Friday, January 11, 2008
काबुल का बब्बर शेर मौत से हारा
अफ़ग़ानिस्तान में काबुल चिड़ियाघर के मशहूर शेर- मरजान-की मौत हो गई है.
कई लोगों के लिए अफ़ग़ानिस्तान के संघर्ष का प्रतीक माने जाने वाला यह बूढ़ा शेर वर्षों इस देश में चले गृहयुद्ध का गवाह रहा और कुछ ही सप्ताह पहले पेशेवर पशु चिकित्सकों ने इसका इलाज शुरु किया था.
मगर दिन-ब-दिन कमज़ोर पड़ते जा रहे इस शेर ने पांच दिन पहले खाना पीना छोड़ दिया और शनिवार को उसने आखिरी सांस ली.
मरजान की मौत 'वर्ल्ड सोसायटी फ़ॉर दी प्रोटेक्शन ऑफ़ ऐनिमल्स' के पशुचिकित्सक प्रतिनिधियो के लिए बिल्कुल अप्रत्याशित थी जो तीन हफ्ते पहले काबुल चिड़ियाघर के पुनर्निर्माण के लिए पहुंचे थे.
पुनर्निर्माण के लिए विश्व के अनेक चिड़ियाघरों ने पांच लाख डॉलर इस चिड़ियाघर को देने की घोषणा की है.
मौत की वजह
इस संस्था के प्रोजेक्ट मैनेजर जॉन वॉल्श ने बताया कि लंबी बीमारी ने मरजान की जान ली.
मरजान का जिगर कमज़ोर पड़ता जा रहा था और उसकी अंतड़ियों से ख़ून निकल रहा था.
वॉल्श ने बताया कि वो छह साल पहले भी यहां आए थे जब मरजान बुज़ुर्ग, बहादुर लेकिन बीमार था.
लोग उसका बड़ा सम्मान करते थे.
सम्मान
मरजान की मौत की ख़बर जल्दी ही काबुल में फैल गई और लोग तुरत उसे श्रद्धांजलि देने पहुंचने लगे.
तीन औरतों ने अपना बचपन याद किया जब वो मरजान को देखने चिड़ियाघर आई थीं.
छह साल पहले अपने बाड़े में फेंके गए एक हथगोले को छेड़ते समय हुए विस्फोट से मरजान का चेहरा ख़राब हो गया था.
हथगोले को एक तालेबान सैनिक ने मरजान से बदला लेने के लिए फेंका था क्योंकि मरजान ने उसके भाई को मार डाला था, जब वह उसके बाड़े मे घुस आया था.
मरजान को चिड़ियाघर में दफ़ना दिया गया है.
मौत से काबुल चिड़ियाघर में मातम का माहौल था. लेकिन इसके एक और हिस्से में खुशी भी नज़र आ रही थी.
भालू के इलाज में सफलता
इसी चिड़ियाघर में दोनाटेला नामक एक एशियाई काले भालू के दुख के दिन दूर होते लग रहे हैं क्यों कि इसका सफलतापूर्वक इलाज किया गया है.
एक तालेबान सैनिक ने दोनाटेला की नाक काट दी थी क्योंकि उसने उस सैनिक को नोच लिया था.
दोनाटेला का इलाज कर रहे पशुचिकित्सक हुआन कार्लोस मोरियो के अनुसार पिछले कुछ हफ्तों में भालू का व्यवहार काफ़ी बदला है.
जल्दी ही वह एक बड़े और खुले परिसर में चला जाएगा जहां बिजली और गर्मी के अलावा उसके लिए ज़रूरी पेड़ भी होंगे जिनपर वो चढ़ भी सकता है.
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