महात्मा गांधी की अस्थियाँ जिस फ़ोर्ड ट्रक पर ले जाई गई थीं उसे इस वर्ष उनकी पुण्यतिथि पर एक समारोह में प्रदर्शित किया जाएगा.ये पुराना ट्रक 1948 के बाद से ही बंद पड़ा है और इलाहाबाद के एक संग्रहालय में बुरी अवस्था में रखा हुआ था.फ़िलहाल इस ट्रक की मरम्मत का काम चल रहा है और इस काम में लगे इंजीनियरों को ये देखकर हैरत हुई कि ट्रक का इंजन बिल्कुल दुरूस्त हैअधिकारी ये कोशिश कर रहे हैं कि इस ट्रक को 30 जनवरी को फिर से सड़क पर चलने लायक बनाया जा सके.इसके बाद 12 फ़रवरी को महात्मा गांधी के अस्थिकलश की यात्रा की ही तरह ट्रक के साथ एक और यात्रा निकाली जाएगी.1947 में निर्मित इस फ़ोर्ड ट्रक को पहले सेना ने सज्जित कर फ़ायर ब्रिगेड पुलिस को सौंप दिया था.बाद में जब इलाहाबाद में एक संग्रहालय बना तो इस ऐतिहासिक ट्रक को वहाँ राष्ट्रीय संपत्ति बनाकर रख दिया गया.ट्रक पर पिछले साल अगस्त में नज़र पड़ी उत्तर प्रदेश के राज्य परिवहन निगम के निदेशक उमेश सिन्हा की.उमेश सिन्हा ने बीबीसी को बताया,"महात्मा गंधी की अंतिम यात्रा से जुड़ी ये गाड़ी हमारी धरोहर का अमूल्य हिस्सा है. यही सोचकर हमारे विभाग ने इसके जीर्णोद्धार की ज़िम्मेदारी ली".
मरम्मत
परिवहन अधिकारी इस ट्रक को मरम्मत के लिए अपने वर्कशॉप में ले जाना चाहते थे लेकिन संग्रहालय के नियम इसकी अनुमति नहीं देते थे.इस कारण मरम्मत का काम संग्रहालय के ही गैरेज में करना पड़ा.उत्तर प्रदेश पथ परिवहन निगम के क्षेत्रीय निदेशक पी आर बेलवारायर ने कहा,"इंजीनियर ये देखकर हैरान रह गए कि इतने दशकों तक पड़े रहने के बावजूद ट्रक का इंजन बिल्कुल ठीक था, बस उसे थोड़ा साफ़ करना पड़ा और वह बिल्कुल नए ट्रक के जैसा चलने लगा".सबसे अधिक मुश्किल आई ट्रक के लिए नए टायरों का प्रबंध करने में लेकिन टायर निर्माता कंपनी सिएट ने नए टायर उपलब्ध कराए जिसे लगा दिया गया है.अधिकारियों के अनुसार फ़िलहाल संग्रहालय में इस ट्रक को परीक्षण के तौर पर चलाया जा सकता है.




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अभी तक यही माना जाता था कि फलों रस मोटापा बढ़ाता है। विशेषज्ञों द्वारा अभिभावकों को यही सलाह दी जाती थी कि वे अपने बच्चों को बहुत ज्यादा फ्रूट जूस न पिलाएं, क्योंकि वजन बढ़ने के लिए जिम्मेदारी कारणों में से एक यह भी है। किंतु हाल में हुए एक अघ्ययन में यह बात सामने आई है कि यदि फलों का रस 100 प्रतिशत शुद्ध हो और उसमें शर्करा न मिली हो, तो वह मोटापे का कारण नहीं बनता। इस अघ्ययन को टोरंटो में हुए पीडियाट्रिक ऎकेडमिक सोसायटीज की वार्षिक मीटिंग में प्रस्तुत किया गया। बच्चों पर किए गए अघ्ययन में यह पाया गया कि जो बच्चे 100 प्रतिशत फ्रूट जूस पीते थे उनका वजन नहीं बढ़ा। इस अघ्ययन के लिए पूरे कनाडा से प्रि-स्कूल एज बच्चों यानी वे बच्चे जिन्होंने औपचारिक रू प से स्कूल जाना आरंभ नहीं किया था, के आंकड़े इकट्ठे किए गए थे। शोधकर्ताओं ने यह नतीजा निकाला की 100 प्रतिशत फ्रूट जूस पीने से प्रि-स्कूली बच्चों के बॉडी मास इंडेक्स [बीएमआई] में वृद्धि नहीं हुई। बेयलर कॉलेज ऑफ मेडिसिन में चाइल्ड न्यूट्रीशन रिसर्चर डॉ. थेरेसा निकल्स के अनुसार, "हमने देखा की जो बच्चे बहुत जूस पीते हैं [100 प्रतिशत शुद्ध] वे ओवरवेट नहीं थे और उन्हें ओवरवेट होने का कोई जोखिम भी नहीं था।" आंकड़ों ने दर्शाया कि जूस न पीने वालों के मुकाबले शुद्ध फलों का जूस पीने वाले बच्चों ने कुल वसा, सैचुरेटिड फैट, सोडियम, शर्करा का कम सेवन किया। शुद्ध जूस पीने वालों ने जरू री पुष्टिकरों को भी खूब मात्रा में हासिल किया जैसे विटामिन- सी, पोटेशियम, मैग्नीशियम फोलेट, विटामिन बी 6 व आयरन। ऎसे बच्चों ने सेब इत्यादि फल भी खूब मात्रा में खाए।
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