Friday, April 11, 2008

'इंटरनेट की सेंसरशिप ज़ोर पर'

Posted on 7:57 PM by Guman singh


इंटरनेट पर नज़र रखने वाली एक ग़ैर सरकारी एजेंसी का कहना है कि दुनिया भर में सरकारें इंटरनेट पर सेंसरशिप बढ़ा रही हैं.
ओपेन नेट इनिशिएटिव की रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया भर में 25 देश ऐसे हैं जिन्होंने राजनीतिक, सामाजिक और सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए कई वेबसाइटों को अपने देश में ब्लॉक कर दिया है.
एजेंसी का कहना है कि वे यह देखकर हैरत में पड़ गए हैं कि कितने बड़े पैमाने पर इंटरनेट की सेंसरशिप जारी है.
ओपेन नेट इनिशिएटिव का कहना है कि कई देशों की सरकारें इंटरनेट को ख़तरे के रूप में देखती हैं.
41 देशों का एक विस्तृत अध्ययन करने पर पता चला कि 25 ऐसे देश हैं जो या तो बेवसाइटों को पूरी तरह ब्लॉक कर रहे हैं या फिर सामग्री को लोगों तक पहुँचने से रोकने के लिए फिल्टरों का इस्तेमाल कर रहे हैं.
ऐसा करने की तीन प्रमुख वजहें हैं- राजनीतिक विपक्ष को मज़बूत होने से रोकना, राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर संवेदनशीलता और अश्लील सामग्री को जनता पहुँचने से रोकने की कोशिश.
रिपोर्ट तैयार करने वाले जॉन पॉलफेरी का कहना है कि इंटरनेट सेंसरशिप बढ़ रही है जो चिंता का विषय है क्योंकि इससे लोगों की नागरिक स्वतंत्रता और निजता हनन हो रहा है.
यह अपनी तरह का पहला अध्ययन है और ओपेन नेट इनिशिएटिव का कहना है कि वे अपने अध्ययन का दायरा व्यापक करेंगे तो सेंसरशिप की और घटनाओं का पता चलेगा.
जो देश बहुत बड़े पैमाने पर राजनीतिक सेंसरशिप लागू कर रहे हैं उनमें चीन, ईरान, बर्मा और ट्यूनिशिया शामिल हैं.
पाकिस्तान और दक्षिण कोरिया भी कई वेबसाइटों को जनता तक पहुँचने से रोक रहे हैं.
कई वेबसाइटों को अश्लील बताकर सऊदी अरब, यमन और ट्यूनिशिया जैसे देश रोक रहे हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है कि जब ये देश एक बार वेबसाइटों को रोकना शुरू करते हैं तो उनकी संख्या बढ़ाते ही जाते हैं, कभी कम नहीं करते.

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