Wednesday, November 12, 2008
ब्रिटेन में शुक्राणु दाताओं की भारी कमी
ब्रिटिश फ़र्टिलिटी सोसाइटी (बीएफ़एस) के डाक्टर मार्क हैमिल्टन और एलन पैसी ने कहा है कि ब्रिटेन शुक्राणुओं की भारी कमी से जुझ रहा है. इन विशेषज्ञों ने एक ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में लिखा है कि मौजूदा क़ानून में बहुत बड़े पैमाने पर बदलाव की आवश्यकता है. इन विशेषज्ञों का कहना है कि शुक्राणुदाता की कमी की वजह शुक्राणुदाताओं का नाम गुप्त रखने का प्रावधान ख़त्म किया जाना है, यह फ़ैसला सरकार ने तीन साल पहले किया था. कमी ब्रिटेन में स्वास्थ्य विभाग के प्रवक्ता ने इस आरोप से इनकार दिया है, पर इस बात पर सहमति जताई कि शुक्राणुदाताओं की घटती संख्या से निबटने के लिए ठोस क़दम उठाने की ज़रूरत है. नाम बताने की शर्त्त वाले क़ानून की मदद से बच्चे 18 वर्ष की उम्र में अपने जैविक पिता की तलाश कर सकते हैं इसीलिए यह व्यवस्था की गई है. कुल मिलाकर ब्रिटेन में पिछले 15 वर्षों में शुक्राणुदाताओं की संख्या में 40 फ़ीसदी की गिरावट दर्ज की गई है. विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि कई प्रजनन क्लीनिकों में शुक्राणुओं के लिए लंबा इंतज़ार करना पड़ता है तो कई क्लीनिक इस सुविधा को बंद करने पर मजबूर हुए हैं. अनुरोध इस समय हर वर्ष ब्रितानिया में लगभग 4000 रोगी शुक्राणुओं के लिए अनुरोध करते हैं. ब्रितानी क़ानून के मुताबिक़ एक शुक्राणुदाता के शुक्राणुओं से अधिकतम दस गर्भाधारण कराए जा सकते हैं. सभी शुक्राणुदाता इस बात के लिए तैयार नहीं होते कि उनके शुक्राणु से 10 गर्भाधारण कराएं जाएं, ऐसे में मांग के मुताबिक़ हर साल कम से कम 500 नए शुक्राणुदाताओं की ज़रूरत है. लेकिन इसके वर्ष 2006 में सिर्फ़ 307 नए शुक्राणुदाताओं ने ही अपना नाम दर्ज कराया. नीदरलैंड की आबादी भी ब्रिटेन के लगभग बराबर है और वहाँ गर्भधारण की अधिकतम सीमा 25 है. जबकि फ्रांस में ये सीमा पाँच है.
No Response to "ब्रिटेन में शुक्राणु दाताओं की भारी कमी"
Post a Comment