Sunday, January 13, 2008

अधिक काम से दिल का दौरा!

Posted on 2:25 AM by Guman singh


कहते हैं कि कड़ी मेहनत से कभी कोई मरा नहीं.

लेकिन शायद हमेशा यह सही न हो, और ज़रूरत से ज़्यादा काम से जान ही चली जाए, यह कहना है कि कुछ शोधकर्ताओं का.

एक नए शोध के अनुसार जो लोग हफ़्ते में 60 घंटे से अधिक काम करते हैं और पूरी नींद नहीं लेते है उन्हे दिल का दौरा पड़ने की संभावना कहीं अधिक होती है.

लंदन और जापान के शोधकर्ताओं के इस संयुक्त अध्ययन के अनुसार अधिक काम और नींद की कमी से रक्तचाप बढ़ता है और दिल के रोग का कारण बन सकता है.

हालाँकि अन्य विशेषज्ञों का कहना है कि इस संबंध को स्थापित करने के लिए अभी बहुत काम किया जाना बाकी है.

लेकिन एक आँकड़ा यह भी है कि पूरे यूरोप में सबसे अधिक समय तक इंग्लैंड के लोग काम करते हैं और वहीं लोग सबसे अधिक दिल के रोग के शिकार होते हैं.

दिल की बीमारी को बढ़ाने वाले कई कारण जाने-माने हैं जैसे धूम्रपान और खान-पीने की ख़राब आदतें.

लेकिन इन कारणों और तनाव, मानसिक दबाव और काम करने की आदतों से क्या संबंध हैं यह अभी पूरी तरह से समझा नहीं जा सका है.

इस नए शोध में सैकड़ों जापानी पुरूष शामिल थे. इनमें कुछ वे लोग शामिल थे जिन्हें दिल का दौरा पड़ चुका है और कुछ वे जिन को कभी नहीं पड़ा था.

पाया गया कि जिन पुरूषों को दिल का दौरा पड़ा है वे अन्य से कहीं अधिक काम करते थे और कम सोते थे.

हफ़्ते में 60 घंटे से अधिक काम करने वाले पुरूषों को दिल का दौरा पड़ने का ख़तरा उन पुरूषों के मुक़ाबले दुगना था जो 40 घंटे या उससे कम काम करते थे.

आराम हराम

सप्ताह में केवल दो दिन औसतन पाँच घंटे या उससे कम की नींद से दिल का दौरा पड़ने का ख़तरा दोगुना या तिगुना तक हो जाता है.

अधिक काम करने का दिल से क्या संबंध है यह अभी निश्चित नही किया जा सका है.लेकिन यह संभव है कि रक्तचाप में बढ़ोत्तरी और नींद की कमी से दौरा पड़ सकता है.

यह पहले ही सिद्ध किया जा चुका है कि दीर्घकालीन तनाव का दिल की कार्यप्रणाली पर असर पड़ता है.

लेकिन ब्रिटेन के एक विशेषज्ञ डॉ हैरी हेमिंग्वे का कहना है कि यह अभी सिद्ध नहीं किया जा सका है कि देर तक काम करने का कैसे प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है.

शोध आवश्यक

डॉ हेमिंग्वे ने बीबीसी को बताया,"संभव है कि इस शोध में अवसाद को शामिल नहीं किया गया हो जो कि एक कारण हो सकता है".

उन्होंने कहा "अवसाद से भी नींद पर असर पड़ता है और किसी मानसिक बीमारी से भी नींद आने में समस्या होती है".

उन्होंने कहा कि क्योंकि शोध में ह्रदय रोगी रहे लोगों से बाद में सवाल पूछे गए तो हो सकता है कि काम करने के घंटों और नींद के बारे में उनको जो याद हो वो सही न हो.

डॉ हेमिंग्वे ने कहा कि इस सिद्धांत को मानने के लिए अभी और काम किया जाना बाक़ी है.

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