Wednesday, March 12, 2008

एक चौथाई अमरीकी लड़कियों को यौनरोग!

Posted on 7:28 AM by Guman singh


एक अध्ययन से संकेत मिले हैं कि अमरीका में हर चार में से एक लड़की यौनरोग से पीड़ित है.
अमरीका के 'सेंटर्स फॉर डीज़ीज़ कंट्रोल' (सीडीसी) के इस अध्ययन में कहा गया है कि यौनजनित रोगों से पीड़ित अश्वेत युवतियाँ की संख्या इससे भी अधिक है.

इस अध्ययन में देश भर से 14 से 19 साल की 838 लड़कियों की जाँच का विश्लेषण किया गया है.

इसमें गर्भाशय के कैंसर के लिए ज़िम्मेदार वायरस 'एचपीवी' के मामले सबसे अधिक पाए गए. इसके बाद क्लैमिडिया, ट्राइकोमोनियासिस और हर्पीस रोगों के मामले मिले हैं.

सीडीसी का कहना है कि यह अपने तरह का पहला अध्ययन है और इसमें कहा गया है कि यौनजनित रोगों का शिकार नवयुवतियाँ अधिक होती हैं.

अध्ययन में पाया गया कि लगभग आधी अफ़्रीकन-अमरीकी लड़कियाँ कम से कम एक यौनजनित रोग से पीड़ित हैं जबकि श्वेत और मैक्सिकन-अमरीकी लड़कियों में इसका प्रतिशत 20 के क़रीब पाया गया.

अध्ययन में पाया गया है कि लगभग 18 प्रतिशत लड़कियाँ एचपीवी का शिकार हैं.

गंभीर मामला


गर्भाशय के कैंसर का टीका 11-12 की उम्र में लगवाने की सलाह दी जाती है

सीडीसी के डेविड फ़ेंटन का कहना है कि यह एक गंभीर मसला है क्योंकि इन रोगों की वजह से लड़कियों में बाँझपन और गर्भाशय के कैंसर की समस्या हो सकती है.

उन्होंने कहा, "यौन संबंध बनाने वाली लड़कियों की नियमित जाँच, टीके और बचाव के दूसरे उपाय हमारी सबसे बड़ी स्वास्थ्य प्राथमिकता है."

सीडीसी ने कहा है कि क्लैमिडिया के लिए यौन-सक्रिय 25 वर्ष से कम आयु की सभी युवतियों की नियमित जाँच होनी चाहिए जबकि एचपीवी से बचाव के लिए 11-12 वर्ष की आयु में लड़कियों को टीके लगवाए जाने चाहिए और बाद में एक बूस्टर टीका भी लगवाना चाहिए.

सीडीसी के यौनरोग विभाग के प्रमुख जॉन डगलस का कहना है कि लड़कियाँ इन रोगों की जाँच नहीं करवाती हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि उनको कोई ख़तरा ही नहीं है.

विश्लेषकों का कहना है कि डॉक्टर भी अक्सर इन रोगों की जाँच नहीं करते क्योंकि इसके नतीजे अभिभावकों को बताने होंगे और इससे मरीज़ की गोपनीयता प्रभावित हो सकती है.

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