Wednesday, September 12, 2007
Posted on 8:10 PM by Guman singh
राजस्थान में आरक्षण के मुद्दे पर गूजर समाज की गुरुवार को धौलपुर में महापंचायत हो रही है. इसे देखते हुए सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किए गए हैं.
गूजर नेताओं का कहना है कि वे इस महापंचायत में अपने अगले क़दम की घोषणा करेंगे.
सरकार ने गूजर बहुल इलाक़ों, धौलपुर, भरतपुर, सवाई माधोपुर, दौसा और करौली में सुरक्षा व्यवस्था की निगरानी के लिए चार मंत्रियों को तैनात किया है.
दूसरी और राजस्थान सरकार ने गूजर समुदाय को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने के मामले पर गठित जस्टिस जसराज चोपड़ा समिति के कार्यकाल को तीन महीने के लिए बढ़ा दिया है.
एक सरकारी प्रवक्ता का कहना था कि गूजर महासभा के नेता किरोड़ी सिंह बैंसला से बातचीत के बाद समिति का कार्यकाल बढ़ाकर 15 दिसंबर तक कर दिया गया है.
चोपड़ा समिति का कार्यकाल बुधवार को समाप्त हो रहा था.
गूजरों की माँग
ग़ौरतलब है कि राजस्थान में गूजरों को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) में रखा गया है लेकिन वे अनुसूचित जनजाति के तहत मिलने वाली आरक्षण सुविधा की मांग कर रहे हैं.
अपनी माँगों को लेकर गूजर सड़कों पर उतर आए थे
इसको लेकर गूजर समुदाय सड़कों पर उतर आया था और उनके आंदोलन ने उग्र रूप धारण कर लिया था.
इस आंदोलन के दौरान कुछ पुलिसकर्मियों समेत 23 लोगों की जानें गई थीं.
राजस्थान के अलावा उत्तर प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली में भी गूजर समाज के लोग इस आंदोलन से जुड़ गए थे.
इस दौरान हुए धरने-प्रदर्शनों के कारण सामान्य जनजीवन भी ख़ासा प्रभावित हुआ था.
लगभग दो सप्ताह तक चले उग्र आंदोलन के बाद चार जून को गूजरों नेताओं और राजस्थान सरकार के बीच एक समझौता हो गया था. इसी के तहत चोपड़ा समिति का गठन किया गया था.
गूजर नेताओं का कहना है कि वे इस महापंचायत में अपने अगले क़दम की घोषणा करेंगे.
सरकार ने गूजर बहुल इलाक़ों, धौलपुर, भरतपुर, सवाई माधोपुर, दौसा और करौली में सुरक्षा व्यवस्था की निगरानी के लिए चार मंत्रियों को तैनात किया है.
दूसरी और राजस्थान सरकार ने गूजर समुदाय को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने के मामले पर गठित जस्टिस जसराज चोपड़ा समिति के कार्यकाल को तीन महीने के लिए बढ़ा दिया है.
एक सरकारी प्रवक्ता का कहना था कि गूजर महासभा के नेता किरोड़ी सिंह बैंसला से बातचीत के बाद समिति का कार्यकाल बढ़ाकर 15 दिसंबर तक कर दिया गया है.
चोपड़ा समिति का कार्यकाल बुधवार को समाप्त हो रहा था.
गूजरों की माँग
ग़ौरतलब है कि राजस्थान में गूजरों को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) में रखा गया है लेकिन वे अनुसूचित जनजाति के तहत मिलने वाली आरक्षण सुविधा की मांग कर रहे हैं.
अपनी माँगों को लेकर गूजर सड़कों पर उतर आए थे
इसको लेकर गूजर समुदाय सड़कों पर उतर आया था और उनके आंदोलन ने उग्र रूप धारण कर लिया था.
इस आंदोलन के दौरान कुछ पुलिसकर्मियों समेत 23 लोगों की जानें गई थीं.
राजस्थान के अलावा उत्तर प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली में भी गूजर समाज के लोग इस आंदोलन से जुड़ गए थे.
इस दौरान हुए धरने-प्रदर्शनों के कारण सामान्य जनजीवन भी ख़ासा प्रभावित हुआ था.
लगभग दो सप्ताह तक चले उग्र आंदोलन के बाद चार जून को गूजरों नेताओं और राजस्थान सरकार के बीच एक समझौता हो गया था. इसी के तहत चोपड़ा समिति का गठन किया गया था.
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गुज़र और देवासी समाज को आरक्श्न देना चाहिए क्यूकी या जाती धुँार जाती है हम सब मिलकर सुभकामनाए करते है हमारे राजस्थान की तेज़स्वी मुख्यमत्री वसुधराजी राजे हमारा सपना पूरा करेगी . मदन देवासी सरनाउ जालोर
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