Sunday, July 27, 2008

योग से बढ़ती है एड्स से लड़ने की ताकत

Posted on 9:07 AM by Guman singh


एनबीटीः मेडिटेशन से एड्स के दुष्प्रभावों को काफी हद तक कम किया जा सकता है। अमेरिकी रिसर्चरों का अनुमान है कि इससे मरीज़ों की प्रतिरोधक क्षमता में सुधार होता है। यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफॉर्निया के शोधकर्ताओं के मुताबिक अगर बड़े स्तर पर भी ऐसे ही नतीज़े सामने आए, तो निश्चित तौर पर एड्स के खिलाफ लड़ाई में यह एक सस्ता और बिना तकलीफ वाला तरीका होगा। 

टीम ने लॉस ऐंजिलिस के 67 एचआईवी पॉज़िटिव लोगों पर एक छोटा सा टेस्ट किया था। इन मरीजों को तनाव कम करने के एक प्रोग्राम में शामिल किया गया। इसे माइंडफुलनेस मेडिटेशन का नाम दिया। इसमें जोर दिया गया कि लोग अपनी चेतना को अतीत के दुख और भविष्य की चिंताओं में लगाने की जगह वर्तमान के बारे में सोचें। मरीजों द्वारा दो महीने के इस मेडिटेशन प्रोग्राम में हिस्सा लेने से पहले और बाद में उनके सीडी4-टी सेल की गिनती कि गई थी। जैसे-जैसे वॉलंटियरों ने मेडिटेशन का समय बढ़ाया उनके शरीर में सीडी4-टी सेल की संख्या में बढ़ोतरी देखी गई। इससे अंदाजा लगाया गया कि उनके शरीर का इम्यून सिस्टम या प्रतिरोधी तंत्र एड्स वायरस से आसानी से मुकाबला कर पा रहा है। 

इस स्टडी में अहम भूमिका निभाने वाले डेविड क्रेसवेल का कहना था कि स्ट्रेस मैनिजमंट प्रोग्राम और मेडिटेशन का सीधा असर एचआईवी की सक्रियता पर पड़ता है, और उसकी बढ़त धीमी पड़ जाती है। उन्होंने बताया कि ध्यान में भाग लेने वाले लगभग सभी लोग पहले तनाव से ग्रस्त थे। 

ब्रेन, बिहेवियर एंड इम्युनिटी नामके जर्नल में छपी रिपोर्ट के मुताबिक इस स्टडी में भाग लेने वाले अधिकतर वॉलंटियर पुरुष, अफ्रीकन-अमेरिकन, होमोसेक्सुअल और बेरोजगार थे। इसके अलावा ये एंटी रिट्रोवायरल इलाज भी नहीं करा रहे थे। 

मेडिटेशन की क्लास में आठ हफ्तों तक हर रोज दो-दो घंटे के सेशन चलते रहे। वॉलंटियरों ने पूरी तरह इसका आनंद उठाया। केसवेल का कहना है कि मेडिटेशन का यह तरीका ग्रुप बेस्ड और बहुत सस्ता है। अगर इसके शुरुआती नतीजे आगे भी मिलते रहते हैं तो यह एड्स से लड़ने के लिए दवाइयों के कोर्स के साथ-साथ एक बढि़या तरीका साबित होगा। 

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