे ये लगता है कि तमाम विकृतियों के बावजूद मानवता जीवित है.
इस महीने दुर्गा विसर्जन जुलूस के दौरान सांप्रदायिक हिंसा भड़की और धर्म के नाम पर हमलों का सिलसिला शुरू हो गया. ऐसे में ही दंगाइयों ने एक मुस्लिम घर पर हमला किया और तब अपने पड़ोसियों की मदद के लिए एक हिंदू महिला दंगाईयों के सामने दीवार बनकर खड़ी हो गई.
घटना भैंसा शहर की है जहाँ के संवेदनशील पंजेशाह इलाक़े में उन्मादी असामाजिक तत्वों ने दूकानों और मकानों में आग लगा रहे थे. तुलजा बाई अपने घर की खिड़की से हिंसा का ये मंज़र देख रही थीं.
उन्मादी भीड़ ने तुलजा बाई के घर के सामने रहने वाले सैयद उस्मान के घर को निशाना बनाया और घर को आग के हवाले करने की कोशिश की.
लेकिन तुलजा बाई से यह देखा नहीं गया और वह दंगाईयों से जा भिड़ीं.
तुलजई बाई का साहस
उस हादसे के बारे में तुलजा बाई ने बताया, ''धुँआ निकलता देख मैं,मेरा बेटा और परिवार के अन्य सदस्य बाहर की ओर दौड़े. मैने देखा कि एक युवक उस घर से दौड़कर बाहर निकला. तब मुझे लगा कि परिवार घर के भीतर आग में फँसा हो सकता है.''तुलजा बाई ने बताया, ''मैं अपने परिवार के साथ घर के बाहर जमा भीड़ को पीछे धकेलने लगी. हम परिवार को बचाने के कोशिश कर रहे थे और भीड़ हम पर चिल्ला रही थी. मैंने उन्हें चुप रहने के लिए कहा और उन्हें बताया कि ये लोग हमारे पड़ोसी, हमारे भाई हैं.''
कुछ देर बाद तुलजा बाई और उसका परिवार, साफ़िया बेगम और उसके तीन बच्चों को घर से किसी तरह बाहर निकालने में सफल हो गए. तुलजा बाई, साफ़िया बेगम और उसके बच्चों को अपने घर ले आई.
तुलजा बाई ने बताया, ''अपने घर में उनकी सुरक्षा पुख़्ता करने के बाद हम घर की आग बुझाने के लिए पानी लेकर दौड़े. किस्मत से हमारे पास पर्याप्त पानी था और हमने ख़ुद आग पर क़ाबू पा लिया."
उन्मादी असामाजिक तत्वों ने तुलजा बाई के परिवार को आग बुझाने से रोका और बाल्टियाँ छीनने कोशिश की.
आगजनी और लूटपाट
हमारी सारी संपत्ति लुट गई लेकिन हम अपने हिंदू पड़ोसियों का बहुत-बहुत शुक्रिया अदा करते हैं जिनके कारण मेरे परिवार के सदस्य आज जीवित हैं

सैयद मोहम्मद पाशा
इस घटना में सैयद परिवार के घर के भीतर रखे पतंगों के हज़ारों बंडल जलकर राख हो गए जो उनकी जीविका का सहारा था. फ़र्नीचर भी जल गया और रंगीन टेलीविज़न को टुकड़े-टुकड़े कर दिया गया.
मगर सबसे बड़ा नुक़सान ये हुआ कि भीड़ ने उस्मान के बड़े भाई सैयद मोहम्मद पाशा की बेटियों की शादी लिए जुटाए कीमती गहनों और रूपयों को लूट लिया.
हैदराबाद के एक दैनिक में बतौर संवाददाता काम करने वाले पाशा ने बताया, '' हमारी सारी संपत्ति लुट गई लेकिन हम अपने हिंदू पड़ोसियों का बहुत-बहुत शुक्रिया अदा करते हैं जिनके कारण मेरे परिवार के सदस्य आज जीवित हैं.''
तुलजा बाई और पाशा के पुरख़े पिछले 200 वर्षों से भैंसा के पंजेशाह इलाक़े में रहते आए हैं.
तुलजा बाई के बेटे ठाकुर रमेश सिंह ने कहा, '' हमेशा बाहरी लोग समस्या खड़ी करते हैं और स्थानीय लोगों को भोगना पड़ता है. ''
फ़िलहाल चाहे हिंदू हों या मुसलमान, हर वर्ग के लोग तुलजा बाई की वीरता और मानवता की सराहना कर रहे हैं.
राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने तुलजा बाई को सांप्रदायिक वैमनस्यता फैलाने वाले लोगों के ख़िलाफ़ आशा की एक किरण बताया.
जाने-माने लोकगीत गायक और आंदोलनकारी ग़द्दार ने तुलजा बाई के घर पर जाकर उनकी बहादुरी की प्रशंसा की और उनके पैर छूकर उन्हें सम्मान दिया.

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