Friday, April 11, 2008

इसी जीवन में जी सकते हैं 'दूसरा जनम'

Posted on 7:54 PM by Guman singh


कभी आपने सोचा है कि काश हमारी एक और ज़िंदगी होती. इस जीवन की सच्चाइयाँ कभी-कभी कुछ ज़्यादा ही कड़वे सच के रूप में सामने आती हैं और आप सोचते हैं कि काश एक दूसरा जीवन भी होता जहाँ चीज़ें अपने मुताबिक़ होतीं.
आजकल इंटरनेट पर एक ज़बरदस्त दौर सा चल रहा है और उसे यही नाम दिया गया है, 'सेकेंड लाइफ़' यानी दूसरा जीवन.
यह दूसरा जीवन मिलता है कंप्यूटर के माध्यम से. वर्चुअल वर्ल्ड या कंप्यूटर जनित दुनिया, इंटरनेट का वो हिस्सा है जिनके बारे में बहुत लोगों को जानकारी नहीं है.
इसमें होता ये है कि असली लोग, डिजिटल अवतार के रूप में दिखाए जाते हैं. आप ख़ुद को अपने कंप्यूटर के पर्दे पर, एक कम्प्यूटर जनित व्यक्ति के रूप में, चलता-फिरता देख सकते हैं.
इस वर्चुअल दुनिया के लोग भी असली लोगों की तरह घर बनाते हैं, व्यापार करते हैं, ज़मीन ख़रीदते-बेचते हैं, प्रेम संबंध जोड़ते हैं लेकिन यह सब कुछ होता है आभासी दुनिया में. यानी असल में आप ये सब नहीं कर रहे लेकिन आपको महसूस होता है कि ऐसा कर रहे हैं.
सेकेंड लाइफ़ यानी दूसरी ज़िंदगी, सबसे बड़ी और लोकप्रिय कंप्यूटर जनित दुनिया है और इसकी बड़ी चर्चा हो रही है लेकिन अभी एक महीने में कोई दस लाख लोग इस वेबसाइट का इस्तेमाल कर रहे हैं.
सेकेंड लाइफ़ के संस्थापक फ़िलिप रोज़डेल का कहना है कि जैसे-जैसे टेक्नॉलॉजी में प्रगति होगी ये संख्या बढ़ती जाएगी. "अभी तक इसमें नब्बे लाख लोगों ने अपने आपको रजिस्टर किया है लेकिन हमारे सामने चुनौती ये है कि इसे बढ़ाया जाए और करोड़ों लोग इसका नियमित इस्तेमाल करें. मैं समझता हूं कि ऐसा हो सकता है और होगा."
वे कहते हैं, "कंप्यूटर जनित दुनिया की स्थिति आज वैसी ही है जैसी नब्बे के दशक के आरंभिक वर्षों में इंटरनेट की थी. लेकिन यह तेज़ी से बढ़ेगा."
वे बताते हैं कि कुछ तकनीकी समस्याएँ भी हैं, "अभी स्थिति यह है कि 50 अवतार से ज़्यादा एक जगह इकट्ठा नहीं हो सकते हैं वरना कंप्यूटर प्रोग्राम ठप हो जाता है."
दूसरी मुश्किल यह है कि इसका इस्तेमाल करने वाले आम लोगों के पास वह तकनीकी क्षमता नहीं है कि वे अपने अवतार की सूरत शक्ल बदल सकें.
रोज़डेल का कहना है कि जल्दी ही इन तकनीकी मुद्दों को सुलझा लिया जाएगा

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