Sunday, July 27, 2008

ताउम्र जवां बने रहना हो सकता है मुमकिन

Posted on 9:10 AM by Guman singh


पीटीआई(वॉशिंगटन)

जिंदगी भर जवां रहना आखिर कौन नहीं चाहेगा। अगर वैज्ञानिकों की मानें, तो उम्र बढ़ने के लिए जिम्मेदार जनेटिक प्रक्रिया को रोका जा सकता है।

रिसर्चर का कहना है कि बुढ़ापा की वजह शरीर में टूट-फूट नहीं, बल्कि एक जनेटिक प्रक्रिया होती है। अमेरिका की स्टैनफर्ड यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर के रिसर्चरों ने बुढ़ापे की वजहों की अब तक कि थ्योरी को गलत बताया है। इससे उम्मीद जगी है कि साइंस के जरिए उम्र को बढ़ने से रोका या इसे उम्र को कम किया जा सकता है। डिवेलपमंट बायॉलजी एंड जनेटिक्स के प्रोफेसर स्टुअर्ट किम ने बताया कि सभी लोग मानते हैं कि बुढ़ापा जंग लगने से होता है। लेकिन फिर आप इस बात को कैसे सही ठहराओगे कि जानवर बूढ़े नहीं होते। उन्होंने कहा कि कछुए 100 साल की उम्र में अंडे देते हैं और वेल 200 साल जीती हैं। 


हमारे आंकड़े शरीर में होने वाले डैमिज़ के मौजूदा मॉडल से बिल्कुल अलग हैं। किम का कहना है कि कछुए और वेल जैसे जानवरों के डीएनए में प्रोटीन और वसा के वही ब्लॉक होते हैं जैसे कि मानवों, चूहों या दूसरे गोल कृमियों में होते हैं। स्टडी के मुताबिक बुढ़ापे का रासायनिक सिद्धांत और फ्री रेडिकल्स में टूट-फूट सभी सेल्स के लिए एक होती है। इस तरह यह बताना काफी कठिन हो जाता है कि क्यों कुछ प्रजातियों की जीवन अवधि अलग-अलग होती है। प्रोफेसर किम और उनके सहयोगियों ने गोल कृमियों का अध्ययन किया और पाया कि युवा और बूढ़े कृमियों में उम्र बढ़ने की तस्वीर अलग-अलग होती है। किम के अनुसार मानवों में भी यही सिद्धांत लागू होना चाहिए। 

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