Sunday, August 31, 2008

आयुर्वेदिक दवाएँ संदेह के घेरे में

Posted on 6:51 PM by Guman singh

(मारवाड़ न्यूज़)
हाल के वर्षों में विदेशों में आयुर्वेदिक दवाओं का प्रचलन बढ़ा है
इंटरनेट पर बेचे जाने वाली भारतीय आयुर्वेदिक दवाइयों में से हर पाँचवें में ऐसे तत्व पाए गए हैं जो स्वास्थ्य के लिए ख़तरनाक हो सकते हैं.
अमरीका की बोस्टन यूनिवर्सिटी में हुए एक शोध में यह बात सामने आई है. शोधार्थियों ने भारत और अमरीका में बनने वाली दवाओं की जाँच के बाद यह निष्कर्ष निकाला है.
शोध में इंटरनेट पर बिकने वाली 193 आयुर्वेदिक दवाओं की जाँच की गई जिनमें से क़रीब 20 प्रतिशत दवाओं में सीसा, पारा और आर्सेनिक पाया गया.
शोधार्थियों का कहना है कि कुछ दवाओं में तय सीमा से बहुत अधिक मात्रा में ऐसे पदार्थ पाए गए जो स्वास्थ्य के लिए घातक हैं.
हज़ारों वर्षों से भारत में प्रचलित आयुर्वेदिक औषधियाँ हाल के वर्षों में विदेशों में भी ख़ूब इस्तेमाल की जा रही है.
आयुर्वेदिक औषधि बनाने वालों का कहना है कि जब धातुओं और जड़ी-बूटियों का ठीक से मिश्रण कर उसे कुशलतापूर्वक तैयार किया जाता है तब वह स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित होता है.
कड़े नियम जरुरी
शोध के निर्देशक डॉक्टर रॉबर्ट सैपर का कहना है कि इस जाँच के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि इन दवाओं के सेवन को लेकर कड़े नियम बनाने की ज़रुरत है.
उन्होंने कहा कि यह भी तय किया जाना चाहिए कि कितनी मात्रा में प्रति दिन इन पदार्थों का सेवन किया जा सकता है और उत्पादकों को स्वतंत्र रुप से इन दवाओं की जाँच करनी चाहिए.
सैपर का कहना था कि पिछले 30 वर्षों में इन औषधियों के इस्तेमाल के कारण 80 ऐसे मामले सामने आए हैं जिसमें सीसा का इस्तेमाल जानलेवा साबित हुआ.
ब्रिटेन ने पंजीकरण व्यवस्था की शुरुआत कर दी है. वहाँ अगले तीन वर्षों में उन आयुर्वेदिक दवाओं को बेचने पर प्रतिबंध होगा जिन्हें लाइसेंस नहीं मिला है.
हालांकि ब्रिटेन के बाहर आयुर्वेदिक दवा बनाने वालों पर इस तरह के नियम लागू नहीं होते हैं.

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