Wednesday, April 23, 2008

माँ के खान-पान का असर बच्चे पर

Posted on 8:24 PM by Guman singh




गर्भकाल में माँ के खानपान की आदतें संतान के लिंग निर्धारण में अहम भूमिका निभा सकती है.
शोधकर्ताओं का कहना है कि ज़्यादा कैलोरी वाले भोजन के साथ ही नियमित अंतराल पर नाश्ता करते रहने से लड़का पैदा की संभावना बढ़ सकती है.
विकसित देशों में गर्भवती महिलाएँ कम कैलरी वाले भोजन को अपना रही हैं जिसे लड़कियों की बढ़ती आबादी से जोड़कर देखा जा रहा है.
अध्ययन के लिए ब्रिटेन की 740 ऐसी महिलाओं को चुना गया जो पहली बार माँ बनने जा रही थीं.
शोधकर्ताओं ने इन महिलाओं से गर्भधारण के पहले और उसके शुरुआती दौर में खानपान की उनकी आदतों के बारे में जानकारी माँगी.
शोधकर्ताओं ने पाया कि गर्भकाल में अधिक कैलोरी वाला भोजन लेने वाली 56 फ़ीसदी महिलाओं को लड़का हुआ जबकि कम कैलोरी के आहार लेने वाली मात्र 46 फ़ीसदी महिलाओं को लड़का पैदा हुआ.
घटते लड़के
जिन महिलाओं के लड़के हुए उन्होंने आम तौर पर पोटाशियम, कैल्शियम, विटामिन सी, ई और बी12 जैसे तत्वों से भरे कई तरह के पोषक आहारों की ज़्यादा मात्रा ली थी.
देखा
gayaa है कि औरतों के खानपान में थोड़ा सा बदलाव भी औलाद की पूरी ज़िदगी के स्वास्थ्य पर असर डाल सकता है इसलिए गर्भधारण और गर्भकाल के दौरान समुचित आहार लेना महत्वपूर्ण है

इन महिलाओं ने नियमित रूप से नाश्ते में अनाज भी लिया था.
पहले के अध्ययनों में भी यह बात सामने आई थी कि विकसित देशों में लोग कम कैलरी वाले भोजन ले रहे हैं. इन देशों में ऐसे लोगों की तादाद काफ़ी अधिक है जो नाश्ता करते ही नहीं हैं.
वैज्ञानिकों ने यह पहले से पता लगा रखा है कि जानवरों में भी अगर माँ को प्रचुर भोजन मिले तो नर संतान पैदा होने की संभावना बढ़ जाती है.
खाना
शोधों से यह भी ज्ञात है कि ग्लूकोज की ज़्यादा मात्रा नर भ्रूण के विकास में मदद पहुँचाता है लेकिन मादा भ्रूण के विकास को रोकता है.
नाश्ता न करने से ग्लूकोज का स्तर घटता है और इसका असर बच्चे पर भी पड़ सकता है.
शेफ़ील्ड यूनिवर्सिटी के डॉ. एलेन पैसी कहते हैं कि इस बात के काफ़ी सबूत हैं कि बदली हुई परिस्थितियों में प्रकृति के पास किसी आबादी में लिंग अनुपात बदलने के कई तरीक़े हैं.
हालाँकि वे कहते हैं, "महिलाओं से मेरी अपील है कि वो अपने होने वाले बच्चे के लिंग को प्रभावित करने के लिए भूखे रहने या अधिक खाने की शरुआत न करें."
पैसी बताते हैं, "कुछ जानवरों के अध्ययन में देखा गया है कि औरतों के खानपान में थोड़ा सा बदलाव भी औलाद की पूरी ज़िदगी के स्वास्थ्य पर असर डाल सकता है. इसलिए गर्भधारण और गर्भकाल के दौरान समुचित आहार लेना महत्वपूर्ण है."

2 Response to "माँ के खान-पान का असर बच्चे पर"

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Anonymous Says....

is shodh kaa sutr bhi baatyae , yaa to link dae .