Tuesday, October 30, 2007

'एमपी3 प्लेयर से बहरेपन का ख़तरा'

Posted on 8:13 AM by Guman singh

आइपॉड और अन्य पोर्टेबल म्यूज़िक प्लेयर की दिन-प्रतिदिन बढ़ती लोकप्रियता के मद्देनज़र विशेषज्ञों ने बहरेपन से प्रभावित लोगों की संख्या बढ़ने की आशंका व्यक्त की है.
विशेषज्ञों का कहना है कि हेडफ़ोन में तेज़ आवाज़ के साथ संगीत सुनना स्थायी बहरेपन का कारण बन सकता है.

ऑस्ट्रेलिया में सिडनी स्थित नेशनल एकॉस्टिक लैब के एक अध्ययन में पाया गया कि पर्सनल म्यूज़िक सिस्टम का उपयोग करने वाले एक चौथाई लोग ख़तरनाक स्तर पर ऊँची आवाज़ में संगीत सुनते हैं.

इधर ब्रिटेन में बहरेपन से प्रभावित लोगों के लिए राष्ट्रीय संस्थान आरएनआईडी ने लोगों को एमपी3 प्लेयर के इस ख़तरे से आगाह किया है.

हाल के वर्षों में पोर्टेबल म्यूज़िक प्लेयर की लोकप्रियता काफ़ी बढ़ गई है. इस उत्पाद के बाज़ार की अग्रणी कंपनी एप्पल अपने पोर्टेबल म्यूज़िक प्लेयर आइपॉड की दो करोड़ इकाई बेच चुकी है.

विशेषज्ञों की चेतावनी पर एप्पल कंपनी ने अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.

लगातार सुनना ज़्यादा ख़तरनाक

आरएनआईडी ने एक अध्ययन में पाया है कि 18 से 24 वर्ष के 39 फ़ीसदी युवा रोज़ाना एक घंटे से ज़्यादा समय तक पोर्टेबल म्यूज़िक प्लेयर सुनते हैं.


एमपी3 प्लेयर आज के युवाओं के फ़ैशन में हैं

ऐसे युवाओं में से 42 फ़ीसदी ने तो स्वीकार भी किया कि वो ऊँची आवाज़ में संगीत सुना करते हैं.

आरएनआईडी के अनुसार 80 डेसीबल से ऊँची आवाज़ बहरेपन का कारण बन सकती है. जबकि कुछ एमपी3 प्लेयर 105 डेसीबल तक ऊँची आवाज़ में संगीत बजा सकते हैं.

यूरोपीय बाज़ारों में उपलब्ध आइपॉड में यों तो सुरक्षित स्तर तक आवाज़ को सीमित करने की व्यवस्था होती है लेकिन कई बार लोग आवाज़ को और तेज़ करने के लिए इस प्रणाली में छेड़छाड़ करते हैं.

ब्रिटिश सोसायटी ऑफ़ ऑडियोलॉजी के प्रमुख ग्राहम फ़्रॉस्ट के अनुसार बहरेपन का ख़तरा इस बात पर निर्भर करता है कि कोई व्यक्ति कितनी ऊँची आवाज़ में और कितने समय तक पोर्टेबल म्यूज़िक प्लेयर का उपयोग करता है.

उन्होंने कहा, "यदि आप इन्हें कम समय तक सुनें और बीच-बीच में सुनना बंद किया करें तो यह लगातार संगीत सुनने के मुक़ाबले कहीं ज़्यादा सुरक्षित आदत होगी."

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