Tuesday, October 7, 2008

रीढ़ की हड्डी फिट तो आप हिट

Posted on 8:07 PM by Guman singh


फिट रहने के लिए रीढ़ की हड्डी का ध्यान रखना ज़रूरी है, क्योंकि शरीर को आगे-पीछे मोड़ने और सही पॉस्चर में रखने के लिए इसका सही रहना ज़रूरी है। दूसरे शब्दों में कहें, तो रीढ़ की हड्डी पर शरीर की तमाम गतिविधियां निर्भर रहती हैं। इसे सही रखने के लिए इन तीन आसनों का नियमित अभ्यास जरूरी है:

पादहस्तासन सीधे खड़े होकर पैरों को आपस में मिला लें। अब सांस भरते हुए हाथों को ऊपर उठाएं व सांस निकालते हुए आगे की ओर झुकें व हाथों से पैरों को छू लें। यहां कमर आगे मुड़ जाएगी। प्रयास करें कि आपका माथा घुटनों के पास आ जाए और ध्यान रखें कि घुटनों को मोड़ें नहीं। सांस को सामान्य रखते हुए आसन में यथाशक्ति रुके रहें और फिर धीरे से वापस आ जाएं। सावधानी कमर दर्द, गर्दन दर्द व हाई बीपी व एसिडिटी में इसका अभ्यास न करें। लाभ यह आसन कमर में लचीलापन बढ़ता है और घुटनों व जंघाओं को बल देता है। इससे पाचनतंत्र, हृदय, फेफड़ों व मस्तिष्क का स्वास्थ्य बढ़ता है और मन में एकाग्रता बढ़ती है।

अर्धचक्रासन पादहस्तासन में हमने कमर को आगे की ओर मोड़ा। अब कमर को पीछे मोड़ना है। इसके लिए पैरों में थोड़ा अंतर रखें व हाथों को पीछे आपस में पकड़ लें। अब सांस भरते हुए कमर को पीछे की ओर मोड़ें व हाथों को नीचे की ओर खींचे। यहां सिर को पीछे ढीला छोड़ दें। आंखें खुली रखें। सांस सामान्य रहेगी। ध्यान रहे, कमर को जबरदस्ती पीछे नहीं मोड़ना है। यथाशक्ति रुकने के बाद धीरे से वापस आ जाएं। इसका अभ्यास दो बार करें।

सावधानी: हर्निया में इसका अभ्यास न करें। यह आसन कमरदर्द, गर्दन दर्द और कंधे की जकड़न को दूर करता है। इससे कमर में लचीलापन बढ़ता है। इससे रीढ़ की हड्डी से जुड़ी समस्याएं नहीं होतीं और शरीर हल्का रहता है।

वक्रासन बैठकर दोनों पैरों को सामने फैला दें। बाएं पैर को घुटने से मोड़कर दाएं पैर के घुटने के पास खड़ा कर लें। अब दाएं हाथ को बाएं पैर के घुटने के बाहर से घुमाकर खड़े पैर का पंजा पकड़ लें व बाएं हाथ को पीछे जमीन पर रखते हुए गर्दन को पीछे की ओर घुमा दें। सांस को सामान्य रखकर कुछ देर के लिए रुक जाएं। इसी प्रकार दूसरी ओर से भी करें।

सावधानी: कमर में ज्यादा दर्द होने पर यह आसन न करें। यह आसन पाचनतन्त्र को बलिष्ठ बनाता है। इससे अमाश्य, लीवर, पेन्क्रियाज, आंतें, किडनी, मूत्राश्य आदि अंगों को बल मिलता है। यह डायबटीज में लाभकारी है और कमर को लचीला रखता है।

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