Sunday, March 23, 2008
जनगणना के 'संशोधित आँकड़े' जारी
भारत में मुसलमानों की आबादी तेज़ी से बढ़ने संबंधी आँकड़ों को लेकर उठे विवाद के बाद अब जनगणना आयोग ने 'संशोधित आँकड़े' जारी किए हैं और अब कहा गया है कि वृद्धि दर कम हुई है.
इन आँकड़ों के अनुसार मुसलमानों की आबादी 1991 की जनगणना के आँकड़ों के मुक़ाबले 29.3 प्रतिशत बढ़ी है.
पहले ये प्रतिशत 36 बताया गया था. इसके अनुसार मुसलमानों की आबादी बढ़ने की दर में लगभग डेढ़ प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई थी क्योंकि इससे पहले 1991 के आँकड़ों के अनुसार ये वृद्धि दर 34.5 बताई गई थी.
मगर अब आयोग ने इन आँकड़ों में संशोधन करते हुए जम्मू-कश्मीर और असम के वर्ष 2001 की जनगणना के आँकड़े निकालकर प्रतिशत निकाला है.
ऐसा इसलिए किया गया है क्योंकि 1991 में जम्मू-कश्मीर में और 1981 में असम में जनगणना नहीं हो सकी थी.
इस तरह अब जो आँकड़े आए हैं वे दिखाते हैं कि मुसलमानों की आबादी की दर बढ़ने के बजाए घटी ही है.
आयोग ने अब 'संशोधित' और 'बिना संशोधित' दो आँकड़े जारी किए हैं. आयोग के प्रमुख जेके बंठिया ने कहा है कि ये संशोधन किसी दबाव में नहीं किए गए हैं.
विवाद
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता वेंकैया नायडू ने बंगलौर में यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया था कि मुसलमानों की तेज़ी से बढ़ती आबादी भारत की राष्ट्रीय एकता और अखंडता के लिए गंभीर चिंता का कारण है.
इसके बाद इस बात पर विवाद तेज़ हो गया था कि क्या धर्म के आधार पर अलग-अलग समुदायों के आँकड़ों का विश्लेषण ठीक है.
जनसंख्या से जुड़े मामलों के विशेषज्ञों का कहना है कि यह मामला इतना सरल नहीं है जितना दिखता है, इसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, जागरूकता और आर्थिक स्तर जैसे पहलुओं पर भी ध्यान दिया जाना ज़रूरी है.
वर्ष 2001 के आँकड़े दिखाते हैं कि हिंदुओं की जनसंख्या में 2.8 प्रतिशत की गिरावट रही जबकि सिखों की आबादी में 8.6 फ़ीसदी की गिरावट आई है.
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