Sunday, March 23, 2008

नसबंदी कराओ, बंदूक पाओ!

Posted on 7:42 PM by Guman singh


मध्यप्रदेश के चंबल इलाके में बंदूक आन-बान और शान का प्रतीक मानी जाती है. लेकिन आजकल इसी शान को पाने के लिए यहाँ लोग नसबंदी करवा रहे है.
दरअसल, भिंड के ज़िला प्रशासन ने इन दिनों परिवार नियोजन को बढ़ावा देने के लिए एक योजना चला रखी है. जिसके मुताबिक़ नसबंदी कराने वाले पुरुषों को बंदूक का लाइसेंस हासिल करने में प्राथमिकता दी जा रही है.

भिंड जिले में ज़्यादा से ज़्यादा मर्द इस साल नसबंदी करवाने के लिये आगे आ रहे हैं. इस उम्मीद के साथ की उन्हें बंदूक का लाइसेंस आसानी से मिल जायेगा.

पिछले साल मात्र आठ पुरुषों ने नसबंदी कराई थी. लेकिन, इस साल अब तक 175 से भी ज़्यादा लोग नसबंदी करवा चुके हैं.

भिंड के ज़िलाधिकारी मनीष श्रीवास्तव कहते हैं, "इस साल अच्छे नतीजे सामने आए हैं. बंदूक के लाइसेंस की उम्मीद में काफी लोगों ने नसबंदी करवाई है."

चंबल के इलाक़े में लोगों के बंदूक-प्रेम का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि भिंड ज़िले में 23 हज़ार लाइसेंसी बंदूके हैं.

जबकि, 11 हज़ार शिवपुरी ज़िले में और 15 हज़ार लाइसेंसी बंदूकें मुरैना ज़िले में हैं.

बंदूक है तो शान है
चंबल इलाक़े में सड़क पर चलते हुये आप आसानी से ऐसे दर्जनों लोगों को देख सकते है, जिनके कंधे पर बंदूक टंगी होती है.


चंबल का बंदूक प्रेम
भिंड ज़िले में 23,000 बंदूकें
शिवपुरी में 11,000 बंदूकें
मुरैना में 15,000 बंदूकें
यहां के सुमेर पटेल कहते हैं, "हर परिवार की पहली कोशिश यही होती है कि उनके पास एक बंदूक हो. अगर दो हो तो भी कोई बुराई नही है."

वहीं, अमर सिंह कहते हैं कि बंदूक उनकी इज़्ज़त से जुड़ा हुआ मामला है. यही वजह है कि हर किसी की कोशिश होती है कि उनके पास कम से कम एक बंदूक तो हो.

नसबंदी करवा चुके संजीव डागा कहते हैं, "जिला प्रशासन का ये फैसला अच्छा है. मुझे बंदूक हासिल करने के लिए नसबंदी रिपोर्ट लगानी पड़ी. उम्मीद है कि लाइसेंस जल्द ही मिल जाएगा."

नसबंदी का ऑपरेशन करवा कर बंदूक हासिल करने वाले पंकज भी कहते हैं कि ज़िला प्रशासन की पहल अच्छी है.

लेकिन, इस इलाक़े में समाज सेवा करने वाले केएस मिश्रा इस मामले में कुछ अलग सोचते हैं. उनका कहना है "बंदूक के लिये यहाँ के लोग कुछ भी कर सकते है. मगर परिवार नियोजन को बढ़ावा देने के इस तरीके को सही नहीं कहा जा सकता."

वो कहते हैं कि प्रशासन को दूसरे तरीक़े आज़माना चाहिए न कि इस तरह बंदूक के लाइसेंस देने की बात करनी चाहिये.

इन सब के बीच यहां के लोग खुश हैं कि आखिर उन्हें बंदूक का लाइसेंस बिना किसी दिक़्क़त के मिल रहा है. वो भी एक छोटे से ऑपरेशन के बाद.

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