Friday, November 7, 2008

पाकिस्तान में साइबर अपराध के लिए 'मौत'

Posted on 4:03 AM by Guman singh

 पाकिस्तान के नए क़ानून के तहत अब इंटरनेट अपराध के लिए भारी भरकम ज़ुर्माना, आजीवन कारावास और मौत तक की सज़ा हो सकती है.

राष्ट्रपति आसिफ़ अली ज़रदारी ने एक अध्यादेश जारी कर इंटरनेट अपराध के लिए नए प्रावधान किए हैं.

पाकिस्तान की सरकारी समाचार एजेंसी एपीपी के अनुसार यह क़ानून 29 सितंबर से लागू माना जाएगा.

इस क़ानून के तहत ऐसे किसी भी साइबर अपराध को 'साइबर आतंकवाद' का नाम दिया गया है जो किसी की मौत का कारण बनती है.

और इस अपराध के लिए दोषी व्यक्ति को आजीवन कारावास या मौत की सज़ा दी जा सकती है.

पाकिस्तान में एक करोड़ से अधिक लोग इंटरनेट का उपयोग करते हैं.

क़ानून के मुताबिक़ किसी व्यक्ति, व्यक्ति समूहों या किसी संस्था को 'साइबर आतंकवाद' के लिए दोषी माना जाएगा अगर उसने (या उन्होंने) ऐसे किसी कंप्यूटर या इलेक्ट्रॉनिक उपकरण का उपयोग किया है जिससे 'आतंकी गतिविधि' को अंज़ाम दिया गया है.

इस क़ानून में 'आतंकी गतिविधि' को भी परिभाषित किया गया है और इसके अनुसार किसी हिंसा के लिए चेतावनी देना, धमकाना, बाधा पैदा करना, नुक़सान पहुँचाना आदि को इसके दायरे में रखा जाएगा.

'साइबर आतंकवाद' के इस क़ानून के अनुसार किसी गोपनीय जानकारी को कॉपी करना और रासायनिक, जैविक या परमाणु हथियार बनाने की विधि को इंटरनेट के ज़रिए इंटरनेट से डाउनलोड करने को भी इसी दायरे में रखा जाएगा.

इसके अनुसार सिर्फ़ अपराध करना ही नहीं, अपराध के उद्देश्य से किए गए कार्य भी 'साइबर आतंकवाद' की श्रेणी में रखा जाएगा.

इस क़ानून के तहत इंटरनेट के ज़रिए की गई ठगी और स्पैम के लिए भी अलग-अलग सज़ाओं का प्रावधान किया गया है.

दिसंबर 2007 में तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ़ ने भी इसी तरह का एक अध्यादेश जारी किया था और तब क़ानून विशेषज्ञों ने इसे 'अस्पष्ट क़ानून' कहा था और इसकी वजह से इसे मूलभूत अधिकारों के ख़िलाफ़ क़रार दिया गया था.

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